विट्ठलभाई पटेल: 'देता है दिल, दे बदले में दिल के' / जयप्रकाश चौकसे

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विट्ठलभाई पटेल: 'देता है दिल, दे बदले में दिल के'
प्रकाशन तिथि : 07 सितम्बर 2019


आज फिल्म गीतकार, उद्योगपति और कांग्रेस के नेता मंत्री रहे विट्ठल भाई का जन्मदिन है। उनके पिता सेठ लल्लू भाई पटेल के विशाल निवास स्थान राधेश्याम भवन के कक्ष में चार-चार घंटों की पालियों में सवैतनिक महिलाएं भजन करती थीं। इस तरह चौबीसों घंटों भजन कीर्तन की ध्वनियां दैनिक कार्यों में पार्श्व संगीत की तरह गूंजती रहती थीं। बीड़ी के व्यापारी सेठ लल्लू भाई ने देश के विभाजन के समय सागर आए सिंधी भाइयों को मुफ्त में जमीन दी थी। वे प्राय: दान करते रहते थे। इसलिए अनेक लोग उन्हें संत लल्लू भाई कहा करते थे। उनके चार पुत्र और तीन बेटियां थीं। बड़ी बेटी लीलाबेन का ब्याह सेठ मणिलाल से हुआ था जो कुछ समय तक सांसद भी रहे थे। दूसरी बेटी शारदाबेन का ब्याह नाडियाड़ रहने वाले गांधी नामक युवक से हुआ था। लीलाबेन पटेल ने दक्षिण मुंबई में समुद्र तट के निकट एक बंगला खरीदा था जिसकी सजावट का सामान वे मरीन ड्राइव पर लॉकोजी नामक दुकान से खरीदती थीं। लॉकोजी का मालिक विदेश बसना चाहता था। लीलाबेन ने लॉकोजी को खरीद लिया। एक दौर में आचार्य रजनीश भक्त लीलाबेन का बंगला अपने गुरु के लिए खरीदना चाहता था और बाजार भाव से चार गुना अधिक धन भी देना चाहता था परंतु लीलाबेन ने कोई सौदा नहीं किया। आज भी वे वहीं निवास करती हैं। पटेल परिवार के ज्येष्ठ भ्राता मन्नू भाई सरल, सीधे व्यक्ति थे और अखाड़े में युवा लोगों को कसरत करना सिखाते थे। विट्ठल भाई पटेल मन्नू भाई से छोटे और सुनील तथा राजूभाई से बड़े थे। वे अपने परिवार के पहले स्नातक थे।

चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए वे मुंबई आए और हरिदास कंपनी के गुणवंत लाल शाह से उनकी मित्रता हुई गुणवंत लाल शाह को फिल्मकार मोहन सहगल के आयकर सलाहकार के रूप में हरिदास कंपनी में तैनात किया था। गुणवंत लाल शाह सूरत के रहने वाले थे और हाईस्कूल परीक्षा में प्रांत में प्रथम आए थे। एक संस्था के साथ उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी की कठिन परीक्षा भी अव्वल श्रेणी में पास की थी। गुणवंत लाल शाह को जानकारी मिली कि फिल्मकार 36 प्रतिशत सालाना ब्याज पर कर्ज लेते हैं। उन्होंने गुजरात से 15% पर कर्ज लेकर फिल्मों में 30% पर पूंजी निवेश किया और थोड़े ही समय में उन्होंने अनेक फिल्मकारों को पूंजी उपलब्ध कराई। मनमोहन देसाई के भाई सुभाष देसाई दिवालिया घोषित हो चुके थे। गुणवंत लाल शाह ने मनमोहन देसाई से मुलाकात की और सुभाष देसाई के कर्ज मय सूद के साथ चुका कर उन्हें व्यापार जगत में पुनः प्रवेश दिलाया।

इस समझौते का एक हिस्सा यह था कि कि मनमोहन देसाई शाह की 'धर्मवीर' निर्देशित करेंगे। विट्ठल भाई पटेल और गुणवंत लाल शाह की मित्रता हो गई। विट्ठल भाई ने गीतकार शैलेंद्र से भी मित्रता की और उन्हीं के आग्रह पर शैलेंद्र ने 'तीसरी कसम' की शूटिंग सागर और बीना के बीच एक गांव में की। विट्ठल भाई ने न केवल सारी व्यवस्था ही संभाली वरन् अपना धन भी लगाया। शूटिंग के समय ही शैलेंद्र ने उन्हें राज कपूर से मिलाया था। खाकसार भी उस मुलाकात में शामिल था। 15 दिन के आउटडोर के पश्चात विट्ठल भाई ने राज कपूर, वहीदा रहमान, शैलेंद्र के सम्मान में राधेश्याम भवन में एक समारोह आयोजित किया। उसी समारोह में राज कपूर को बुंदेलखंड का एक लोकगीत बड़ा अच्छा लगा। इसके सात वर्ष पश्चात राज कपूर ने विट्ठल भाई से उस लोकगीत में कुछ परिवर्तन कराए और मुखड़ा 'झूठ बोले कौवा काटे' भी उन्होंने ही बनाया। विट्ठल भाई गीतकार के रूप में अपना नाम नहीं देना चाहते थे परंतु राज कपूर ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो इस गीत को रचने का श्रेय लेने वाले अनेक लोग सामने आकर दावा करेंगे। इस तरह विट्ठल भाई पटेल 'एक्सीडेंटल गीतकार' बन गए। इस गीत का अगला हिस्सा 'देती है दिल, दे बदले में दिल के' उन्होंने ही लिखा है। धर्मवीर तथा सोहन लाल केवट की फिल्मों के गीत भी विट्ठल भाई ने लिखे।

विद्याचरण शुक्ला से उनकी मित्रता थी। आपातकाल में जे ओमप्रकाश की गुलजार द्वारा बनाई सुचित्रा सेन और संजीव कुमार अभिनीत 'आंधी' में सुचित्रा सेन को इंदिरा गांधी की तरह प्रस्तुत किया गया था। अतः प्रदर्शन में रुकावट आई। विट्ठल भाई पटेल ने जे ओमप्रकाश को लेकर तत्कालीन सूचना मंत्री विद्याचरण से मुलाकात की। विद्याचरण के आग्रह पर स्वयं इंदिरा गांधी ने 'आंधी' देखी। उन्होंने फिल्म प्रदर्शन की आज्ञा दी। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश के जंगल में जनजातियों के लोग तेंदूपत्ता एकत्रित करके बीड़ी व्यापारियों को बेचते थे। विट्ठल भाई ने मंत्री बनते ही आदेश जारी किया कि जनजातियों से तेंदूपत्ता प्राप्त करने के लिए व्यापारी को उन्हें अधिक मुआवजा देना होगा जबकि इस आदेश से उनके अपने व्यवसाय को भी आघात लगा। विट्ठल भाई ने स्वयं को पूरी तरह से व्यक्त करने के प्रयास में किसी एक क्षेत्र में महारत हासिल नहीं की। उनकी कानों में शैशवावस्था में राधेश्याम भवन में सुने गए भजनों के सुर गूंज रहे थे। उसके प्रभाव में वे सबका भला करने का प्रयास करते रहे। उनके निकटतम मित्रों में सत्यमोहन वर्मा और खाकसार शामिल रहे।