‘मदर ऑफ माइन’ रिश्तों की मरीचिका में प्यार की तलाश / राकेश मित्तल

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सरहद पार सिनेमा: ‘मदर ऑफ माइन’ रिश्तों की मरीचिका में प्यार की तलाश
प्रकाशन तिथि : 07 दिसम्बर 2013


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सत्तर हजार से अधिक फिनिश बच्चों को फिनलैंड से स्वीडन भेज दिया गया था, जहां वे स्वीडिश परिवारों की सुरक्षा में रह रहे थे। फिनलैंड के सुप्रसिद्ध फिल्मकार क्लॉज हारो ने वर्ष 2005 में प्रदर्शित अपनी फिल्म 'मदर ऑफ माइन' में ऐसे ही एक बच्चे को चित्रित किया है। यह फिल्म उनके करियर की सबसे अच्छी फिल्म मानी जाती है। यह उस वर्ष फिनलैंड की ओर से आधिकारिक ऑस्कर प्रविष्टि थी। यह एक 9 वर्षीय बालक एरो (टोपी मायानीमि) की हृदयस्पर्शी कथा है, जो अपनी वास्तविक मां से दूर किसी और महिला को मां मानने के लिए मजबूर था। उसका पूरा बचपन और जवानी मां के प्यार को पाने और खोने में व्यतीत हो गई।

फिल्म की शुरूआत में हम देखते हैं कि एरो लगभग साठ वर्ष का हो चुका है। वह अभी-अभी स्वीडन से अपनी छद्म माता सिग्ने की अंतिम यात्रा में शामिल होकर लौटा है। फिनलैंड में अपने घर लौटकर वह उतना ही व्याकुल और भ्रमित है, जितना वह नौ वर्ष की उम्र में घर छोड़ते समय था। अपनी बूढ़ी हो चुकी वास्तविक मां से वह कई सवाल पूछना चाहता है, जो आज तक नहीं पूछ पाया। वह जानना चाहता है अपने अतीत के बारे मंे और उन घटनाओं के बारे में, जिनके चलते उसे घर छोड़कर जाना पड़ा था।

धीरे-धीरे निर्देशक बड़ी कुशलता से एरो के अतीत और वर्तमान के बीच की यात्रा कराता है। यह यात्रा वहां से शुरू होती है, जहां नौ वर्षीय बालक एरो अपने माता-पिता के साथ प्रसन्नाता से एक पार्टी में शामिल है। उसके पिता अगले दिन युद्ध में शामिल होने के लिए प्रस्थान करने वाले हैं तथा अपने पुत्र को दिलासा दे रहे हैं कि वे बहुत जल्द दुश्मनों को हराकर वापस आ जाएंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा। मगर ऐसा नहीं होता और वे मारे जाते हैं। एरो की माता किरसी (मार्याना मैयाला) पति की मृत्यु की खबर सुनकर अवसाद में चली जाती है। पुत्र की सुरक्षा के प्रति चिंतित होकर वह अपने दिल पर पत्थर रखकर उसे अन्य बच्चों के साथ स्वीडन भेज देती है। एरो को समझ में नहीं आता कि उसकी मां उसे अपने से दूर क्यों करना चाहती है! वह कतई स्वीडन नहीं जाना चाहता लेकिन मजबूरन उसे जाना पड़ता है। स्वीडन में एरो को एक युवा दंपत्ति सिग्ने (मारिया ल्यूंडक्विस्ट) एवं यलमार (माइकल नाइक्विस्ट) के साथ रखा जाता है, जिनकी छ: वर्षीय बेटी की हाल ही में मृत्यु हुई है। एरो और यलमार जल्द ही आपस में घुल-मिल जाते हैं किंतु सिग्ने के दिल में बेटी की मृत्यु के जख्म अभी ताजा हैं और उसकी याद उसे रह-रहकर आती रहती है। ऐसी अवस्था में वह एक अजनबी लड़के को प्यार नहीं दे पाती। वह एरो को अपने पास नहीं रखना चाहती। एरो भी उसे पसंद नहीं करता और वापस अपनी मां के पास जाना चाहता है। दोनों के बीच भाषा भी बहुत बड़ी समस्या है। सिग्ने को फिनिश नहीं आती और एरो को स्वीडिश नहीं आती! दोनों के बीच दूरियां इतनी बढ़ जाती हैं कि वे एक-दूसरे से नफरत करने लगते हैं। इसी दौरान फिनलैंड में एरो की मां एक जर्मन सैनिक से प्यार करने लगती है और वह सिग्ने को पत्र लिखकर निवेदन करती है कि वह एरो को हमेशा के लिए अपने पास रख ले...!

अब एरो को मजबूरी में वहीं रहना है। सिग्ने अपनी कड़वाहट भूलकर एरो को प्यार देने की कोशिश करती है। एरो भी सामंजस्य बिठाता है और धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के निकट आ जाते हैं। इसी बीच युद्ध समाप्त हो जाता है। अब एरो को फिनलैंड लौटना ही होगा लेकिन वह सिग्ने को छोड़कर नहीं जाना चाहता। परिस्थितियां बार-बार करवट लेती हैं और एरो, सिग्ने, यलमार एवं किरसी नियति के चक्रव्यूह में घूमते रहते हैं। फिल्म का अंत बहुत ही खूबसूरत है।

यह एक अत्यंत मार्मिक एवं दिल को छू लेने वाली फिल्म है। छोटे-से बालक एरो की भूमिका में टोपी मायानीमि ने अद्भुत अभिनय किया है। उसकी सूनी आंखें बहुत कुछ कहती हैं। उसका समुद्र में लकड़ी के पटिये पर बैठकर वापस फिनलैंड भागने की कोशिश वाला दृश्य आंखें भिगो देता है। यलमार की भूमिका में माइकल नाइक्विस्ट ने भी एक मंझे हुए कलाकार का प्रमाण दिया है। सहृदय पिता होने के अलावा अपनी पत्नी से भी उसे बेहद प्यार है। एरो और सिग्ने के नाजुक रिश्ते के बीच उसका संतुलन देखने लायक है। लेकिन सबसे ज्यादा कमाल का अभिनय सिग्ने की अत्यंत जटिल भूमिका में मारिया ल्यूंडक्विस्ट ने किया है। वे फिनिश टेलीविजन की मशहूर हास्य कलाकार के रूप में जानी जाती हैं किंतु इस फिल्म में उनके बहुआयामी अभिनय को देखकर दर्शक दंग रह जाते हैं।

इस फिल्म का प्रीमियर काइरो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में हुआ, जहां इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का 'गोल्डन पिरामिड" पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म, निर्देशन एवं अभिनय हेतु पुरस्कार मिले।