प्रथम संस्करण का वक्तव्य / विश्वप्रपंच / एर्न्स्ट हेक्केल / रामचंद्र शुक्ल

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आज जर्मनी के जगविख्यात प्राणितत्ववेत्ता हैकल की परम प्रसिद्ध पुस्तक 'रिडल् आव् द यूनिवर्स' हिन्दी पढ़नेवालों के सामने रखी जाती है। यह अनात्मवादी आधिभौतिक पक्ष का सिद्धांत ग्रंथ है। इसमें नाना विज्ञानों से प्राप्त उन सब तथ्यों का संग्रह है जिन्हें भूतवादी अपने पक्ष के प्रमाण में उपस्थित करते हैं। जिस समय यह ग्रंथप्रकाशित हुआ युरोप में इसकी धुम सी मच गई। अकेले जर्मनी में दो महीने के भीतर इसकी 9000 प्रतियाँ खप गईं। युरोप की सब भाषाओं में इसके अनुवाद निकले। अंग्रेजी की तो लाखों कॉपियाँ पृथ्वी के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक पहुँच गईं। इस पुस्तक ने सबसे अधिक खलबली पादरियों के बीच डाली जिनकी गालियों से भरी हुई सैकड़ों पुस्तकें इसके प्रतिवाद में निकलीं। पुस्तक में आधुनिक दर्शन और विज्ञान से सम्बन्ध रखनेवाली जिन जिन बातों का उल्लेख है उन सब की थोड़ी बहुत चर्चा भूमिका में इसलिए कर दी गई है जिसमें अभिप्राय समझने में सुविधा हो। पुस्तक के भीतर भी स्थान स्थान पर टिप्पणियाँ लगा दी गई हैं।

भाषा के सम्बन्ध में इतना कह देना अनुचित न होगा कि उसे केवल हिन्दी या संस्कृत जाननेवाले भी अपनी विचारपद्धति के प्राय: अनुरूप पाएँगे। कौन सा वाक्य किस अंग्रेजी वाक्य का अक्षरश: अनुवाद है इसका पता लगाने की जरूरत किसी को न होगी।