"सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक" मनोरंजन में लिपटी मानव मन की अबूझ पहेली / राकेश मित्तल

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"सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक" मनोरंजन में लिपटी मानव मन की अबूझ पहेली
प्रकाशन तिथि : 23 फरवरी 2013


कल रात सारी दुनिया के सिने प्रेमियों की निगाह ऑस्कर पुरस्कार समारोह पर टिकी होगी। इस बार जिन फिल्मों को सर्वाधिक श्रेणियों में नामांकित किया गया है, उनमें अधिकांश बड़े बजट की भव्य फिल्में हैं। सबसे ज्यादा बारह नामांकन स्टीवन स्पीलबर्ग की ‘लिंकन’ को मिले हैं। फिर ‘लाइफ ऑफ पाई’ ग्यारह नामांकनों के साथ दूसरे स्थान पर है। तीसरे क्रम पर दो फिल्में हैं जिन्हें आठ-आठ श्रेणियों में नामांकित किया गया है। एक है ‘ला मिसरेबल्स’ और दूसरी ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’, जिसकी हम आज बात करेंगे।

हममें से हर व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में मानसिक परेशानी से गुजर रहा है। कोई थोड़ा कम, कोई ज्यादा। कुछ लोग ज्यादा विकट परिस्थिति से गुजरकर दिमागी संतुलन खो बैठते हैं, जोकि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। किंतु गहराई से सोचने पर लगता है कि हमसब कुछ हद तक इस असंतुलन के शिकार हैं। यही ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ का विषय है। लेखक-निर्देशक डेविड ओ रसल ने यह फिल्म मैथ्यू क्विक के इसी नाम के उपन्यास पर बनाई है। भारतीय अभिनेता अनुपम खेर ने भी इसमें एक छोटी-सी भूमिका निभाई है।

फिल्म का नायक पेट सोलितानो (बेडली कूपर) मानसिक असंतुलन (बायपोलर डिस्ऑर्डर) का शिकार है। इस बीमारी में इंसान कभी अत्यंत हिंसात्मक आवेग का प्रदर्शन करता है, तो कभी अवसादग्रस्त हो जाता है। इस बीमारी के चलते आठ माह मानसिक चिकित्सालय में गुजारने के बाद पेट अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए लौटता है। उसकी पत्नी उसे छोड़कर जा चुकी है। पिता बेरोजगार हैं। पेट नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरूआत करना चाहता है। वह अपनी पत्नी से पैचअप भी करना चाहता है। अपने दोस्तों और परिजनों का विश्वास हासिल करना चाहता है। इस कोशिश के दौरान उसकी जिंदगी में अनेक रोचक पात्रों का आना-जाना होता है, जो इस कहानी को जटिल किंतु मनोरंजक बनाते हैं। इन पात्रों में सबसे प्रमुख हैं उसके पिता पेट सीनियर (रॉबर्ट डि नेरो), जो फिलाडेल्फिया ईगल्स फुटबॉल टीम के दीवाने हैं और साथ ही सट्टा लगाने के शौकीन भी। उसकी नई मित्र एक युवा विधवा टिफनी मैक्सवेल (जेनिफर लॉरेंस) हैं, जो स्वयं कई तरह की चुनौतियों से जूझ रही हैं और जिसके लिए दैहिक संबंध बनाना तनाव से निजात पाने का एकमात्र तरीका है। उसकी पूर्व पत्नी निक्की (बिया बी) हैं, जिसे पेट ने रंगे हाथों उसके प्रेमी के साथ पकड़ा था। उसका सबसे अच्छा दोस्त रॉनी (जौन आर्टिज) है, जो अपनी पत्नी के दमनकारी स्वभाव से परेशान है और हमेशा पत्नी की डांट खाता रहता है। उसका अस्पताल का दोस्त डैनी (क्रिस टकर) है, जिसका अस्पताल से कानूनी झगड़ा चल रहा है। उसका मानसिक चिकित्सक डॉ क्लिफ पटेल (अनुपम खेर) हैं, जिसके साथ वह सारी बातें शेयर करता है। ऐसे कई पात्रों की निर्देशक ने बहुत खूबसूरती और विस्तार से बुनावट की है, जिसके कारण फिल्म अत्यंत मनोरंजक हो जाती है।

इस फिल्म की खासियत सभी कलाकारों का बेहतरीन और स्वाभाविक अभिनय है, जिसके कारण फिल्म को ऑस्कर की सभी अभिनय संबंधी श्रेणियों में नामांकित किया गया है। कई दशकों के बाद पहली बार किसी फिल्म को चारों अभिनय श्रेणियों और चारों सर्वोत्तम श्रेणियों में एक साथ ऑस्कर नामांकन मिला है। ब्रैडली कूपर ने पेट सोलितानो की भूमिका में कमाल किया है। उनका पात्र अत्यंत जटिल है और उसके कई शेड्स हैं लेकिन बिना किसी अतिरेकपूर्ण अभिव्यक्ति के उन्होंने बहुत स्वाभाविकता और कुशलता से इसे निभाया है। जेनिफर लॉरंेस और रॉबर्ट डि नेरो ने इस प्रक्रिया में बखूबी उनका साथ निभाया है।

एक मानसिक बीमारी को केंद्र में रखकर हास्य परिवेश की बुनावट करना बहुत जोखिम भरा काम है लेकिन निर्देशक डेविड ओ रसल ने यह काम बखूबी किया है। प्रत्येक छोटे-से-छोटे पात्र का उन्होंने भरपूर दोहन किया है। फिल्म की पटकथा इतनी कसी हुई है कि दर्शक पूरी तल्लीनता से उसमें डूब जाते हैं। एक पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में रसल ने अपनी विलक्षण प्रतिभा को प्रदर्शित किया है। उनके निर्देशकीय कौशल के कारण न केवल फिल्म अत्यंत मनोरंजक एवं दर्शनीय बन गई है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर कर देती है कि वास्तव में हम सच कितना चुनौती भरा और तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं।

फिल्म को दर्शकों एवं समीक्षकों ने हाथों-हाथ लिया है। नवंबर 2012 में पब्ल्कि रिलीज के बाद एक ओर यह आय का कीर्तिमान बना रही है, तो दूसरी ओर पुरस्कारों की झड़ी लग रही है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसे कई नामांकन एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। शायद कल ऑस्कर समारोह में भी यह क्रम बना रहे.....।