"आमोर" उम्र और मृत्यु के पार प्यार की कहानी / राकेश मित्तल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
"आमोर" उम्र और मृत्यु के पार प्यार की कहानी
प्रकाशन तिथि : 16 फरवरी 2013


इस माह की 24 तारीख को सारी दुनिया दिल थामकर ऑस्कर पुरस्कारों की घोषणा का इंतजार कर रही होगी। सिनेमा विश्व में आज भी ऑस्कर पुरस्कारों को गुणवत्ता की श्रेष्ठतम कसौटी माना जाता है। इन पुरस्कारों के लिए नामांकन मात्र से किसी फिल्म के प्रति दर्शकों में उत्सुकता पैदा हो जाती है, जो उसे व्यवसायिक और कलात्मक दोनों तरह से लाभ पहुंचाती है।

इस वर्ष जिन फिल्मों को अनेक श्रेणियों में नामांकन प्राप्त हुए है, उनमें से एक है ‘आमोर’। यह फ्रैंच भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है प्यार। ऑस्ट्रियन फिल्मकार माइकल हानेक की इस फिल्म को बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म की श्रेणी में नामांकित किया गया है। फिल्म की नायिका इमानुएल रिवा 85 वर्ष की उम्र में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के ऑस्कर हेतु नामांकित होने वाली सबसे बुजुर्ग महिला हैं। इसके अलावा माइकल हानक को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक एवं सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए नामांकित किया गया है।

यह फिल्म 2012 में प्रदर्शित तमाम फिल्मों में से बिल्कुल अलग है। अपनी विशिष्ट शैली, कथ्य एवं प्रस्तुतिकरण ने इसे असाधारण फिल्मों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। यह एक बूढ़े दंपत्ति जॉर्जेस तथा ऐन की कहानी है। दोनों सेवानिवृत्त संगीत शिक्षक हैं और उम्र के 80 साल पार कर चुके हैं। वे एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। उनकी एक बेटी भी है, जो विदेश में रहती है। एक सुबह ऐन को पक्षाघात का दौरा पड़ता है। उसके शरीर का दायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता है। अब उसकी देखभाल जॉर्जेस को करना है, जोकि वह पूरी तन्मयता और निष्ठा के साथ करता है। तमाम इलाज और कोशिशों के बावजूद ऐन की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है। बस, यही ‘आमोर’ की कहानी है। इतनी छोटी-सी कहानी को निर्देशक ने अपनी कसावट भरी पटकथा एवं निर्देशकीय कौशल से दो घंटे की अद्भुत फिल्म में बदल दिया है।

एक घटना विहीन एकल अभिनय नुमा कहानी माइकल हानेक के हाथों में आकर महान सिनेमाई अनुभव में तब्दील हो जाती है। फ्रैंच सिनेमा के वरिष्ठ अभिनेता जीन लुइस ट्रिंटिग्नेंट एवं अभिनेत्री इमानुएल रिवा ने अपने दमदार अभिनय से इसे अविस्मरणीय बना दिया है।

फिल्मों में प्यार और मृत्यु की सैकड़ों कहानियां हजारों तरह से दिखाई गई हैं किंतु निर्देशक माइकल हानेक ने बिल्कुल नए तरीके से, नए परिप्रेक्ष्य में और एकदम चौंका देने वाले अंदाज में प्यार पर मृत्यु और मृत्यु पर प्यार के प्रभाव को दर्शाया है। दोनों प्रमुख कलाकारों ने जीवन की अंतिम अवस्था में मृत्यु की ओर बढ़ते कदमों के साथ प्यार की असीम गहराइयों के मनोभावों को अत्यंत कुशलता, संवेदनशीलता और बुद्धिमत्ता के साथ अभिव्यक्त किया है। निर्देशक ने एक चहारदीवारी के भीतर समूचे घटनाक्रम को समेट लिया है।

इस फिल्म की विशेषता इसकी ईमानदार अभिव्यक्ति है। बिना किसी शोशेबाजी, मेलोड्रोमा या अतिरेकपूर्ण बयानबाजी के फिल्म सीधे आपके दिल में उतरती है। अद्भुत कैमरा मूवमंेंट और प्रकाश संयोजन फिल्म के प्रभाव को गहरा करते हैं। फिल्म में कोई अनावश्यक तत्व नहीं है। हम उस बुजुर्ग दंपत्ति के बारे में कुछ नहीं जानते। फिल्म शुरू होती है जब अस्सी वर्षीय ऐन को मात्र एक दिन पहले पक्षाघात का दौरा पड़ा है। पिछले अस्सी सालों में वे दोनों क्या थे, कौन थे, यह बताने की कोई जरूरत निर्देशक नहीं समझता। वह अपनी कहानी को बार-बार फ्लैशबैक में या पूर्व घटनाक्रमों में नहीं ले जाता। यह वर्तमान की कहानी है। ऐन की मृत्यु अवश्यंभावी है। पति-पत्नी इसे रोक नहीं सकते और यह ‘टोन’ पूरी फिल्म के साथ चलती है। यह मृत्यु पर विजय की नहीं, बल्कि मृत्यु को गरिमा के साथ स्वीकारने की फिल्म है। प्यार और संबंधों की नई परिभाषाएं गढ़ते हुए फिल्म हमारे भीतर कई सवाल छोड़ जाती है। जैसेः क्या जीवन हमेशा जीने योग्य बना रहता है? क्या आपका दर्द कोई और व्यक्ति पूरी तरह समझ पाता है? किसी मरते हुए साथी के लिए अंतिम क्षणों में सबसे महत्वपूर्ण क्या है? आदि।

यह फिल्म किसी उदास सर्द मौसम में एक लुप्त होती दोपहर की काली परछाइयों-सा प्रभाव छोड़ती है। जैसे घने काले बादलों के नीचे कोई दरिया बह रहा हो। इतना मंथर, कि मानो सब कुछ थमा हुआ हो। कहीं कोई तूफान नहीं, कोई शोर नहीं है। बस, समय है, जो बीत रहा है। दिन, सप्ताह, महीने कैलेंडर में बदलते जा रहे हैं। निर्देशक बताना चाहता है कि मृत्यु सार्वजनिक समूहगान नहीं, बल्कि नितांत निजी यात्रा है। अपनी चेतना में स्वयं की यात्रा। फिल्म की सतह पर ढेर सारी ऊष्मा और आशा है पर नीचे गहरी उदासी और निराशा साथ-साथ चलती है।

गत वर्ष यह फिल्म फ्रांस के प्रतिष्ठित कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई थी, जहां इसे समारोह का सर्वोच्च पुरस्कार मिला। इसके अलावा अब तक सभी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसने अनेक नामांकन एवं पुरस्कार प्राप्त किए हैं। अब देखना है कि कितने ऑस्कर इसकी झोली में गिरते हैं.....।