"माय फेयर लेडी" भाषा और संगीत का अनूठा सौंदर्य / राकेश मित्तल

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"माय फेयर लेडी" भाषा और संगीत का अनूठा सौंदर्य
प्रकाशन तिथि : 30 मार्च 2013


यदि आप भाषाए साहित्यए संगीत और अभिनय का बेहतरीन मिश्रण देखना चाहते हैं तो यह फिल्म अवश्य देखेंण् वर्ष १९६४ में प्रदर्शित इस फिल्म को विश्व की सार्वकालिक महान म्यूजिकल फिल्मों में शुमार किया जाता हैण् उस वर्ष इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म के ऑस्करए गोल्डन ग्लोब तथा बाफ्टा पुरस्कारों से नवाज़ा गया थाण् इसके आलावा इसे निर्देशनए अभिनयए संगीतए सिनेमेटोग्राफीए ध्वनि मिश्रणए कला निर्देशनए कास्ट्यूम डिज़ाइन जैसी श्रेणियों में कुल आठ ऑस्कर प्राप्त हुए थे

यह फिल्म जॉर्ज बर्नाड शॉ के प्रसिद्ध नाटक ‘पिगमेलियन’ पर आधारित है। 1912 में लिखा गया यह नाटक ब्रिटिश वर्ण व्यवस्था पर करारा प्रहार है। 1956 में एलेन जे लर्नर और फ्रेड्रिक लो की टीम ने इसे एक म्यूजिकल स्टेज शो का रूप दिया। उस समय इसने म्यूजिकल ऑपेरा के इतिहास में सबसे लंबी अवधि तक चलने वाले नाटक का कीर्तिमान बनाया था। बाद में इस फिल्म ने भी लोकप्रियता के कीर्तिमान स्थापित किए।

फिल्म की कहानी बहुत साधारण है किंतु उसका उम्दा प्रस्तुतीकरण उसे असाधारण बना देता है। लंदन के अभिजात्य समाज में रहने वाला प्रोफेसर हिगिन्स (रैक्स हैरिसन) एक भाषा वैज्ञानिक है और ध्वनिशास्त्र (फोनेटिक्स) विशेषज्ञ भी। उसका मानना है कि किसी भी व्यक्ति की भाषा, उच्चारण और बोलने का अंदाज उसकी सामाजिक पृष्ठभ्ूामि को परिभाषित करता है। उसे अपनी काबिलियत पर अहंकार की हद तक गर्व है। उसका दावा है कि मात्र छः महीने के प्रशिक्षण से वह किसी भी अति साधारण बेहूदा एवं भदेस महिला को इतने अच्छे मैनर्स और भाषा सिखा सकता है कि वह अभिजात्यपन में इंग्लैंड की महारानी को भी प्रभावित कर सकती है। इलाइजा डू लिटिल (ऑड्रे) ऐसी ही एक साधारण, निम्नवर्गीय, सड़क पर फूल बेचने वाली महिला है, जो प्रोफेसर हिगिन्स के संपर्क में आती है। प्रो हिगिन्स अपने मित्र कर्नल पिकरिंग (क्लिफ्रिड हाइड व्हाइट) से शर्त लगाता है कि मात्र छः माह में वह इस महिला में आमूलचूल परिवर्तन ला सकता है। इसके बाद प्रो हिगिन्स के घर पर इलाइजा का कडा प्रशिक्षण शुरू होता है और अनेक मनोरंजक प्रसंगों एवं घटनाक्रमों से गुजरते हुए अंततः प्रो हिगिन्स अपने लक्ष्य में कामयाब होता है। किंतु इस ‘रूपांतरण’ के दौरान इलाइजा का स्वयं से साक्षात्कार होता है, जहां वह अपने आप को अधबीच में खड़ा पाती है। उसे लगता है कि इस पूरे खेल में वह कहीं की नहीं रही। एक अभिमानी पुरुष की शर्त को पूरा करने की कीमत उसने अपने अस्तित्व को खोकर चुकाई है। गहन कशमकश से गुजरते हुए दोनों अंततः एक-दूसरे के प्यार और जरूरत को स्वीकार करते हैं।

निर्देशक जॉर्ज क्यूकर ने इस छोटी-सी कहानी पर लगभग तीन घंटे की लंबी किंतु अत्यंत मनोरंजक फिल्म बनाई है। इसमें एलेन जे लर्नर की पटकथा, संवाद और गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने जॉर्ज बर्नाड शॉ की लेखनी के मूल तत्व को बरकरार रखा है, जिसके कारण हर संवाद और गीत सुनने लायक बन पड़ा है।

इस फिल्म में अंग्रेजी भाषा अपने श्रेष्ठतम स्वरूप में है। इतनी खूबसूरत अंग्रेजी शायद ही किसी अन्य फिल्म में सुनने को मिली है। आधे से ज्यादा संवाद गीतों के रूप में हैं, जिन्हें सुनना अत्यंत आनंददायक अनुभव है। रैक्स हैरिसन तो मानो प्रोफेसर हिगिन्स के किरदार के लिए ही पैदा हुए थे। मूल नाटक में भी यह किरदार उन्होंने ही निभाया था। फिल्म में अपने सभी गीत उन्होंने स्वयं ही गाए। अपनी बेहतरीन संवाद अदायगी और अभिनय के बल पर उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब पुरस्कार हासिल किया। ऑड्रे हैपबर्न ने इलाइजा की भूमिका में जान डाल दी है।

एक साधारण, भदेस, निम्नवर्गीय महिला से खूबसूरत, अभिजात्य, गरिमामय महिला के रूप में उनका परिवर्तन देखने लायक है। तमाम कोशिशों के बावजूद ऑड्रे हैपवर्न की आवाज गानों के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई, इसलिए उनके सभी गीत मशहूर ऑपेरा सिंगर मार्नी निक्सन की आवाज में डब किए गए। अपनी बेहतरीन अदाकारी के बावजूद ऑड्रे को ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित नहीं किया गया, क्योंकि उनकी आवाज डब की गई थी। इस नाटक की मूल अभिनेत्री जूली एंड्रयूज को फिल्म में इसलिए नहीं लिया गया, क्योंकि वे बॉक्स ऑफिस के लिहाज से एकदम नई और अपरिचित अभिनेत्री थीं, जबकि ऑड्रे सुपरस्टार थीं। इलाइजा के पिता के रूप में स्टैनली हॉलोवे और प्रोफेसर हिगिन्स के मित्र के रूप में विलफ्रिड हाइड व्हाइट ने भी कमाल का अभिनय किया है। इस फिल्म को देखना एक स्वप्न से गुजरने जैसा है।