"बेस्ट ऑफ लक" नहीं, "भाग्य बली हो!" / कमलेश कमल

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हर संस्कृति की अपनी विशिष्टता होती है, अपना एक अलहदा अंदाज़ होता है, मिज़ाज होता है। उस संस्कृति में पल्लवित-पुष्पित भाषा उस मिज़ाज, उस अंदाज को संप्रेषित करने में सर्वथा सक्षम होती है। इसी अर्थ में भाषा को संस्कृति की संवाहिका कहते हैं।

भारतीय संस्कृति में किसी शुभ कार्य के लिए निकलने से पूर्व "शुभम करोति कल्याणम्" शुभम भवतु "" सिद्धि दाता गणेश "" जय हो" जैसे अनेक सम्बोधन तो पहले से हैं। इसके साथ ही हर अंचल, हर बोली में सौभाग्य के लिए अपने-अपने शब्द गढ़े हुए हैं।

अंग्रेज जब भारत की सत्ता पर आसीन हुए, तो अपनी सत्ता के सातत्य और हमारी दासता के नैरंतर्य के लिए उन्होंने अपनी भाषा को हम पर थोपने का कार्य किया। धीरे-धीरे हमारी भाषा का अंग्रेजी-भाषा के शब्द के साथ प्रयोगात्मक संघर्षण हुआ। कहीं हिन्दी ने अंग्रेज़ी को प्रभावित किया, तो कहीं शासकों की भाषा ने शोषितों की भाषा पर झपट्टा मारा।

इसी कड़ी में "बेस्ट ऑफ लक" हमारे "शुभम करोति कल्याणम्" या "सिद्धि दाता गणेश" पर हावी होता चला गया। आज स्थिति यह है कि बच्चा ककहरा नहीं जान रहा, एबीसीडी सीख ही रहा है; पर, परीक्षाएँ (एग्जाम) हो रही हैं। बच्चा 'बस्ता' लाद कर विद्यालय (स्कूल) जा रहा है और माँ-बाप कहते हैं, "बाय, बेस्ट ऑफ लक" ! वैसे, बस्ता जैसे छोटे और प्यारे शब्द को इससे बड़े शब्द "स्कूल बैग" ने लील लिया, क्या हमें ख़बर है?)

घर की भाषा हिन्दी है। बच्चे को भूख लगती है, तो बोलता है, "मम्मी, भूख!" , रात में सुलाने के लिए माँ हिन्दी में कहानी सुनाती है; लेकिन जब बेटा परीक्षा देने जा रहा है, तब वही मम्मी कह रही है-"बाय! बेस्ट ऑफ लक"।

सोच कर देखें! यही बात चीनी भाषा में ही कह देते या फिर लेटिन या ग्रीक में कह देते तो क्या फर्क पड़ जाता! बच्चे के लिए सब बराबर है।

अंग्रेजी भी एक महान भाषा है, लेकिन यह जो हम कर रहे हैं वह अवैज्ञानिक है, बेवकूफ़ी है और बच्चे के प्रति हिंसा है। आप जर्मन भी जानते हैं, तो क्या बच्चे को जर्मन में शुभकामना देंगे? संस्कृत में भी न दें।

हमें, यह समझना होगा कि छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए मातृभाषा ही पठन-पाठन का माध्यम (ज़रिया) होना चाहिए। जब हम किसी विदेशी से मिलें, तो फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी में बात करें, लेकिन आपस में "बेस्ट ऑफ लक" कहना अपनी जड़ों से कटने के बराबर है। ऐसे ही तो संस्कृति विस्मृत होती है।

अब सवाल उठता है कि आज जब संस्कृत भी सभी लोग नहीं समझते, तो बेस्ट ऑफ लक के लिए हिन्दी सम्बोधन क्या हो? मेरी समझ से-"भाग्य बली हो!"

यह एक अच्छा विकल्प है। आप उसे कह रहे हैं कि ' आपको भाग्य का साथ मिले"," किस्मत का साथ मिले "या" ईश्वर सहाय रहें"।

"सिद्धि दाता गणेश" का अर्थ-"आपके कार्य को सिद्धिविनायक सिद्ध कर दें"।

"भाग्य बली हो" का सीधा-सीधा अर्थ है-भाग्य बलवान हो, आपको भाग्य का साथ मिले (May luck be with you!) इसे ऐसे भी कह सकते हैं-"आपका भाग्य बली हो" या "आप भाग्य बली हों"।

इनमें से कोई भी सम्बोधन करें; लेकिन किसी छोटे बच्चे, किसी अंग्रेज़ी कम जानने वाले को या अपनी भाषा से प्रेम करने वाले को "बेस्ट ऑफ लक" न कहें!