अपराध और दंड / अध्याय 4 / भाग 1 / दोस्तोयेव्स्की

Gadya Kosh से
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'मैं अभी तक वही सपना तो नहीं देख रहा,' रस्कोलनिकोव ने सोचा। बिन-बुलाए मेहमान की ओर उसने ध्यान और शंका से देखा।

'स्विद्रिगोइलोव! क्या बकवास है! हो ही नहीं सकता!' उसने आखिरकार भड़क कर उलझन के साथ से कहा।

लग रहा था कि अजनबी को उसके इस तरह भड़कने पर जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ।

'आपके पास मैं दो वजहों से आया हूँ। पहली तो यह कि मैं आपसे निजी जान-पहचान पैदा करना चाहता था, क्योंकि आपकी तारीफ में बहुत-सी दिलचस्प बातें मैं सुन चुका हूँ। दूसरे, मैं यह दिली उम्मीद ले कर आया हूँ कि आप एक ऐसे मामले में मेरी मदद करने से इनकार नहीं करेंगे जिसका सीधा संबंध आपकी बहन अव्दोत्या रोमानोव्ना की भलाई से है। कारण यह कि आपकी मदद के बिना वह अब शायद मुझे अपने पास भी न फटकने दें, क्योंकि उनके मन में मेरे खिलाफ कुछ गलत बातें बिठा दी गई हैं। लेकिन मुझे पूरा-पूरा भरोसा है कि मैं आपकी मदद से...'

'आपको गलत भरोसा है,' रस्कोलनिकोव ने बीच में ही बात काट दी।

'मैं क्या आपसे पूछ सकता हूँ कि क्या वे लोग अभी कल ही आई हैं?'

रस्कोलनिकोव ने कोई जवाब नहीं दिया।

'कल ही आई हैं, सो मुझे पता है। मैं खुद अभी परसों आया। देखिए, आपको मैं बता दूँ, रोदिओन रोमानोविच, कि मैं अपनी तरफ से कोई सफाई पेश करना जरूरी नहीं समझता। लेकिन बराय मेहरबानी मुझे यह बताइए कि इस पूरे सिलसिले में मेरा ऐसा कौन-सा कसूर था? आप... बिना किसी की तरफदारी के, जो समझदारी की बात हो, वही कहिएगा।'

रस्कोलनिकोव उसे चुपचाप देखता रहा।

'मैंने अपने घर में एक बेबस और लाचार लड़की को सताया और उसके सामने अपने शर्मनाक सुझाव रख कर उसका अपमान किया। - क्या यही मेरा जुर्म है (आप जो कहेंगे वह मैं खुद ही कहे दे रहा हूँ!) लेकिन अगर आप सिर्फ इतना मान लें कि मैं भी एक इनसान हूँ... किसी की तरफ मैं भी खिंच सकता हूँ और किसी से मुझे भी प्यार हो सकता है (यह हमारे बस की बात तो नहीं है); तो यह मान लेने के बाद हर बात आसानी से समझ में आ जाएगी। सवाल यह है कि मैं राक्षस हूँ या मैं खुद शिकार हुआ और अगर मैं शिकार हुआ तो हो सकता है मैं जिसके पीछे पागल था, उसके सामने अपने साथ भाग कर अमेरिका या स्विट्जरलैंड चलने का सुझाव रखने के पीछे उसके लिए मेरे दिल में जो बेहद इज्जत थी, वह काम कर रही हो और मैंने सोचा हो कि मैं यह कदम हम दोनों की खुशी के लिए उठा रहा हूँ। मुहब्बत के जुनून के आगे अकल की जरा भी नहीं चलती, यह तो आप जानते हैं। हो सकता है कि जितना नुकसान मैं अपने आपको पहुँचा रहा था, उतना किसी और को नहीं...!'

'लेकिन इस बात की कोई तुक तो नहीं है,' रस्कोलनिकोव चिढ़ कर बीच में बोला। 'सीधी-सी बात इतनी-सी है कि आप सही हों या गलत, आप हमें पसंद नहीं हैं। आपसे कोई सरोकार हम नहीं रखना चाहते, आपकी सूरत भी देखना नहीं चाहते। बस, जाइए...!'

स्विद्रिगाइलोव अचानक जोरों से हँसा।

'लेकिन आप... आपको अपने रवैए से हिलाना नामुमकिन है,' उसने बेझिझक हँस कर कहा। 'मैं तो यह मान कर आया था कि आपको समझा-बुझा कर राजी कर लूँगा, लेकिन आपने तो फौरन ही नस पकड़ ली।'

'आप मुझे अब भी फुसलाने की ही कोशिश कर रहे हैं।'

'तो क्या हुआ?' स्विद्रिगाइलोव खुल कर हँसा। यह तो नेकीभरी लड़ाई है और एक सीधा-सादा जुल है जिसमें कोई मन का मैल नहीं है! ...लेकिन बीच में ही आपने मेरी बात काट दी। बहरहाल, मैं एक बार फिर कहता हूँ कि उस दिन बाग में जो कुछ हुआ, वह अगर न होता तो कभी कोई उलझन न होती। मार्फा पेत्रोव्ना ने...'

'लोग तो कहते हैं कि आपने मार्फा पेत्रोव्ना से छुटकारा पा लिया है, या नहीं?' रस्कोलनिकोव ने रुखाई से उसकी बात काट कर कहा।

'आह, तो आप तक भी यह बात पहुँच चुकी है खैर, कभी न कभी तो आपके कानों तक पहुँचनी ही थी... लेकिन जहाँ तक आपका सवाल है, मेरी समझ में सचमुच नहीं आता कि कहूँ क्या, हालाँकि इस बारे में मेरा जमीर एकदम साफ है। यह न समझिए कि इस बारे में मेरे दिल में कोई अंदेशा है। सब ठीक चल रहा था, कहीं कोई गड़बड़ नहीं थी। डॉक्टरी जाँच के बाद मौत की यह वजह बताई गई कि छक कर खाना खाने और एक बोतल पीने के फौरन बाद नहाने से फालिज मार गया। सच तो बल्कि यह है कि इसे छोड़ कोई दूसरी बात साबित भी नहीं की जा सकती थी... लेकिन आपको मैं बता दूँ कि इधर कुछ अरसे से मैं क्या सोचता रहा हूँ, खास तौर पर यहाँ तक रेल सफर के दौरान। क्या इन सबमें मेरा हाथ भी नहीं रहा ...एक तरह से, नैतिक दृष्टि से देखें तो यह जो आफत आई, क्या उसकी यह वजह नहीं थी कि मेरी वजह से कोई दिमागी उलझन, कुछ चिड़चिड़ाहट या इसी किस्म की कोई और बात पैदा हुई लेकिन मैं तो इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इसका सवाल भी पैदा नहीं होता।'

रस्कोलनिकोव हँसा, 'मुझे तो समझ में भी नहीं आता कि आप इस बारे में परेशान होते होंगे!'

'आप हँस किस बात पर रहे हैं जरा सोचिए, उसे मैंने सिर्फ दो बार चाबुक से मारा -और वह भी इस तरह कि कोई निशान तक नहीं पड़ा... बराय मेहरबानी मुझे ऐसा बेरहम न समझिए। मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि मेरी यह हरकत कितनी बेहूदा थी, वगैरह-वगैरह; लेकिन साथ ही मैं यह बात भी पक्के तौर पर जानता हूँ कि मार्फा पेत्रोव्ना मेरी इस, समझ लीजिए, कि गर्मजोशी से काफी खुश हुई थी। आपकी बहन के किस्से से तो जितना रस निचोड़ा जा सकता था, एक-एक बूँद निचोड़ लिया गया था। मार्फा पेत्रोव्ना को आखिरी तीन दिन तो मजबूरन घर पर ही रहना पड़ा; उनके पास शहरवालों के लिए कुछ शिगूफा रहा ही था। इसके अलावा, उसके खत से (आपने उनके वह खत पढ़ने के बारे में सुना तो होगा? लोग तंग आ चुके थे। पर अचानक न जाने कहाँ से वे दो चाबुक पड़ गए। शायद प्रभु की ही करनी रही हो। उन्होंने पहला काम तो यह किया कि गाड़ी जुतवाने का हुक्म दिया। इस बात को खैर जाने दीजिए, ऐसा भी कभी-कभी होता है कि बेहद गुस्सा दिखाने के बावजूद औरतें इस बात से बहुत खुश होती हैं कि कोई उनका अपमान करे। इस तरह की मिसालें हर आदमी की जिंदगी में मिलती हैं। आपने कभी इस बात पर गौर किया है क्या कि सचमुच आम तौर पर हर इनसान को अपना अपमान होता बहुत अच्छा लगता है लेकिन औरतों के बारे में तो यह बात खास तौर पर सच है। और तो और, यहाँ तक भी कहा जा सकता है कि उन्हें बस इसी एक बात में मजा आता है।'

रस्कोलनिकोव के जी में एक बार तो यह बात आई कि वह उठ कर बाहर निकल जाए और बातचीत को यहीं खत्म कर दे। लेकिन किसी उत्सुकता के कारण, बल्कि यह सोच कर कि उसकी असली मंशा जान लेने में ही समझदारी है, वह एक पल के लिए रुक गया।

'आपको मारपीट का शौक है?' उसने लापरवाही से पूछा।

'जी नहीं, कोई खास नहीं,' स्विद्रिगाइलोव ने शांत भाव से जवाब दिया। 'मेरी ओर से मार्फा पेत्रोव्ना की तो शायद ही कभी पिटाई हुई हो। हम लोग बहुत दिल मिला कर रहते थे, और वह हमेशा मुझसे खुश रहती थीं। शादी के सात बरसों में मैंने कोड़े का इस्तेमाल सिर्फ दो बार किया। उस तीसरी बार को तो छोड़ ही दें जो कुछ बहुत ही गोलमोल मामला था। पहली बार तो शादी के दो महीने बाद, गाँव पहुँचने के कुछ ही दिनों बाद, और आखिरी बार वह जिसकी हम लोग बातें कर रहे हैं। आप क्या यह समझते थे कि मैं कोई राक्षस, दकियानूस, पिछड़े खयालोंवाला जल्लाद हूँ हा-हा! खैर, यह तो बताइए, रोदिओन रोमानोविच, कुछ ही साल पहले का वह किस्सा क्या आपको याद है, उन दिनों का जब अखबारों में हर बात की भरपूर चर्चा करना एक परोपकार समझा जाता था, वह किस्सा जिसमें किसी खानदानी आदमी को, उसका नाम तो मैं भूल रहा हूँ। हर जगह, हर अखबार में, इस बात के लिए लताड़ा गया था कि उसने रेलगाड़ी में एक जर्मन औरत की पिटाई कर दी थी याद है आपको मैं समझता हूँ यह बात उन्हीं दिनों की या उसी साल की है, जब पीतर्सबर्ग के एक अखबार में 'जमाना की शर्मनाक कार्रवाई' की सुर्खी से एक लेख छपा था। (आपको याद है न, किसी अफसर की बीवी पुश्किन की 'मिस्र की रातें' पढ़ रही थी, जिसकी पूरी खबर 'पीतर्सबर्ग समाचार' में छपी थी और इस पर पत्रिका जमाना ने हमारी कस्बाती मेम साहबों की दिखावटी साहित्यिक रुचि पर हिकारत से हमला करते हुए एक लेख छापा था। वे मदमाती काली आँखें! आह, हमारी जवानी के सुनहरे दिन कहाँ गए...) खैर, जहाँ तक उन साहब का सवाल है, जिन्होंने एक जर्मन औरत को पीटा था, तो मुझे उनसे कोई हमदर्दी नहीं है क्योंकि हमदर्दी की बहरहाल जरूरत ही क्या है लेकिन मैं इतना जरूर कहूँगा कि कभी-कभी ऐसी गुस्सा दिलानेवाली 'जर्मन औरतों' से पाला पड़ता है कि प्रगतिशील से प्रगतिशील आदमी भी अपने आप पर काबू नहीं रख सकता। उस वक्त किसी ने इस सवाल को इस नजर से नहीं देखा लेकिन इसे देखने का सच्चा इनसानी तरीका यही है... मैं आपको यकीन दिलाता हूँ।'

यह कह कर स्विद्रिगाइलोव अचानक एक बार फिर हँसा। रस्कोलनिकोव को साफ नजर आ रहा था कि वह एक ऐसा शख्स है जो दिमाग में कोई पक्का इरादा ले कर आया है।

'मैं समझता हूँ इधर कई दिन से आपने किसी से बात भी नहीं की है?' रस्कोलनिकोव ने पूछा।

'शायद ही किसी से की हो। आप शायद इस बात पर ताज्जुब कर रहे होंगे कि कैसी आसानी से मैं अपने आपको किसी भी साँचे में ढाल लेता हूँ!'

'नहीं, मैं इस बात पर ताज्जुब कर रहा हूँ कि आप ऐसा जरूरत से ज्यादा ही करते हैं।'

'क्या इसलिए कि मैं आपके सवालों के अक्खड़ लहजे का बुरा नहीं मान रहा? यही बात है क्या? लेकिन बुरा मानने की जरूरत ही क्या, जैसा आपका सवाल था, वैसा मेरा जवाब था,' उसने इतनी सादगी से जवाब दिया कि हैरत होती थी। 'बात यह है कि अब मुझे शायद ही किसी चीज में दिलचस्पी रही हो,' वह कहता रहा, जैसे कोई सपना देख रहा हो। 'खास कर अब जबकि मेरे पास करने को कुछ भी नहीं... आप समझते होंगे कि मैं ऐसा अपनी किसी गरज से, आपको खुश करने के लिए कह रहा हूँ, खास कर इसलिए, जैसाकि मैंने आपको अभी बताया, कि मैं किसी बात के बारे में आपकी बहन से मिलना चाहता हूँ। लेकिन मुझे यह मानने में जरा भी झिझक नहीं कि मैं बहुत उकताया हुआ हूँ। खास कर पिछले तीन दिनों से। लिहाजा मुझे आपसे मिल कर बहुत खुशी हुई है... बुरा मत मानिएगा, रोदिओन रोमानोविच, न जाने क्यों मुझे आप खुद बेहद अजीब से लग रहे हैं। कुछ भी कहें आप, लेकिन आपके साथ कहीं कोई गड़बड़ तो है, और अब भी... मेरा मतलब है, इसी पल नहीं, बल्कि आम तौर पर, इस वक्त... अच्छी बात है, अच्छा-अच्छा, आगे कुछ मैं नहीं कहूँगा, बिलकुल नहीं कहूँगा, नाक मत सिकोड़िए! इतना जान लीजिए, मैं वैसा बनमानुस भी नहीं जैसाकि आप समझते हैं।'

रस्कोलनिकोव ने गुमसुम हो कर उसे देखा। 'आप शायद बनमानुस तो हैं ही नहीं,' उसने कहा। 'सच तो यह है कि मैं समझता हूँ आप बहुत शरीफ तौर-तरीके वाले आदमी हैं, कम-से-कम जरूरत पड़ने पर शरीफों जैसा बर्ताव करना जानते हैं।'

'मुझे दूसरों की राय में कोई खास दिलचस्पी नहीं,' स्विद्रिगाइलोव ने रुखाई से, बल्कि कुछ ढिठाई से जवाब दिया, 'और इसलिए कभी-कभी बेहूदगी का सबूत देने में ही क्या हर्ज है जबकि हमारे माहौल में इस तरह का लबादा ओढ़ लेने से बेहद आसानी होती है... खास कर अगर किसी का स्वाभाविक झुकाव ही उसे ओर हो,' उसने फिर हँस कर कहा।

'लेकिन मैंने तो सुना है कि यहाँ आपकी जान-पहचान के बहुत से लोग हैं। आप, वह जो कहते हैं न, 'एकदम बेयारो-मददगार' नहीं हैं। फिर मुझसे आपको क्या गरज हो सकती है, जब तक कि आपका कोई खास मकसद न हो'

'यह बात सच है कि यहाँ मेरे दोस्त-यार हैं,' स्विद्रिगाइलोव ने मुख्य बात का जवाब दिए बिना स्वीकार किया। 'कुछ से तो मैं मिल भी चुका। पिछले तीन दिनों से इधर-उधर मँडराता रहा हूँ, सो या तो मैं उनसे कहीं मिल गया या वे मुझे कहीं मिल गए। बस यूँ ही कहीं, राह चलते। कपड़े अच्छे पहनता हूँ और मुझे गरीब भी नहीं समझा जाता; भू-दासों की आजादी का मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ा : मेरी जायदाद में ज्यादातर जंगलात और नदी किनारे की चरागाहें हैं जो अकसर बाढ़ में डूब जाती हैं। मेरी आमदनी कम नहीं हुई। लेकिन... मैं उन लोगों से मिलने नहीं जाऊँगा; उनसे मैं बहुत पहले ही तंग आ चुका। यहाँ मैं तीन दिनों से हूँ और मिलने किसी से भी नहीं गया... यह भी अजीब शहर है! इस ढब से यह शहर आबाद कैसे हुआ, आप बता सकते हैं मुझे तरह-तरह के सरकारी नौकरों और छात्रों का शहर! अलबत्ता आठ साल पहले जब मैं यहाँ रहता था और किसी तरह जिंदगी के दिन काट रहा था, तब मेरा ध्यान इनमें से बहुत-सी बातों की तरफ नहीं गया था... अब तो मेरी रही-सही उम्मीद शरीर-संरचना में रह गई है, कसम से, बस उसी में!'

'शरीर-संरचना?'

'जहाँ तक इन क्लबों, रेस्तराँओं, मनोरंजन के ठिकानों का सवाल है, या तरक्की की निशानियों का भी सवाल है, यह सब कुछ मेरे बगैर भी चलता रहेगा,' वह कहता रहा और इस बार भी उसने सवाल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। 'फिर यह बात भी है कि पत्तेबाज कौन बनना चाहता है?'

'आप क्या पत्तेबाज भी रह चुके हैं?'

'उससे मैं बचता भी कैसे, हम लोगों का एक पूरा गिरोह था, आठ साल पहले। सब अच्छे से अच्छे घरों के लोग। खूब हम लोग ऐश करते थे। वे सभी खानदानी लोग थे, और आप यह समझ लीजिए कि शायर भी सुसभ्य लोग भी। फिर सच तो यह है कि हमारे रूसी समाज में सबसे अच्छे शिष्टाचार उन्हीं लोगों में पाए जाते हैं जो मार खा चुके हैं। यह बात गौर की है आपने गाँव जा कर तो मैंने अपनी हालत ही हेठी करा ली। लेकिन नेजिन के एक कमीने यूनानी की बदौलत मुझे कर्ज अदा न कर सकने की वजह से जेल में डाल दिया गया। तभी कहीं से मार्फा पेत्रोव्ना आ गईं। उन्होंने उससे सौदा करके मुझे चाँदी के तीस हजार रूबल के बदले खरीद लिया। (मुझ पर सत्तर हजार का कर्ज था।) हम दोनों की कानूनी तौर पर शादी हुई और वह मुझे एक खजाने की तरह ले कर गाँव चली गईं। आपको शायद पता हो कि वह मुझसे पाँच साल बड़ी थीं। मुझसे उन्हें बहुत गहरा लगाव भी था। मैंने सात साल तक गाँव से बाहर कदम भी नहीं रखा। और यह बात याद रखिए कि तमाम वक्त मुझे कब्जे में रखने के लिए उनके पास एक दस्तावेज वह भी किसी और के नाम लिखा गया था, तीस हजार रूबल का वह प्रोनोट, ताकि अगर कभी मैं किसी बात पर भाग निकलने की कोशिश करूँ तो फौरन फंदे में फँसूँ! पर वह ऐसा किए बिना मानती भी नहीं! इसमें औरतों को कोई बेजा बात नहीं नजर आती।'

'अगर वह दस्तावेज न होता तो आप क्या रफू-चक्कर हो जाते?'

'समझ नहीं आता, इसका जवाब क्या दूँ। उसी दस्तावेज ने मुझे बाँध रखा हो, ऐसी बात नहीं थी। मैं कहीं जाना भी नहीं चाहता था। यह देख कर कि मैं उकताया हुआ रहता हूँ, खुद मार्फा पेत्रोव्ना ने मुझसे कहीं विदेश चलने को कहा, लेकिन विदेश तो मैं पहले भी हो आया हूँ, और वहाँ जा कर हमेशा मुझे मितली आती थी। किसी खास वजह से नहीं। लेकिन सूरज का निकलना, नेपल्स की खाड़ी, समुद्र - आप इन चीजों को देख कर ही उदास हो जाते हैं। नफरत ज्यादा इसलिए भी होती है कि आप सचमुच उदास होते हैं। पर नहीं, घर ही बेहतर। यहाँ आप बात के लिए कम-से-कम दूसरों पर इल्जाम तो रख सकते हैं और अपने आपको बेकसूर समझ सकते हैं। इस वक्त मेरे लिए शायद उत्तरी ध्रुव पर चले जाना ही सबसे अच्छी बात है क्योंकि रश् ंप सम अपद उंनअंपे1 और शराब पीने से मुझे नफरत है जबकि मेरे लिए शराब के अलावा कुछ और बचा भी तो नहीं। मैं उसे भी आजमा कर देख चुका। किसी ने मुझे बताया है कि अगले इतवार को बेर्ग एक बहुत बड़े गुब्बारे में युसूपोव बाग से उड़नेवाला है और कोई खास रकम पैसे ले कर मुसाफिरों को भी अपने साथ ले जाएगा। क्या यह बात सच है?'

'क्यों, आप जाना चाहते हैं?'

'मैं... जी नहीं... बस पूछ रहा था,' स्विद्रिगाइलोव बुदबुदाया। सचमुच वह किसी गहरे खयाल में डूबा हुआ लग रहा था।

'क्या यह ईमानदारी से बोल रहा है?'

'नहीं, मैं उस दस्तावेज की वजह से बँधा नहीं रहा,' स्विद्रिगाइलोव सोच में डूबा हुआ बोलता रहा। 'गाँव छोड़ कर कहीं न जाना मेरी अपनी मर्जी था, और कोई साल भर पहले मेरी सालगिरह पर मार्फा पेत्रोव्ना ने वह दस्तावेज मुझे लौटा दिया था, एक बहुत बड़ी रकम भी तोहफे में दी थी। उनके पास बेशुमार दौलत थी। 'देखो, मैं तुम पर कितना भरोसा रखती हूँ, अर्कादी इवानोविच' - हू-ब-हू यही लफ्ज उन्होंने इस्तेमाल किए थे। आपको यकीन नहीं आता कि उन्होंने ऐसा कहा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैं उनकी जमीन-जायदाद का इंतजाम काफी अच्छी तरह करता था; आसपास के सभी लोग मुझे जानते हैं। बाहर से मैं किताबें भी मँगाता था। शुरू में तो मार्फा पेत्रोव्ना ने कोई एतराज नहीं किया, लेकिन बाद में मेरी बहुत ज्यादा पढ़ाई से उन्हें डर लगने लगा।'

'लगता है आपको मार्फा पेत्रोव्ना की काफी याद आती है?'

'याद आती है शायद। सचमुच, आती है। और हाँ, आप भूत-प्रेत में यकीन रखते हैं क्या?'

'कैसे भूत-प्रेत?'

'यही, आम किस्म के!'

'आप क्या उनमें यकीन रखते हैं?'

'शायद नहीं, च्वनत अवने चसंपतमण्ण्ण्2 मैं साफ-साफ 'नहीं' तो नहीं कह सकता।'


1. नशे में मेरी मनहूस हालत हो जाती है। (फ्रांसीसी)

2. आपकी खुशी के लिए। (फ्रांसीसी)


'कोई आपको दिखाई भी दिया?'

स्विद्रिगाइलोव ने उसकी तरफ जरा अजीब नजरों से देखा।

'मार्फा पेत्रोव्ना कभी-कभी अभी भी मुझसे मिलने आती हैं,' वह मुँह टेढ़ा करके अजीब ढंग से मुस्करा कर बोला।

'क्या मतलब है आपका?'

'अभी तक तीन बार आ चुकी हैं। उन्हें पहली बार मैंने उनके जनाजे के दिन ही देखा - उनके दफन किए जाने के बस घंटे भर बाद। जिस दिन मैं यहाँ के लिए चला उससे पहलेवाले दिन। दूसरी बार परसों, भोर के वक्त, सफर के दौरान मालया विशेरा स्टेशन पर, और तीसरी बार अभी दो घंटे पहले, उसी कमरे में जहाँ मैं ठहरा हुआ हूँ। मैं अकेला था।'

'आप जाग रहे थे?'

'पक्का जाग रहा था। तीनों बार मैं ही जाग रहा था। वह आती हैं, एक मिनट बातें करती हैं और दरवाजे से हमेशा ही दरवाजे से बाहर चली जाती हैं : उनकी आहट तक मुझे सुनाई देती है।'

'यह बात मेरे दिल में कैसे आई थी कि आपके साथ कुछ ऐसा ही हो रहा होगा,' रस्कोलनिकोव ने अचानक कहा। उसी पल उसे यह बात कहने पर आश्चर्य भी हुआ। उसकी उत्सुकता बेहद बढ़ चुकी थी।

'सच! ऐसा सोचा था आपने?' स्विद्रिगाइलोव ने हैरत से पूछा। 'सचमुच ऐसा सोचा था! आपसे मैंने कहा था न कि हम दोनों के बीच एक जैसी कोई बात जरूर है, क्यों?'

'यह तो आपने कभी नहीं कहा!' रस्कोलनिकोव ने कुछ चिढ़ कर तीखेपन से कहा।

'नहीं कहा था?'

'नहीं जी, नहीं!'

'मैंने समझा, कहा था। मैं जब अंदर आया और आपको सोने का बहाना किए हुए, आँखें बंद करके लेटे देखा तो फौरन अपने मन में कहा : यही है वह आदमी।'

'आपका वह आदमी' से मतलब क्या है आप किस बारे में बातें कर रहे हैं?' रस्कोलनिकोव चीखा।

'मतलब क्या है मेरा मुझे सचमुच नहीं मालूम...' स्विद्रिगाइलोव ने निष्कपट भाव से धीमे लहजे में कहा, मानो वह खुद चकराया हुआ हो।

दोनों मिनट भर चुप रहे और एक-दूसरे के चेहरे घूरते रहे।

'बकवास है यह सब!' रस्कोलनिकोव झुँझला कर चीखा। 'वे जब आपके पास आती हैं तो क्या कहती हैं?'

'वह आप यकीन करेंगे, वह मुझसे मामूली से मामूली बेवकूफी भरी बातें करती हैं और - आदमी तो होता ही अजीब है - मुझे भी गुस्सा आ जाता है। पहली बार जब वह आईं (मैं थका हुआ था, आप जानते ही हैं कि गिरजाघर में जनाजे की प्रार्थना, जनाजे की रस्म, फिर उसके बाद खाना। आखिर मैं पढ़ने के कमरे में अकेला रह गया। सिगार जला कर मैं कुछ सोच रहा था), तो दरवाजे से अंदर आईं और बोलीं आज तुम्हें भाग-दौड़ बहुत करनी पड़ी, अर्कादी इवानोविच, तुम खाने के कमरे में घड़ी की चाभी देना तक भूल गए। सात साल तक हर हफ्ते मैं घड़ी में चाभी देता रहा और कभी अगर भूल जाता तो वह मुझे याद दिलाती थीं। अगले दिन मैं यहाँ के लिए रवाना हुआ। स्टेशन पर उतरा। रात में ठीक से सोया नहीं था, थका हुआ ऊपर से, नींद के मारे आँखें बंद हुई जा रही थीं। बैठ कर मैं कॉफी पीने लगा। नजरें उठा कर देखा तो मार्फा पेत्रोव्ना को अचानक हाथ में ताश की गड्डी लिए हुए बगल में बैठा पाया। 'सफर के सिलसिले में क्या तुम्हारी किस्मत बताऊँ, अर्कादी इवानोविच किस्मत का हाल बताने में वह बहुत माहिर थीं। अपने आपको मैं कभी माफ नहीं कर सकता क्योंकि मैंने उनसे हाल बताने नहीं दिया! डर कर वहाँ से मैं भाग खड़ा हुआ। इसके अलावा गाड़ी चलने की घंटी भी बज चुकी थी। और आज एक होटल का बहुत ही बुरा खाना खाने के बाद तबीयत कुछ भारी-सी लग रही थी और मैं बैठा सिगार पी रहा था कि फिर अचानक वही मार्फा पेत्रोव्ना। हरे रंग के एक नए रेशमी लिबास में सजी-सँवरी, जिसमें एक बहुत लंबा फुँदना था, आईं और बोलीं : इधर देखो, अर्कादी इवानोविच, मेरा यह लिबास तुम्हें कैसा लगा ऐसा लिबास अनीस्का नहीं बना सकती। (अनीस्का गाँव में कपड़े सिलने का काम करती थी। पहले हमारे यहाँ बँधुआ मजदूर थी और यह काम उसने मास्को में सीखा था। बड़ी सलोनी लड़की थी।) वह मेरे सामने खड़ी हो कर, चारों ओर घूम कर-झूम कर अपना लिबास दिखाने लगीं। मैंने उनके लिबास को देखा, और फिर ध्यान से, बहुत ही ध्यान से उनके चेहरे को देखा। 'मुझे यकीन नहीं आता, मार्फा पेत्रोव्ना, कि आप मेरे पास ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए आती हैं।' 'तो सुनो, तुम किसी को अपने पास किसी भी बात के लिए आने ही नहीं देना चाहते!' मैंने उन्हें छेड़ने की गरज से कहा : 'मैं शादी करना चाहता हूँ, मार्फा पेत्रोव्ना।' 'तुम तो हो ही ऐसे, अर्कादी इवानोविच। कोई भलमनसाहत की बात तो नहीं कि एक बीवी को दफन किए अभी बहुत दिन नहीं हुए नहीं और दूसरी लाने के लिए चल पड़े। हाँ, तुम अगर कोई अच्छी-सी बीवी ढूँढ़ सकते तब भी कोई बात होती, लेकिन मैं जानती हूँ, कि न तुम सुखी रहोगे न वह रहेगी। बस अपनी खिल्ली उड़वाओगे।' इतना कह कर वह बाहर चली गईं और उनके लिबास के फुँदने की सरसराहट मैं सुनता रहा। है न बकवास या नहीं?'

'लेकिन आप कहीं झूठ तो नहीं बोल रहे?' रस्कोलनिकोव ने पूछा।

'मैं ज्यादातर तो झूठ नहीं बोलता,' स्विद्रिगाइलोव ने सोचते हुए जवाब दिया। उसने यूँ जताया गोया रस्कोलनिकोव के सवाल की गुस्ताखी की ओर उसका ध्यान गया ही न हो।

'जिंदगी में इससे पहले भी कभी आपने भूत देखे हैं?'

'जी हाँ, देखे हैं। जिंदगी में सिर्फ एक बार छह साल पहले। मेरे पास एक बँधुआ नौकर था, फील्का। उसे दफन कर देने के कुछ ही देर बाद मैंने, यह भूल कर कि वह मर चुका है, पुकारा, 'फील्का, मेरा पाइप!' वह अंदर आया और उसी अलमारी के पास गया, जिसमें मेरे पाइप रखे थे। मैं बैठा सोच रहा था कि वह यह सब बदला लेने के लिए कर रहा है। बात यह थी कि उसके मरने के कुछ ही पहले मेरा उसका भारी झगड़ा हुआ था। 'आस्तीन में कुहनी के पास एक छेद ले कर तेरी अंदर आने की हिम्मत भला कैसे हुई मैं बोला, 'निकल यहाँ से, बदमाश कहीं का!' वह घूम कर बाहर चला गया और फिर नहीं आया। मैंने मार्फा पेत्रोव्ना को उस वक्त इस बारे में नहीं बताया। मैं उसके लिए गिरजाघर में प्रार्थना करवाना चाहता था, लेकिन मैं बेहद शर्मिंदा भी था।'

'आपको किसी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।'

'मैं जानता हूँ मेरी तबीयत ठीक नहीं है; आपको यह बात बताने की जरूरत नहीं। लेकिन कसम से, मेरी समझ में यह नहीं आता कि बीमारी क्या है। मैं समझता हूँ आपके मुकाबले मैं पाँच-गुना तंदुरुस्त हूँ। मैंने आपसे यह नहीं पूछा था कि आप क्या भूतों के दिखाई देने में यकीन रखते हैं, बल्कि यह पूछा था कि आप क्या उनके होने में यकीन रखते हैं।'

'जी नहीं, मैं उनका वजूद मान ही नहीं सकता!' रस्कोलनिकोव ने गुस्सा हो कर जोर देते हुए कहा।

'आम तौर पर लोग क्या कहते हैं,' स्विद्रिगाइलोव बगल की ओर देखते हुए सर झुका कर बुदबुदाया, गोया खुद से बातें कर रहा हो। 'लोग कहते हैं आप बीमार हैं, सो आपको जो कुछ दिखाई देता है वह कोरी कल्पना है। लेकिन इसमें कोई ठोस तर्क की बात तो है नहीं। इतना मैं मानता हूँ कि भूत सिर्फ बीमार लोगों को दिखाई देते हैं। लेकिन इससे कुल जमा इतना ही साबित होता है कि वे बीमारों के अलावा और किसी को दिखाई दे नहीं सकते; यह नहीं कि वे होते ही नहीं।'

'ऐसी बात कतई नहीं!' रस्कोलनिकोव ने चिढ़ के साथ जोर दे कर कहा।

'तो आप ऐसा समझते हैं, नहीं हैं?' स्विद्रिगाइलोव उस पर नजरें जमा कर कहता रहा। 'लेकिन अब इस दलील के बारे में आपका क्या कहना है (इसे समझने में मेरी मदद कीजिए) : भूत, एक तरह से, दूसरी दुनियाओं के ईंट-रोड़े होते हैं, उनकी शुरुआत होते हैं। जाहिर है कि जो आदमी तंदुरुस्त होगा, उसके लिए भूत नजर आने की कोई वजह नहीं होती क्योंकि वह सबसे बढ़ कर इसी दुनिया का प्राणी होता है और संपूर्णता और सुव्यवस्था की खातिर वह सिर्फ इसी जिंदगी में रहने पर मजबूर होता है। लेकिन जैसे ही आदमी बीमार होता है, जैसे ही प्राणी की स्वाभाविक सांसारिक व्यवस्था भंग हो जाती है, वह आदमी दूसरी दुनिया की संभावना को महसूस करने लगता है। लिहाजा जो आदमी जितना ही बीमार होता है, दूसरी दुनिया के साथ उसका संपर्क भी उतना ही गहरा होता है। इसका नतीजा यह होता है कि जैसे ही आदमी मरता है, सीधे उसी दुनिया में जा पहुँचता है। यह बात मैंने बहुत पहले ही सोची थी। अगर आप मरने के बाद दूसरी जिंदगी में यकीन रखेंगे।'

'मरने के बाद की जिंदगी में मेरा कोई यकीन नहीं,' रस्कोलनिकोव ने कहा।

स्विद्रिगाइलोव विचारों में डूब गया।

'वहाँ अगर सिर्फ मकड़ियाँ या इसी तरह की चीजें हों तो क्या होगा?' एकाएक वह बोला।

'पागल है,' रस्कोलनिकोव ने सोचा।

'हम हमेशा यही सोचते हैं कि परलोक ऐसी कोई चीज है जहाँ तक हमारी कल्पना भी नहीं पहुँच सकती। कोई बहुत बड़ी चीज... बहुत बड़ी! लेकिन उसका इतना बड़ा होना क्या जरूरी है इसकी बजाय अगर वह कोई छोटी-सी कोठरी हो, गाँव के हम्मामघर जैसी... अँधेरी और गंदी, हर कोने में मकड़ियों के जाले, और परलोक पूरा बस यही हो मैं कभी-कभी उसकी कल्पना इसी रूप में करता हूँ।'

'क्या आप कभी किसी इससे ज्यादा माकूल, इससे ज्यादा खुशगवार चीज के बारे में नहीं सोच सकते?' रस्कोलनिकोव दुखी हो कर चिल्लाया।

'ज्यादा माकूल? आप यह कैसे कह रहे हैं कि यह माकूल नहीं है और आप क्या जानते हैं कि बनाता उसे तो यकीनन उसे तो ऐसा ही बनाता,' स्विद्रिगाइलोव ने एक मद्धम-सी मुस्कराहट के साथ जवाब दिया।

उसका भयानक जवाब सुन कर रस्कोलनिकोव काँप उठा। स्विद्रिगाइलोव ने सर उठाया, उसकी ओर देखा और अचानक हँस पड़ा। 'जरा सोचिए तो,' वह जोश में आ कर बोला, 'अभी आधे घंटे पहले तक एक-दूसरे को हमने देखा तक नहीं था, एक-दूसरे को हम दुश्मन समझते थे; हम दोनों के बीच एक ऐसा मुद्दा है जिसका अभी तक फैसला नहीं हुआ और उसको ताक पर रख कर हम लोग अनर्गल के इलाके में चले आए! मैंने ठीक कहा था न कि हम दोनों एक जैसी रूहें हैं?

'बराय मेहरबानी,' रस्कोलनिकोव ने चिड़चिड़ाहट के साथ कहा, 'मुझे बस इतना बताएँ कि आपने मुझे इतनी इज्जत क्यों बख्शी कि मेरे पास तशरीफ ले आए... और... और मुझे बहुत जल्दी है, मेरे पास वक्त बिलकुल नहीं है। बाहर जाना है मुझे।'

'जरूर, जरूर। आपकी बहन अव्दोत्या रोमानोव्ना की शादी मिस्टर प्योत्र पेत्रोविच लूजिन के साथ होनेवाली है?'

'क्या आप इतनी कृपा करेंगे कि मेरी बहन के बारे में कोई सवाल न पूछें, उसका नाम तक न लें मेरी समझ में नहीं आता कि आप अगर सचमुच स्विद्रिगाइलोव ही हैं तो आपको मेरे सामने उसका नाम लेने की हिम्मत कैसे हुई?'

'पर मैं तो उसके ही बारे में यहाँ बात करने आया हूँ : यह कैसे हो सकता है कि उसका नाम भी न लूँ?'

'अच्छी बात है, कहिए, लेकिन कम-से-कम में!'

'मुझे यकीन है कि अगर आप मिस्टर लूजिन नाम के इस शख्स से जो मेरी बीवी की तरफ से मेरा दूर का रिश्तेदार होता है, आधे घंटे के लिए भी मिले होंगे या आपने उसके बारे में कुछ बातें सुनी होंगी तो आपने खुद उसके बारे में एक राय बना ली होगी। उसका और अव्दोत्या रोमानोव्ना का कोई मेल ही नहीं है। मैं समझता हूँ अव्दोत्या रोमानोव्ना उदारता और नासमझी की वजह से... अपने परिवार की खातिर... यह कुरबानी दे रही है। आपके बारे में जो कुछ मैंने सुना है, उसकी बुनियाद पर मैंने यही सोचा कि आप लोगों के हित को कोई नुकसान पहुँचाए बिना अगर यह रिश्ता तोड़ा जा सके, तो आपको भी खुशी होगी। अब जबकि मैं निजी तौर पर आपको अच्छी तरह समझ चुका हूँ, इसका मुझे पूरा यकीन है।'

'यह सब आपकी नादानी है... माफ कीजिए, मुझे तो कहना चाहिए कि आपकी गुस्ताखी है,' रस्कोलनिकोव ने कहा।

'आपका मतलब यह है कि मैं अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश में हूँ। आप परेशान न हों रोदिओन रोमानोचिव, मैं यह सब अगर अपने फायदे के लिए कर रहा होता तो इतनी साफ-साफ बात मैंने न की होती। मैं कोई ऐसा बेवकूफ भी नहीं। इस सिलसिले में मैं साफ-साफ मनोविज्ञान की दृष्टि से विचित्र-सी बात सामने लाऊँगा : अव्दोत्या रोमानोव्ना से अपनी मुहब्बत के बारे में सफाई पेश करते हुए, मैंने कहा था कि मैं खुद शिकार बनाया गया था। तो मैं आपको थोड़ी देर पहले बता दूँ कि अब मेरे दिल में मुहब्बत की कोई भावना नहीं है, जरा-सी भी नहीं। यहाँ तक कि इस पर मुझे खुद भी ताज्जुब हो रहा है क्योंकि कभी सचमुच मेरे दिल में इस तरह की एक भावना थी...'

'निठल्लेपन और बदकारी की वजह से...,' रस्कोलनिकोव ने बात काटी।

'मैं यकीनन निठल्ला और बदकार हूँ, लेकिन आपकी बहन में कुछ ऐसी खूबियाँ जरूर हैं कि मुझ पर भी उनका गहरा असर पड़े बिना नहीं रहा। लेकिन जैसा कि अब मैं खुद समझ चुका, वह सब बकवास था।'

'यह बात समझे आपको क्या बहुत अरसा हो गया?'

'इसका कुछ-कुछ एहसास तो पहले भी होने लगा था, लेकिन पक्का यकीन अभी परसों हुआ, यहाँ पीतर्सबर्ग पहुँचते ही। मास्को में तो मैं यही सोचा करता था कि मैं यहाँ अव्दोत्या रोमानोव्ना से अपनी शादी पक्की करने की कोशिश करने और मिस्टर लूजिन का पत्ता काटने के लिए आ रहा हूँ।'

'माफ कीजिएगा, आपकी बात मैं काट रहा हूँ : लेकिन बराय मेहरबानी अपनी बात थोड़े में कहिए और साफ-साफ बताइए कि आप यहाँ किसलिए आए। मुझे जल्दी है, बाहर जाना है...'

'बहुत खुशी से। यहाँ पहुँच कर और... एक सफर पर जाने का इरादा करके, मैं पहले कुछ जरूरी तैयारियाँ कर लेना चाहता था। अपने बच्चों को मैं उनकी चाची के पास छोड़ आया हूँ। उनके पास भरपूर पैसा है; और उन्हें निजी तौर पर मेरी कोई जरूरत भी नहीं। फिर मैं कोई बहुत अच्छा बाप भी तो नहीं। मार्फा पेत्रोव्ना ने साल भर पहले मुझे जो कुछ तोहफे में दिया था उसे छोड़ मैंने अपने लिए कुछ भी नहीं लिया। मेरे लिए बस उतना ही काफी है। माफ कीजिएगा, मतलब की बात पर मैं अभी आता हूँ। सफर पर जाने से पहले, जिस पर शायद मैं चला ही जाऊँ, मैं मिस्टर लूजिन से भी हिसाब बेबाक कर लेना चाहता हूँ। ऐसा नहीं कि मुझे उनसे कोई खास ज्यादा नफरत हो, लेकिन बात यह है कि मार्फा पेत्रोव्ना से मेरा झगड़ा उन्हीं की वजह से हुआ था, जब मुझे यह पता चला था कि उन्होंने ही यह शादी तय कराई है। अब मैं आपको बीच में ला कर और आप चाहें तो आपकी मौजूदगी में, अव्दोत्या रोमानोव्ना से उनको यह समझाने के लिए मिलना चाहता हूँ कि उन्हें मिस्टर लूजिन से नुकसान छोड़ कभी कोई फायदा नहीं होगा। फिर तमाम पिछली बदमजगियों के लिए उनसे माफी माँग कर मैं उन्हें तोहफे के तौर पर दस हजार रूबल देना चाहता हूँ ताकि मिस्टर लूजिन के साथ रिश्ता तोड़ने में मदद मिले। मैं समझता हूँ कि उन्हें अगर इसका कोई रास्ता दिखाई दे तो उन्हें यह रिश्ता तोड़ने में खुद भी कोई एतराज नहीं होगा।'

'आप यकीनन पागल है,' रस्कोलनिकोव चीखा। उसे गुस्सा उतना नहीं आ रहा था जितना कि ताज्जुब हो रहा था। 'आपकी इस तरह की बातें कहने की हिम्मत कैसे हुई!'

'मैं जानता था कि आप मुझ पर चीखेंगे। लेकिन पहली बात यह है कि मैं कोई बहुत अमीर तो नहीं हूँ पर ये दस हजार रूबल मैं नहीं चाहता, यानी मुझे उनकी कोई जरूरत सचमुच नहीं है। अगर अव्दोत्या रोमानोव्ना उन्हें नहीं लेंगी तो मैं बेवकूफी के किसी और हीले से इन्हें बर्बाद कर दूँगा। यह तो रही पहली बात। दूसरे, मेरा दिल एकदम साफ है और यह रकम दे कर मैं कोई अपनी गरज पूरी करना नहीं चाहता। आप इस पर यकीन तो नहीं करेंगे, लेकिन आपको और अव्दोत्या रोमानोव्ना को आगे चल कर पता चलेगा। बात यह है कि मेरी वजह से आपकी बहन को, जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूँ, जरूर कुछ परीशानी हुई है, मेरी कुछ बातें उन्हें बुरी लगी हैं, और इसलिए, इस बात पर दिली अफसोस करते हुए मैं - उस बदमजगी का हर्जाना देने के लिए नहीं, बल्कि महज उनका कुछ भला करने के लिए - यह बताना चाहता हूँ कि मैंने लोगों को नुकसान पहुँचाने का कोई ठेका नहीं ले रखा। यह रकम पेश करने के पीछे अगर मेरी जरा-सी भी खुदगरजी होती तो मैं इस तरह खुलेआम यह रकम न देता, और सिर्फ दस हजार देने की बात तो यकीनन नहीं करता, जबकि अभी बस पाँच हफ्ते पहले मैं उन्हें इससे बहुत ज्यादा देने को तैयार था। इसके अलावा, बहुत जल्द ही मैं शायद एक लड़की से शादी कर लूँ, और अकेली यही बात इसका हर शक दूर करने के लिए काफी होनी चाहिए कि अव्दोत्या रोमानोव्ना के बारे में मेरे दिल में कोई बुरा इरादा पल रहा है। आखिर में, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि मिस्टर लूजिन से शादी करके वह पैसा ही ले रही हैं, फर्क बस यह है कि एक दूसरे आदमी से... आप नाराज न हों रोदिओन रोमानोविच, इसके बारे में ठंडे दिमाग से और शांत हो कर सोचिएगा।'

स्विद्रिगाइलोव ने खुद ठंडे दिमाग से और शांत भाव से ये सारी बातें कहीं।

'बस अब आगे और कुछ न कहिएगा,' रस्कोलनिकोव ने कहा। 'यही बहरहाल इतनी बड़ी गुस्ताखी है कि इसे माफ नहीं किया जा सकता।'

'हरगिज नहीं। अगर ऐसा होता तो कोई भी इनसान इस दुनिया में दूसरे इनसान के साथ बुराई के अलावा कुछ कर भी नहीं पाता। सच तो बल्कि यह है कि उसे तरह-तरह की बेवकूफी भरी सामाजिक परंपराओं की वजह से छोटी-से छोटी भलाई करने का भी अधिकार नहीं होता। यह एक सरासर बेतुकी बात है। फर्ज कीजिए कि मैं मर जाता और अपनी वसीयत में आपकी बहन के नाम यह रकम छोड़ जाता, तो तब भी क्या वह इसे लेने से इनकार कर देतीं?'

'बहुत मुमकिन है कर देती।'

'अरे नहीं! लेकिन अगर वह इसे लेने से इनकार करती हैं तो ऐसा ही सही। दस हजार रूबल की रकम मौका पड़ने पर काफी बड़ी पूँजी होती है। बहरहाल, आपसे मेरी यही दरख्वास्त है कि अव्दोत्या रोमानोव्ना तक मेरा सुझाव पहुँचा दें।'

'जी नहीं, मैं उससे नहीं कहनेवाला।'

'उस सूरत में रोदिओन रोमानोविच, मुझे मजबूर हो कर उनसे खुद मिलने की कोशिश करनी होगी और इससे उन्हें परीशानी ही होगी।'

'और अगर मैं कह दूँ, तो आप मिलने की कोशिश तो नहीं करेंगे?'

'मेरी समझ में सचमुच नहीं आ रहा कि क्या कहूँ। उनसे बस एक बार और मिलने को बहुत जी चाहता है।'

'इसकी उम्मीद छोड़ दीजिए।'

'अफसोस की बात है। लेकिन आप मुझे नहीं जानते। शायद आगे चल कर हम बेहतर दोस्त बन जाएँ।'

'आप क्या यह समझते हैं कि हम दोस्त भी बन सकते हैं?'

'क्यों नहीं?' स्विद्रिगाइलोव ने मुस्करा कर कहा। वह उठा और अपनी हैट उठा ली। 'आपको किसी भी तरह परेशान करने का कोई इरादा मेरा नहीं था और मैं यहाँ कोई भारी उम्मीद ले कर भी नहीं आया था... यूँ आज सुबह आपकी सूरत देखते ही मुझ पर बहुत गहरा असर पड़ा था।'

'आज सुबह मुझे आपने कहाँ देख लिया?' रस्कोलनिकोव ने बेचैन हो कर पूछा।

'आपको यूँ ही इत्तफाक से देखा... मैं सोचता रहा हूँ कि आपमें कोई बात मेरी जैसी है... लेकिन आप परेशान न हों। मैं दूसरों के मुआमलों में दखल नहीं देता। पत्तेबाजों से मेरी गाढ़ी छना करती थी, और राजकुमार स्विरबेय मेरी बातों से कभी नहीं उकताते थे; वे एक बहुत बड़ी हस्ती हैं और मेरे दूर के रिश्तेदार भी लगते हैं। मैंने मादाम प्रिलूकोवा की एल्बम में रफाएल की मैडोना के बारे में भी लिख दिया, और सात साल तक मार्फा पेत्रोव्ना का साथ मैंने नहीं छोड़ा। किसी जमाने में मैं भूसामंडी में वियाजेम्स्की के घर में रात-रात भर ठहरता था और मैं बेर्ग के साथ गुब्बारे में बैठ कर उड़ने भी जा सकता हूँ... शायद।'

'अच्छी बात है। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि अपनी यात्रा पर आप क्या जल्दी ही जानेवाले हैं?'

'कौन-सी यात्रा?'

'अरे, वही सफर; आपने खुद ही तो कहा था।'

'सफर अरे, हाँ। मैंने तो सचमुच सफर पर जाने की बात की थी। हाँ, यह एक बहुत बड़ा सवाल है... काश आप जानते होते कि आप क्या पूछ रहे हैं,' उसने कहा और अचानक जोर-से पर थोड़ा-सा हँसा। 'सफर पर जाने की बजाय शायद मैं शादी कर लूँ। लोग मेरी शादी कराने की कोशिश कर रहे हैं।'

'यहाँ'

'जी।'

'इसके लिए आपको वक्त कैसे मिला?'

'लेकिन अव्दोत्या रोमानोव्ना से बस एक बार मिलने को मेरा जी बहुत चाहता है। मैं आपसे सच्चे दिल से इस बारे में प्रार्थना करता हूँ। खैर, इस वक्त मैं चलता हूँ। हाँ, एक बात मैं भूल ही गया। रोदिओन रोमानोविच, अपनी बहन से कहिएगा कि मार्फा पेत्रोव्ना ने अपनी वसीयत में उन्हें याद किया है और उनके नाम तीन हजार रूबल छोड़े हैं। यह बात एकदम पक्की है। मार्फा पेत्रोव्ना मरने से हफ्ताभर पहले इसका बंदोबस्त कर गई थीं, और यह काम मेरे सामने किया था। अव्दोत्या रोमानोव्ना को यह रकम दो या तीन हफ्ते में मिल जाएगी।'

'आप सच बोल रहे हैं?'

'हाँ, उनसे कह दीजिएगा और मेरे लायक कोई खिदमत हो तो मैं हाजिर हूँ। मैं यहाँ से बहुत करीब ही रहता हूँ।'

बाहर जाते हुए दरवाजे पर स्विद्रिगाइलोव रजुमीखिन से टकरा गया।