गोरे, काले धूसर रंग के प्राणी रंगभेद आज भी है कायम / जयप्रकाश चौकसे

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गोरे, काले धूसर रंग के प्राणी रंगभेद आज भी है कायम
प्रकाशन तिथि : 12 जनवरी 2021


संसार के प्राणियों की त्वचा के रंग अलग-अलग होते हैं। पशु-पक्षियों में रंगभेद का कोई विवाद नहीं होता। पशु-पक्षियों में बड़ा भाईचारा होता है। कौआ, कोयल के लिए घोंसला बनाता है। ‘टार्ज़न’ की किवदंती में एक मानव शिशु का पालन-पोषण जानवर करते हैं। ‘किंगकांग’ किवदंती में विराट चिंपांजी को एक औरत से प्रेम हो जाता है। ज्ञातव्य है कि सबसे जूनियर सहायक निर्देशक महिला के सुझाव पर ‘किंगकांग’ फिल्म में प्रेम-कथा गूंथी गई है। ‘किंगकांग’ तीन बार बनाई गई है और हमेशा सफल रही है। ‘टार्ज़न’ फिल्म शृंखला में भी प्रेम कथा शामिल रही है। जानवरों द्वारा पाले-पोसे ‘टार्ज़न’ के मुंह से निकले पहले शब्द थे, ‘यू जेन, आई लव यू, मी टार्ज़न।

मनुष्यों में रंगभेद रहा है। अमेरिका में रंगभेद आज भी जारी है। बराक ओबामा पहले अश्वेत प्रेसिडेंट चुने गए थे। उनकी पत्नी मिशेल द्वारा लिखी किताब में पति-पत्नी को कितना संघर्ष करना पड़ा इसका मार्मिक विवरण प्रस्तुत किया गया है। ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेता सिडनी पॉयटर अभिनीत फिल्म ‘गैस हू इज कमिंग टू डिनर’ श्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। कहानी में एक श्वेत कन्या अपने माता-पिता से कहती है कि रात उसने मेहमान को भोजन पर आमंत्रित किया है। पिता जज है और उन्हें श्वेत-अश्वेत झड़प में श्वेत व्यक्ति द्वारा मारे गए अश्वेत के मुकदमे का फैसला सुनाना है। जज महोदय की पत्नी विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाती हैं और वर्तमान में अब्राहम लिंकन प्रेरित गृह युद्ध पढ़ा रही हैं। उनके घर भोजन बनाने का कार्य एक अश्वेत व्यक्ति करता है और परिवार का सदस्य माना जाता है। रात का मेहमान और अश्वेत आर्मी मेजर है जो अगले दिन ही विदेश जा रहा है जहां अमेरिका के दूतावास में उसे विशेष ओहदा दिया गया है। माता-पिता ने यह नहीं सोचा था मेहमान अश्वेत होगा। उनकी पुत्री इस अश्वेत व्यक्ति से विवाह करना चाहती है। इस फिल्म का अश्वेत भोजन पकाने वाला व्यक्ति अश्वेत मेहमान से कहता है कि वह परिवार की शांति भंग करने क्यों आया है? इस तरह की शांति जीवन मूल्यों से किया गया सुविधाजनक समझौता मात्र होता है। सतह के नीचे एक सुशुप्त अवस्था में पड़ा ज्वालामुखी रहता है। घटनाएं इतिहास के अध्यापक के घर हो रही हंै। क्या अध्यापक कभी अपने छात्रों को बाकी इतिहास के अलिखित अध्याय को पढ़ाएंगी?

रंगभेद आज भी कायम है। ऑस्ट्रेलिया में भारत की टीम पांच दिवसीय टेस्ट खेल रही है। मैच को अनिर्णित रखने के लिए भारतीय बल्लेबाज़ों को पूरा दिन खेलना था। भारतीय बल्लेबाज़ों ने मात्र 5 विकेट खोकर 330 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया में इसी मैच के चौथे दिन दर्शक दीर्घा से 4-5 दर्शकों ने भारतीय खिलाड़ियों को अप शब्द कहे। रंगभेद आज भी जीवित है। क्या हुकूमते ऑस्ट्रेलिया इन लोगों को दंड देगी? यह माना जाता है कि सदियों पूर्व इंग्लैंड ने अपनी जेलों में कैद जरायमपेशा अपराधियों को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया। वहां इन्होंने अपनी मेहनत से देश की रचना की। याद आती है शांताराम की फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’। वर्तमान में सबसे कम अपराध ऑस्ट्रेलिया में होते हैं। जब हम दूध को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालते हैं, तब पहले बर्तन के तल में दूध की पतली सी परत रह जाती है जिसे तलछट कहते हैं। वे 5 दर्शक तलछट कहे जा सकते हैं।