चक दे इंडिया टीम की वापसी और साड़ी में फुटबॉल खेला जाना / जयप्रकाश चौकसे

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चक दे इंडिया टीम की वापसी और साड़ी में फुटबॉल खेला जाना
प्रकाशन तिथि : 11 जून 2018


मिलिंद उइके की मराठी भाषा में बन रही फिल्म 'मानसून फुटबॉल' में 11 वर्ष पूर्व बनी आदित्य चोपड़ा की फिल्म चक दे इंडिया के खिलाड़ी वापसी कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 'चक दे इंडिया' में कबीर खान भारतीय लड़कियों की हॉकी टीम के कोच पद पर नियुक्त किए गए हैं। कबीर भारतीय हॉकी टीम के खिला़ड़ी थे और पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए एक मैच में उन पर गद्दारी का आरोप लगा था जिसका कोई प्रमाण नहीं था। मात्र इस्लाम अनुयायी होने के कारण उन पर संदेह किया गया गोयाकि इस तरह की बातें आज पहली बार नहीं हो रही हैं। वर्तमान में तो अपने देश प्रेमी होने के प्रमाण बार-बार देने पड़ते हैं और मात्र संदेह के आधार पर हिंसा की जाती है। चक दे इंडिया में भारतीय खेल जगत में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया गया था। फिल्म में अलग-अलग प्रांत से आई लड़कियां शामिल थीं और उनमें आपसी मतभेद भी थे। दो प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बीच अधिकतम गोल मारने की प्रतिस्पर्धा भी थी। फाइनल के पूर्व कोच कबीर दोनों को बुलाकर समझाता है कि व्यक्तिगत स्पर्धा का त्याग करें और एक टीम की तरह खेलें अन्यथा टीम के शेष नौ खिलाड़ी उन दोनों के खिलाफ खेंलेंगे। कोच कबीर के वहां से जाने के बाद एक युवती कहती है कि उसे उस लड़के को सबक सिखाना है जो अपने आप के सिवा किसी को कुछ नहीं समझता। वह क्रिकेट का खिलाड़ी है और अन्य खेलों के प्रति उसके दिल में कोई सम्मान नहीं है।

फाइनल मैच के अंतिम क्षण में एक भारतीय खिलाड़ी बड़ी आसानी से विजयी गोल दाग सकती थी परन्तु वह बॉल अपनी प्रतिद्वंद्वी सहखिलाड़ी को देती है ताकि वह गोल करके उस घमंडी को सबक सिखा सके। इस तरह वह अधिकतम गोल का पका पकाया अवसर अन्य खिलाड़ी को देते हुए कहती है कि उस घमंडी दुष्ट को सबक सिखा दो कि लड़कियों में कितना दम होता है। इस तरह टीम विजय प्राप्त करती है और कबीर के माथे पर अन्यायपूर्ण ढंग से लगाया गया लान्छन भी धुल जाता है। चक दे इंडिया में सागरिका घाटगे, चित्रासी रावत, विद्या मालवडे ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं अभिनीत की थीं। शाहरुख खान के जीवन में यह भूमिका शिखर स्थान रखती है। फिल्म के सफल प्रदर्शन के बाद भी इन महिला कलाकारों ने एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखा और वे आज बहुत खुश हैं कि एक बार फिर से साथ काम करने जा रही हैं। फिल्म में फुटबॉल का खेल उन्हें पारंपरिक साड़ियां पहनकर खेलना होगा क्योंकि वहां के लोग बमुश्किल लड़कियों को फुटबॉल खेलने की इजाजत देते हैं। कुछ समय पूर्व ही अक्षय कुमार अभिनीत जॉली एल.एल.बी. 2 में नायक उत्तर प्रदेश के एक शहर में पहुंचता है, जहां बुर्का पहने हुए लड़कियां क्रिकेट खेल रही हैं। उनकी प्रतिद्वंद्वी टीम साड़ी पहने हुए है परन्तु शरीर खेल भावना से प्रेरित है और उस पूरे दृश्य में कहीं भी सांप्रदायिकता की हलकी सी झलक भी मौजूद नहीं थी।

यह भी गौरतलब है कि जब 'मानसून फुटबॉल' की शूटिंग प्रारंभ होगी तब रूस में फुटबॉल का विश्वकप प्रारंभ हो चुका होगा। दुनियाभर के फुटबॉल प्रेमी इस चार वर्षीय फुटबॉल कुंभ को देखने वहां पहुंच रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धा की मदद से रूस की गिरती हुई आर्थिक दशा सुधर सकती है। इसके लिए लंबे समय से वहां स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि लैटिन अमेररिका में फुटबॉल सबसे अधिक लोकप्रिय खेल है। जब खिलाड़ी पेले ने उन्हें तीसरी बार विश्वकप दिलाया था, तब ब्राजील की हर दुकान पर यह निमंत्रण अंकित किया गया था कि पेले आकर कुछ भी पसंद करें, उनसे कीमत नहीं ली जाएगी। पेले के बाद मैराडोना अत्यंत लोकप्रिय खिलाड़ी हुए, फाइनल मैच में गेंद उनके हाथ को छू गई थी परन्तु रैफरी नहीं देख पाया और उनके द्वारा दागा हुआ गोल जायज करार दिया गया। बाद में उन्होंने कहा कि वह ईश्वरीय वरदान था। वाह क्या मासूमियत है कि मनुष्य अपनी भूल भी ईश्वर के माथे पर जड़ देता है।

भारत में केवल गोवा और कोलकाता में फुटबॉल का जुनून है। सच तो यह है कि फुटबॉल एक सस्ता खेल है, इस में एक गेंद मात्र की आ‌वश्यकता होती है। भारत की आर्थिक दशा ऐसी है कि हमें फुटबॉल पर ही ध्यान देना चाहिए। परन्तु क्रिकेट के जुनून ने अन्य खेलों को हाशिये में डाल दिया है। यह भी गौरतलब है कि क्रिकेट प्रेमी दर्शक विदेशी मैदानों पर बियर पीते हुए मैच का लुत्फ उठाते हैं जबकि फुटबॉल के दीवाने रम पीते हैं।

यह कितना अजीब है कि खेल ही तय करता है कि उसके शौकीन दर्शक कैसा आचरण करें या क्या पीयें। क्रिकेट के दर्शक आपस में लड़ते नहीं हैं परन्तु फुटबॉल के दर्शक दंगा-फसाद पर भी उतर आते हैं। क्रिकेट को भद्र पुरुष का खेल कहा जाता है और फुटबॉल मर्दान्गी से जुड़ा है परन्तु इस मराठी भाषा में बन रही फिल्म में लड़कियां इस जेंडर भेद के हौवे को समाप्त कर देंगी।