तसनीम खान / परिचय

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तसनीम खान एक प्रतिष्ठित लेखिका और पत्रकार हैं, जिन्होंने साहित्य और पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान देकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

उनकी साहित्यिक यात्रा उपन्यासों, कहानियों और संपादन कार्यों से समृद्ध रही है। उनका उपन्यास 'हमनवाई न थी' हाल ही में सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुआ, जबकि उनका पहला उपन्यास 'ऐ मेरे रहनुमा' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ था और इसे 2015 नवलेखन पुरस्कार के तहत अनुशंसित किया गया था। इस उपन्यास का 2021 में अंग्रेजी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित किया गया, और यह एक पीएचडी और एक एमफिल शोध का विषय भी रह चुका है। उनकी कहानियों को भी व्यापक पहचान मिली है, जिनमें 'मेरे हिस्से की चांदनी' का अंग्रेजी अनुवाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित हुआ, और 'खामोशियों का रंग नीला' का उर्दू अनुवाद पाकिस्तान के एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

तसनीम खान को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ युवा लेखन अनुशंसा, 2021 में प्रगतिशील लेखक संघ राजस्थान का ‘शाकुंतलम’ सम्मान, 2019 में नाराकास चंदरबरदाई युवा सम्मान, और 2022 में राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति, श्री डूंगरगढ़ का सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार शामिल हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्हें 2021 और 2024 में लाडली मीडिया अवॉर्ड से नवाजा गया है।

संपादन के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के लिए 'हौसलों की उड़ान' नामक बाल साहित्य संकलन का संपादन किया, साथ ही राजस्थान साहित्य अकादमी के लिए 'राजस्थान के युवा स्वर' पुस्तक का भी संपादन किया।

अपने प्रभावशाली लेखन और पत्रकारिता के माध्यम से, तसनीम खान साहित्य और समाज को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।