'ओड टू माई फादर' से प्रेरित सलमान की 'भारत' / जयप्रकाश चौकसे

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'ओड टू माई फादर' से प्रेरित सलमान की 'भारत'
प्रकाशन तिथि : 27 मई 2019


दस दिन बाद सलमान खान और कैटरीना कैफ अभिनीत 'भारत' का प्रदर्शन होने जा रहा है। उस दिन इंग्लैंड में आयोजित क्रिकेट विश्व कप में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मैच खेला जाएगा। भारत में क्रिकेट और सिनेमा दोनों ही लोकप्रिय हैं। क्या मैच के कारण दर्शक कम संख्या में फिल्म देखने आएंगे? मैच टेलीविजन पर बार-बार दिखाया जाता है। अतः संभावना है कि पहले दिन ही फिल्म देखने की जुनूनी भीड़ सिनेमाघर जाएगी।

सलमान खान की लोकप्रियता के विषय में उनका एक संवाद है कि 'मैं दिल में आता हूं, समझ में नहीं आता।' उनके प्रशंसक भी आंखों से नहीं दिल से ही फिल्में देखते हैं। सफलता का रसायन हमेशा तर्क के परे जाता है। ज्ञातव्य है कि यह फिल्म कोरिया में बनी 'ओड टू माई फादर' से प्रेरित है और बकायदा इसके अधिकार खरीदे गए हैं। सलमान खान अपने माता-पिता सलीम खान और सलमा खान का बहुत आदर करते हैं। आज भी वे अपना सारा पारिश्रमिक और विज्ञापन फिल्मों में काम करने से मिला धन अपने पिता को देते हैं। सलीम खान ही परिवार की सारी आय का लेखा-जोखा रखते हैं और उनके द्वारा लिए गए निर्णय को स्वीकार किया जाता है।

आज भी यह खानदान पुरानी परंपराओं के अनुरूप संचालित किया जा रहा है। फिल्म के एक दृश्य में नायक 'मौत के कुएं' में मोटरसाइकिल चलाता है। प्राय: इस तरह के दृश्य में यह दिखाया जाता है कि खलनायक ने मौत के कुएं में नायक को दुर्घटना का शिकार बनाने के लिए 'कुएं' से छेड़छाड़ की है। सलमान खान ने इस दृश्य की शूटिंग के लिए इस खेल के विशेषज्ञ से सलाह-मशवरा किया है और उनकी निगरानी में अभ्यास भी किया। यथार्थ जीवन में भी सलमान खान को साइकिल और मोटरसाइकिल चलाने का बड़ा शौक है। उनके पिता भी अपने छात्र जीवन में रॉयल एनफील्ड कंपनी की मोटरसाइकिल चलाते थे। सलमान खान ने अपने पिता द्वारा चलाई गई मोटरबाइक को मुंबई बुलवाया और कंपनी के गैरेज में भेजकर उसे पुनः चलाने लायक किया। जॉन अब्राहम और महेन्द्र सिंह धोनी को भी मोटरसाइकिल सवारी का शौक है और इन लोगों ने अपने 'अस्तबल' में इन्हें बड़ा सहेजकर रखा है।

हरित क्रांति के बाद समर्थ किसानों ने मोटर बाइक खरीदना प्रारंभ किया। उन्हें इसमें घुड़सवारी जैसा आनंद प्राप्त होता है। सई परांजपे की एक फिल्म में गीत का आशय है कि काले घोड़े 'मोटरसाइकिल' पर सवार दूल्हा आया है। मोटरसाइकिल चलाने वाले कुछ लोगों को यह भ्रम होता है कि जिस वाहन पर सवार हैं, उसका हॉर्स पावर भी वे अपनी जांघों में महसूस करते हैं। कृषि प्रधान क्षेत्रों में मोटरसाइकिल के प्रयोग के साथ ही अपहरण और दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं। दोष मशीन का नहीं है वरन उस सोच-विचार का है। जिसे सदियों से पढ़े जाने वाले आख्यानों के अधकचरे अनुवाद ने रचा है। इस फिल्म में नायक 19 की वय से 70 की वय तक जीवन यात्रा करते दिखाया गया है। अतः प्रोस्थेटिक मेकअप का प्रयोग किया गया है। प्रोस्थेटिक्स करने के बाद कलाकार केवल स्ट्रा से जूस पी सकता है। वह चबाने के लिए जबड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर इस अनुभव से गुजर चुके हैं। यह एक भ्रांति है कि सितारे ऐश करते हैं। उन्हें भी बहुत परिश्रम करना पड़ता है। हर अभिनीत भूमिका में पात्र की भावनाएं उनके अवचेतन में नीचे कहीं जमा हो जाती हैं। इस झमेले में उनकी निजी भावनाएं गुम-सी हो जाती हैं। हर कलाकार तो मर्लिन ब्रान्डो की तरह एक फिल्म के बाद अपने मनोचिकित्सक के साथ लंबा वक्त बिताकर पात्र की भावनाओं से मुक्त होने का जतन नहीं कर सकते हैं। वे अपने निजी द्वीप पर चले जाते थे। आम आदमी और सितारों के कष्ट जुदा-जुदा होते हैं। आम आदमी सितारे-सा जीवन एक दिन भी नहीं बिता सकता और सितारे के लिए भी आम आदमी की तरह रहना कष्ट कारक हो सकता है।

उन्हें सेवकों और चमचों से घिरे रहने की आदत हो जाती है। एकांत को साधना आसान नहीं है। मौन रखना भी अत्यंत कष्ट कारक है। सप्ताह में एक दिन मौन रहने से 3000 कैलोरी बचाई जा सकती है। हम अत्यंत वाचाल लोग हैं। यहां तक कि पूजा पाठ भी सस्वर जोर से करने की हिदायत दी गई है। मन ही मन मंत्र का जाप करने से शांति नहीं मिलती ऐसा हमारे आख्यानों में ही निर्देश दिया गया है। यह संभवत: इसलिए किया गया है कि हम ध्वनि को ब्रह्मा मानते हैं। संसार में सब कुछ नश्वर है परंतु ध्वनि कभी नहीं मरती।