बंद कमरा / भाग 6 / सरोजिनी साहू / दिनेश कुमार माली

Gadya Kosh से
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"आइ गेज अपोन योर ब्यूटी। आइ थिंक माइसेल्फ नेवर आइ हेव सीन एन एंजिल फ्लाई सो लो।"

शफीक ने लिखा था, "तुम्हारे मेरे जीवन में आने के बाद और कोई तकलीफ नहीं बची है और नहीं कोई दुख।"

शफीक के पागल की तरह लिखे हुए इस ई-मेल को पढ़कर कूकी मन-ही-मन हँसने लगी थी। "काश! सचमुच में मैं एंजिल होती, तो मुझे जीवन में इतना दुख तो झेलना नहीं पड़ता।" उसने शफीक के लिए लिखा था, "जब तुम मुझे स्पर्श करोगे तो तुम्हें पता चलेगा कि मैं भी तुम्हारी तरह हाड़-मांस की बनी हुई एक साधारण इंसान हूँ। सुख-दुख, सफलता-असफलता, पाप-पुण्य आदि मेरे साथ भी ऐसे ही जुड़े हुए हैं। मुझे भी भूख लगती है, प्यास लगती है। मैं भी तरह-तरह की कामनाएँ करती हूँ। मेरी भी कई अभिलाषाएँ शेष हैं। मैं भी दिखावा करती हूँ। कई बार अनिकेत को धोखे में रखती हूँ। मैं भी झूठा दिखावा करते हुए एक सज्जन आदमी का जीवन जीती हूँ जानते हो, देवी की क्या परिभाषा है? जो कुछ दे सकती है, वह देवी है। मैं तुम्हे क्या दे सकती हूँ, कुछ भी तो नहीं।"

कूकी के ई-मेल का उत्तर देते हुए शफीक ने लिखा था,

"दुख इस बात का है,
फरिश्ते स्वर्ग में होते हैं
और वे चमकते हैं
अपने रूहानी प्यार की रोशनी से,
उसी तरह
तुम्हारा प्यार भी एक रोशनी है
जो हर दिन उजाला करता है
उन लोगों के जीवन में
जिन्हें तुम अपने रास्ते जाते हुए देखती हो।"

रुखसाना, तुम तो मेरे चेहरे पर हमेशा के लिए मुस्कराहट ले आई हो। उससे ज्यादा और तुम्हें क्या देना चाहिए? तुमसे मैं कुछ भी बात छुपाना नहीं चाहता क्योंकि तुम एक पल के लिए भी मुझसे अलग नहीं हो। जानती हो, जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो, तब से मैने नाइट क्लब जाना बन्द कर दिया है यहाँ तक ग्रुप सेक्स से भी दूर रहता हूँ। तुम्हारे प्रेम ने ही मुझे जीवन के सुनहरे मार्ग की ओर जाने के लिए प्रेरित किया है। मेरा अब कुछ भी दुख नहीं बचा है। दुख जो बचा है वह केवल तबस्सुम के लिए। तुम तो यह भी अच्छी तरह जानती हो, मैने ही उसको इतनी छूट दे रखी है। जब उसकी इच्छा हुई है, वह अपने ब्वायफ्रैंड के साथ डेटिंग पर गई है। मैं उसके रास्ते में कभी भी रुकावट नहीं बना। मगर उससे ग्लैमर की इस चमचमाती दुनिया में एक आदमी को पहचानने में एक बहुत बड़ी गलती हो गई। जिसकी वजह से वह आज तकलीफ उठा रही है। सी इज क्लच्ड बाय ए मिलिटेरी मेन। कुछ महीने पहले तबस्सुम के उस आदमी के साथ अवैध संबंध स्थापित हो गए थे। कई बार उसके साथ वह डेटिंग पर गई थी। लेकिन वह आदमी बड़ा ही चालाक था। तबस्सुम के भोलेपन का फायदा उठाते हुए एक दिन उस आदमी ने तबस्सुम को अपने बॉस के पास उपहार स्वरुप भेज दिया। मगर तबस्सुम उसके लिए मानसिक रुप से तैयार नहीं थी। उसकी इस घटना ने उसे भीतर से बुरी तरह तोड़ दिया। घटना के उस दिन के बाद तबस्सुम घर से और कभी बाहर नहीं निकली। काफी दिनों तक वह डिप्रेशन का शिकार रही। वह केवल एक जिंदा लाश बनकर रह गई थी। उसको हाथ लगाने से भी मुझको डर लगने लगा था। उसकी इतनी बुरी हालत और मुझसे बरदाश्त नहीं हो रही थी। मुझे अपने आप से नफरत होने लगी थी। इधर वह बदमाश बार-बार उसे फोन करके अपने पास बुलाता था। मगर तबस्सुम उसके पास जाने के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हो रही थी। मगर वह दुष्ट मिलिटरी मैन किसी भी हालत में तबस्सुम को पाना चाहता था।

उसने बहुत बार कोशिश की, मगर हर बार वह असफल रहा। तब उसने क्या किया, जानती हो? उसने मुझे ब्लैकमेल करना शुरु किया। वह सोच रहा था कि मुझे ब्लैकमेल करने से मजबूर होकर तबस्सुम उसके पास जाएगी।

रुखसाना, जानती हो, वह आदमी मुझे किस तरह से ब्लैकेल कर रहा था? वही दो साल पुराना मेरा केस जो ठंडे बक्से में पड़ा हुआ था। वही लड़की जो पेंटिंग के लिए मेरी मॉडल थी, जिसने बाद में शादी करली और अपना घर-संसार बसा लिया। उस आदमी के बहकावे में आकर उसने फिर से मेरे खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाकर एक शिकायत दर्ज करवाई है। वह सोच रहा था, मुझे ब्लैकमेल करने से मैं परेशान होकर तबस्सुम को उसके पास भेज दूँगा। तुम्हें तो वह बात अच्छी तरह याद होगी, इस केस की तहकीकात के लिए मुझे इस्लामाबाद जाना पड़ा था? बट माइ एंजिल, वेन यू आर विद मी, हाऊ कुड दे टच? मुझे इस बात की बिल्कुल भी आशा नहीं थी कि सारा मामला इतने सहज ढंग से निपट जाएगा रुखसाना, आइ लव यू आइ एडोर यू। यू नो वेन एनी स्काई टर्न ग्रे एंड थंडर बोल्ट आफ लाइटनिंग स्टार्ट फ्लैशिंग एंड इट सीम्स टूमारो विल नेवर कम, आइ टर्न टू यू एंड यू आर माई एंजिल सेंट टू मी फ्रॉम एबॉव।"

शुरु-शुरु में कूकी की धारणा तबस्सुम के प्रति बिल्कुल अच्छी नहीं थी। वह उसको मनमौजी और उच्छश्रृंखल किस्म की औरत समझती थी। वह उसे मिडिल क्लास मेंटलिटी की औरत समझती थी, जो कुछ पाने के लिए अपने आप को किसी के हाथों में सुपुर्द कर देती थी। कूकी को उसकी कामोन्मादता के बारे में सोचकर अपने आप घृणा होने लगी थी। शफीक ने पहले भी उसे बताया था कि तबस्सुम के कई दिवाने हैं। उनमे से सबसे कम उम्र वाला था पच्चीस साल का एक जवान। जो कि तबस्सुम के बदन की मालिश करता था तथा घर का खाना बनाने से लेकर दूसरे कामों में हाथ बँटाता था। शायद वह उसके सेक्स का गुलाम था।

शफीक के लिए सबसे बड़ा असहनीय व्यवहार था उसके रिश्तेदार भाई का, जो उसकी बेटी नगमा को अपने घर की बहू बनाने के लिए आया था। उसने मौका देखते ही तबस्सुम का चुम्मा ले लिया। भले ही, तबस्सुम ने उसकी इस घटिया हरकत का विरोध नहीं किया था फिर भी उसने उसके लड़के के साथ अपनी बेटी की शादी करने से इंकार कर दिया था। नगमा उस लड़के को पसंद करती थी और वह लड़का नगमा को। मगर तबस्सुम का यह कहना था वह आदमी अपने बेटे से संबंध के बहाने उसके साथ अवैध संबंध स्थापित करना चाहता है। जो आदमी शादी से पहले उसके साथ इतनी घटिया हरकत कर सकता है, वह शादी के बाद कितने नीचे स्तर तक गिर सकता है। उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी भविष्य में और दिक्कते बढ़ सकती है। बेहतर यही रहेगा, नगमा का रिश्ता उस घर में नहीं करना चाहिए।

इस घटना के बारे में कूकी पहले से बहुत कुछ जानती थी क्योंकि शफीक ने उससे इस विषय पर सलाह-मशविरा किया था, "कूकी मुझे क्या करना चाहिए इस अवस्था में? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। नगमा का निकाह उस घर में करना चाहिए या नहीं? अगर मैं तबस्सुम की बात मानता हूँ तो बेटी ताना मारेगी कि उसके बाप ने सौतेली माँ की बात मानकर उसके प्यार को ठुकरा दिया। अगर बेटी की बात मानता हूँ तो भविष्य में नगमा और तबस्सुम के संबंधों में दरारा पड़ सकती है। और हकीकत बात बेटी को कैसे बताई जा सकती है?"

उस समय कूकी ने इस बात को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया था। उससे ज्यादा वह सोच रह थी तबस्सुम की किस्मत के बारे में। जो कोई उसके सपर्क में आता है, हाथ मारकर चला जाता है। वह भी आखिरकर एक औरत है। कब तक इन चीजों का विरोध नहीं करेगी? उसके लिए तो मानो इज्जत आबरु जैसे कोई शब्द इस दुनिया में नहीं बने हैं। यद्यपि कूकी ने अपनी राय शफीक को बता दी थी। उसने कहा था, मेरे हिसाब से जहाँ संबंध बनने से पहले ही टकराव की नौबत आ गई हो, वहाँ किसी भी हालात में बेटी सुखी नहीं रह सकती।

उस मिलिटरी मेन के द्वारा तबस्सुम के ब्लैकमेल होने की बात पता चलने पर कूकी के मन में उसके प्रति दया के भाव जागने लगे। जहाँ कभी वह तबस्सुम को उच्छश्रृंखल और मनमौजी प्रवृति की औरत समझती थी, वहाँ यह बात सुनकर तबस्सुम के लिए अब संदेह दूर हो गया। कूकी को समझ में आ गया था, तबस्सुम जैसा वह सोचती थी, ऐसी औरत नहीं है। कूकी को ऐसा लगने लगा था तबस्सुम के कदाचारी जीवन के लिए परवर्टेड शफीक ही जिम्मेदार है। बेचारी यह सहधर्मिणी बनकर उसके कदमों के साथ अपने कदम मिलाकर चलते-चलते आज इस नरक में पहुँच गई है।

धीरे-धीरे कर कूकी के मन में तबस्सुम के प्रति घृणा के भाव धूमिल होते गए। कूकी तबस्सुम के बारे में कल्पना करने लगी। उसे लग रहा था मानो एक सुंदर स्त्री की आँखें पत्थर की बनी है। एक मूर्ति की भाँति वे निर्जीव आँखें अपने दिल के दुख-दर्द का बयान कर रही हो। कूकी ने उसके लिए लिखा था, "तबस्सुम को कहना, मुझे उसके प्रति पूरी हमदर्दी है। बेचारी वह अपनी किस्मत की मारी है। यह कहाँ का न्याय है, एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को किसी दूसरे पुरुष को भेंट कर दे। क्या तबस्सुम कोई सामान है? उसकी यह हालत देखकर मैं बुरी तरह बेचैन हो जा रही हूँ शफीक। उसकी दुर्दशा और मैं नहीं देख सकती।

शफीक उसके सुख-दुख में सहभागी बनो। दुनिया दुखों की नगरी है। कुछ पाने में भी दुख तो कुछ खोने में भी दुख। आजाद होने में भी दुख तो गुलाम होने पर भी दुख। आदमी बाहर से एकदम भरा-पूरा लगता है, मगर वह भीतर से बहुत ही खोखला और असहाय होता है। इस बात की सही-सही विवेचना एक जानकार ही कर सकता है।

यह बात अलग है, मैने भी अनिकेत से प्रेम-विवाह किया था, मगर शादी से पहले हमने कभी भी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं किए थे। शादी के बाद ही मुझे पता चला अनिकेत के भीतर मेरे प्रति प्रेम की कोई भावना नहीं थी। उसके लिए तो सेक्स मात्र कुछ मिनटों का आनंद जैसा था। आर्गेज्म क्या होता है? मुझे उसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि मुझे शादी किए चौदह साल बीत गए, मगर आज तक उसने मेरा एक चुम्बन तक नहीं लिया। इतना होने के बावजूद भी मेरे और अनिकेत के बीच प्रेम अभी भी जिंदा है। अगर हमारे बीच प्रेम खत्म हो गया होता, तो उसके दुख में मैं पूरी तरह बिखर गई होती। तुम्हें तो यह अच्छी तरह मालूम है, यह प्रेम एक वीणा की झंकार की तरह है, वक्त-बेवक्त, होश-बेहोश सभी अवस्थाओं में झंकृत होता है दिल के अंदर।

शफीक, तबस्सुम के पास लौट जाओ। उसके सुख-दुख में सहभागी बनो, उसका साथ दो, उसे अकेला मत छोड़ो।"