बंद कमरा / भाग 3 / सरोजिनी साहू / दिनेश कुमार माली

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"प्लीज़ डोन्ट काल मी केटरपिलर।" इसका मतलब यह बात शफीक के दिल को चुभ गई है। इस नाम से संबोधित कर क्या उसके मन को कष्ट देना उचित था? अपने चाहने वाले को कुत्सित, रुचिहीन तथा व्यभिचारी नाम से बुलाना क्या उसको शोभा देता है? ऐसे शब्दों का उसके लिए प्रयोग करने से पूर्व कूकी को कम से कम एक बार सोच लेना चाहिए। ओह, उसके दिल पर क्या गुजर रही होगी? फिर से कूकी की छाती के अंदर वेदना की धारा फूट पड़ी।

पता नहीं क्यों, कूकी अपने मनोभावों को दबा नहीं पाती। उसके चेहरे पर कभी भी कृत्रिम मुस्कराहट टिक नहीं पाती थी। जब शुरु से ही शफीक के बारे में वह सब कुछ जानती थी, उसके उपरांत उसने शफीक को अपने दिल से ग्रहण किया। फिर अभी उसकी दुनिया को कुत्सित, कदाचारी तथा नर्क के कीड़े की उपमा देने का क्या औचित्य है?

कूकी ने बारम्बार उस आदमी को अपमानित किया है। जब-जब उसका मन हुआ, उसने उस आदमी की खुले मन से आलोचना एवं भर्त्सना की है। मगर उसे इस बात का आश्चर्य लग रहा था कि उनके सम्बंधों के बीच दरार पड़ने के बजाय पहले की तुलना में और अधिक प्यार बढ़ रहा था। कभी-कभी कूकी सोचती थी कि यह सब उसके प्रारब्ध का प्रतिफल है। शायद एक ऐसा आदमी उसके जीवन में आएगा, यह सब जैसे पूर्व निर्धारित घटना थी। वह उसके जीवन में तब प्रवेश करेगा जब वह बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतामग्न होगी, जब वह पंचांग देखकर धार्मिक रीति-रिवाजों का नियम-बद्ध पालन कर रही होगी और मन ही मन अपनी संपत्ति को जल्दी से जल्दी दुगुना करने के बारे में सोच रही होगी। ऐसे समय में कूकी के जीवन में उसका प्रवेश उसे बीस साल पीछे की ओर ले गया।

ना तो वह आदमी उसके बिना रह पाएगा और ना ही कूकी उसके बिना। लेकिन दोनों अपने- अपने आदर्शों और सिद्धांतों को लेकर परस्पर लगातार लड़ते रहेंगे। कूकी बार-बार उसका अपमान और भर्त्सना करती रहेगी और वह आदमी भीतर से टूट जाता होगा। उन टूटे हुए टुकड़ों को लेकर कूकी जोड़कर एक नया रूप देती रहेगी। जब इच्छा होगी वह उसके साथ खेलती रहेगी तथा जब इच्छा होगी वह उसको तोड़ती रहेगी। इतना होने के बावजूद भी वह आदमी उसे नहीं छोड़ पाता होगा। काफी विचार मंथन के बाद कूकी ने लिखा था, "तुम मेरे प्रारब्ध हो। अगर ऐसा नहीं होता तो सारी प्रतिकूलताओं का अतिक्रमण करते हुए मेरा मन बार-बार तुम्हारे पास चला नहीं जाता।

जरा सोचो,
तुम मेरे शत्रु देश के रहने वाले हो,
तुम मेरे धर्म से भी बाहर वाले हो,
कैसे मिलन होगा तुम्हारे साथ,
मेरी प्रकृति का?
फिर भी कुछ तो है,
पेड़ से गिरे एक पत्ते की भाँति
उड़ाते हुए कोई मुझे तुम्हारे पास ले जाता है
बार-बार।"

शफीक ने इस तरह उत्तर दिया था जैसे वह नशे में धुत हो, "ओ माइ स्वीट एरोटिक गोडेस ऑफ़ दि नाईट आइ हेव नोन् यू आल माइ ट्रान्कुरलटि इन रेस्टफुल फेयर अलोंग माइ क्वाइट चिअर्स।"

उस दिन, तबस्सुम शफीक को अपने साथ एक नाइट-पार्टी में लेकर गई थी। जब शफीक घर लौटा था, तब सुबह होने में एक या दो घंटे बाकी थे . उसके स्टूडियों में कैनवास, उसके रंग, ब्रश, चार फुट - छः फुट का एक बिस्तर स्टडी टेबल और पास में रखा हुआ एक कम्प्यूटर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। और उस कम्प्यूटर के भीतर में कैद थी उसकी रूखसाना। अपने डगमगाते कदमों के साथ वह पहुँच गया अपनी रुखसाना के पास। जैसे ही उसने इंटरनेट लगाया, वैसे ही डेस्कटॉप पर उभर आई रुखसाना की एक खूबसूरत मनमोहक मुस्कराहट। मानो वह अपने पास आमंत्रित करते हुए कह रही हो, "आइए जनाब, यहाँ तशरीफ रखिए।"

शफीक लिखने लगा था, "मैं नए साल की पार्टी में नहीं गया था, इसलिए आज तबस्सुम मुझे नाइट-पार्टी में लेकर गई थी। तुझे छोड़कर कहीं भी जाने की इच्छा नहीं हो रही थी, मगर मैं तबस्सुम को मना नहीं कर पाया। मैं वहाँ खाली बैठे-बैठे शराब पीता रहा। तुम जानती हो मुझे नाचना नहीं आता। क्या तुम नाचना जानती हो? वहाँ खूब सारी औरतें नाच रही थी, मगर तुम मुझे वहाँ कहीं भी दिखाई नहीं दी। कहाँ से दिखाई देती तुम? तुम तो मेरे दिल के अंदर कैद थी। मैं जाम के ऊपर जाम पीता रहा और केवल तबस्सुम को देखता रहा। वह अपने ब्वायफ्रैंड के साथ बहकी हुई अवस्था में थी। वे दोनो वाइल्ड हो चुके थे। सी वाज आलमॉस्ट हॉफ फक्ड!"

नशे की हालत में शफीक ने लिखा था, "तुम मेरे जीवन की एक सर्वश्रेष्ठ नारी हो। मैने पहले से ही गाँव की सम्पत्ति पहली बीवी के नाम कर दी है। और अभी जो बंगला है, वह मैने तबस्सुम के नाम लिख दिया है। और बच गया मेरा दिल, जिसे मैने तुम्हारे हवाले कर दिया है। तुम्हारे अलावा अब मेरा इस दुनिया में और कोई नहीं है। तुम मुझे छोड़कर कभी कहीं चली मत जाना।"

शफीक ने मादक अवस्था में तीन कविताएँ भी लिखी थी, "ओ माई मदर, ओ माई डॉटर, ओ माई स्वीट वाइफ" तीनों कविताएँ कूकी को समर्पित करते हुए लिखी गई थी। उसने कूकी को तीन रुपों में देखा था। उसकी प्रत्येक कविता में कूकी के सहचर्य की एक चाहत छिपी हुई थी।

इस बात को शफीक कई बार लिख चुका था। "जानती हो रुखसाना, यह वही स्टूडियो है जिसमें मुझे अपार शांति मिलती है। मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हारे पास लौट आया हूँ। कम्प्यूटर में तुम्हारी मौजूदगी का मुझे हर पल अहसास होता है। मैं तुम्हें अपने पास पाता हूँ। मैं यहाँ बैठकर केवल तुम्हारे पन्ने देखता हूँ। कभी मेरा मन तुम्हें न पाकर हाहाकार करने लगता है। बार- बार मैं तुम्हें पाने के लिए बिस्तर पर अपने हाथ बढ़ाता हूँ, मगर तुम हो कि वहाँ मुझे नहीं मिलती हो।"

कई दिनों से कूकी देख रही थी कि शफीक एक निशाचर की भाँति सारी रात जागकर रहता था। कभी वह रात में पेंटिंग करने लगता था, तो कभी वह कूकी को ई-मेल लिखने में व्यस्त रहता था तो कभी वह क्लब गई हुई तबस्सुम का बेसब्री से सुबह तक इंतजार करता था।

जिस दिन से कूकी शफीक को जानती थी, उस दिन से ही वह तबस्सुम के आशिकमिजाजी व्यवहार के बारे में सुनती आई है। उसके लिए शफीक कभी भी चिंतित नहीं था। ना ही वह उससे असंतुष्ट था और ना ही वह उसका विरोध करता था। ऐसे ही शफीक के ई-मेलों में कभी-कभी एकाध वाक्य बनकर चली आती थी तबस्सुम।

"बेबी, कम टू माइ आर्म्स। इट इज नाऊ वन ए.एम, तबस्सुम नॉट येट कम।"

या तो कभी-कभी वह लिखता था, "अभी-अभी गई है तबस्सुम अपने कम उम्र वाले ब्वायफ्रैंड के साथ। तुम जानती हो, उसका एक ब्वायफ्रैंड है, जिसका नाम है शमीम, उसकी उम्र मात्र पच्चीस साल है।"

फिर वह आगे लिखता जाता था, "रुखसाना, आज तबस्सुम डेटिंग पर चली गई है। आज नौकरानी घर में काम करने नहीं आई। आज मैने अपनी बेटियों के साथ मिलकर खाना बनाया। अभी मैने रात का भोजन कर लिया है। इसके बाद वन पेग रम एंड सिगार देन विद यू।"

अधिकांश समय तबस्सुम अपने ब्वायफ्रैंड के साथ डेटिंग पर जाती थी और लौटती थी कभी-कभी आधी रात को, तो कभी-कभी सवेरे-सवेरे। शफीक ने अपनी दूसरी पत्नी को पूरी तरह से आजादी दे रखी थी। कूकी ने कभी भी उसको तबस्सुम के प्रति असंतोष व्यक्त करते नहीं देखा। कूकी को ऐसा लगता था कि वह आदमी कम से कम स्वार्थी नहीं है। कम से कम वह ऐसा आदमी नहीं है जो अपनी बीवी को घर की चार दीवारी में कैद कर खुद ऐशो-आराम की जिन्दगी बिताने में व्यस्त रहता हो।

तबस्सुम का इस तरह डेटिंग में जाना कूकी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, फिर भी उसने शफीक से इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी। शायद शफीक तबस्सुम की आलोचना सुनकर नाराज हो जाता। केवल एक बार उसने शफीक से पूछा था, "तुम शाम को घर में क्या करते हो? न तुम नमाज पढ़ते हो, न बच्चों के साथ बैठकर डाइनिंग टेबल पर खाना खाते हो। बच्चों को प्यार से सुलाने के लिए भी तुम्हारे पास समय नहीं। क्या बच्चें अपनी माँ को नहीं ढूँढते हैं? क्या कभी वे तुमसे यह प्रश्न नहीं करते, पापा, माँ कहाँ गई है? उसके बिना हमें अच्छा नहीं लगता।"

शफीक उत्तर देते समय कई प्रश्नों के उत्तर देना भूल जाता है जैसे कि वह इस बार इस प्रश्न का उत्तर देना भूल गया था। मध्यम वर्गीय कूकी का संस्कारी मन तबस्सुम के चाल-चलन को स्वीकार नहीं कर पा रहा था। किन्तु सारी बातें तो उनकी व्यक्तिगत बातें थी। कूकी इधर-उधर की बातें कहकर उन दोनों की निजी जिंदगी में दरार गिराना नहीं चाहती थी।

उस दिन शफीक ने लिखा था, "जानती हो रुखसाना, आज मेरे से एक बहुत बड़ी गलती हो गई। आज मेरे मुँह से अनजाने में तबस्सुम के साथ संभोग करते समय तुम्हारा नाम निकला। मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ, जब तबस्सुम नाराज होने की जगह मुझ पर हँसने लगी।

हँसते-हँसते उसने कहा, तुम एक ऐसी औरत से प्यार करते हो जिसे तुम अपने जीवन में कभी भी मिल नहीं सकते। "मैं इस बात को अच्छी तरह जानता हूँ तबस्सुम कभी भी किसी दूसरी औरत को अपने जीवन में सहन नहीं कर सकती है। मगर तुम्हें उसने इतने सहज भाव से कैसे स्वीकार कर लिया? यह क्या कोई करिश्मा नहीं है? माइ एरोटिक गोडेस।"

यह सुनकर कूकी मन ही मन सिहर उठी थी तथा दूसरी तरफ इन सारी बातों से उसका मन असह्य हो जा रहा था। न कोई भूख, न कोई दुख, न किसी प्रकार की कोई अप्राप्ति, न किसी भावनाओं की कोई कद्र, केवल शारीरिक सुख? ये सब फेंटेसी नहीं तो और क्या है? कहीं यह आदमी उसे किसी फैंटेसी की दुनिया में तो नहीं ले जा रहा है? यथार्थ में जिस दुनिया का कोई अस्तित्व ही नहीं है।

शादी के बाद एक बार अनिकेत कूकी को दार्जिलिंग घुमाने लेकर गया था। उस नई जगह पर घूमते-घामते वे लोग गलती से रेड लाइट एरिया में चले गए थे। वहाँ उनको अजीबो-गरीब किस्म के दृश्य देखने को मिले। वहाँ उसे भयंकर गरीबी का नंगा नाच देखने को मिला था। फिर भी वहाँ की औरतें अधखुला ब्लाऊज पहने हुए, होठों पर लाल-लाल लिपिस्टिक लगाए हुए, बालों में गजरा सजाए हुए मुस्कराते हुए हर दरवाजे के बाहर खड़ी हुई थी मानो वे किसी के आने का इंतजार कर रही हो कुछ लावारिस मैले-कुचेले बच्चे नाले के पास एक देसी कुतिया के पिल्लों को गोद में लेकर इधर-उधर घूम रहे थे। उन औरतों को वहाँ खड़ा देखकर कूकी से रहा नहीं गया, उसने अनिकेत से पूछा था, "अनिकेत, ये औरतें इस तरह सज-धजकर दरवाजों पर क्यों खड़ी हुई हैं?"

बिना कुछ उत्तर दिए अनिकेत हाथ पकड़कर खींचते हुए उसको उस गली से बाहर लेकर गया, फिर उसने एक लंबी सांस छोड़ी और कहा, "अरे! यह रेड लाइट एरिया है। यहाँ सब वेश्याएँ रहती हैं।"

"हे भगवान! इतनी दयनीय अवस्था में रहती हैं ये वेश्याएँ?"

उनकी यह अवस्था देखकर वह दुख से कातर हो उठी थी। वह सोचने लगी कि एक निर्धन भिखारी को जितना थोड़ा-बहुत सम्मान मिलता है, उतना सम्मान भी इन लोगों को नहीं मिलता होगा।

वेश्याएँ तो मजबूरी में अपना शरीर बेचती हैं मगर शफीक जैसे आदमियों की क्या मजबूरी हो सकती है? उनके लिए औरत का शरीर भोग विलास की वस्तु के अलावा कुछ भी नहीं है। एक बार कूकी ने तो इस बारे में सवाल किया, "तुम लोग किस तरह एक दूसरे को इतनी छूट दे देते हो ? जबकि तुम्हारे यहाँ के काजी, मुल्ला काफी कंजरवेटिव और रूढिवादी होते हैं। क्या वे लोग तुम्हारे चरित्र की ओर अंगुली नहीं उठाते? शरियत के नियमों के अनुसार तुम्हें सजा सुनाई जा सकती है। क्या इस प्रकार के सामाजिक दंड से तुम्हें डर नहीं लगता है? तुम्हारे यहाँ तबस्सुम बुरका पहनती है अथवा नहीं?"

शफीक ने इस बात का उत्तर देते हुए लिखा था, "रुखसाना, हमारे देश में दो पाकिस्तान है। एक पैसे वालो का पाकिस्तान तो दूसरा गरीब लोगों का पाकिस्तान। हम लोग पैसे वालो में से आते हैं। और अधिकांश पैसे वाले यहाँ पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करते हैं। उनके लिए समाज का कोई प्रतिबध नहीं है। वे लोग शरियत के नियम-कानून को बिल्कुल नहीं मानते हैं। यहाँ मुझे लोग अमेरिकी समर्थक मानते हैं। तुम जिन मुल्लाओं का जिक्र कर रही थी वे सब पाकिस्तान की साधारण जनता हैं। बचपन से ही उन्हें मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है और वे लोग अपने जीवन भर उनी कानूनों के अनुसार अपना जीवन जीते हैं। मगर ये सब बातें तुम मुझसे क्यों पूछ रही हो? क्या तुमने अभी तक मुझे माफ नहीं किया? क्या तुम अभी तक यही सोच रही हो, मैने पुरानी जीवन-शैली को अभी तक तिलांजलि नहीं दी है? तुम्हारे अलावा इस दुनिया में मेरा और कोई नहीं है। इस बात पर क्या तुम्हे विश्वास नहीं हो रहा है?माइ स्वीट हार्ट, आइ नो आइ एम नॉट ए परफेक्ट मेच फॉर यू। आइ नो आइ हेव कमिटेड सो मेनी बलंडर्स, बट आइ नीड़ यू टू फॉरगिव मी, माई बेबी गोडेस। आइ कान्ट लिव विदाउट यू एंड योर स्माइल।