'चेन्जलिंग" एक मां का संघर्ष / राकेश मित्तल

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सरहद पार सिनेमा: 'चेन्जलिंग' एक मां का संघर्ष
प्रकाशन तिथि : 30 नवम्बर 2013


हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और निर्देशक क्लिंट ईस्टवुड अपने रौबीले, आकर्षक व्यक्तित्व और पुरुषोचित गहन-गंभीर आवाज के लिए जाने जाते हैं। अपने करिश्माई व्यक्तित्व के बल पर उन्होंने एक्शन फिल्मों में अभूतपूर्व ख्याति अर्जित की। लगभग 15 वर्षों तक अभिनय की दुनिया में धूम मचाने के बाद वे निर्देशन की ओर मुड़े तथा अनेक उम्दा एवं कलात्मक फिल्मों का निर्माण किया। उनकी फिल्मों को ऑस्कर, बाफ्टा एवं गोल्डन ग्लोब जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए। वर्ष 2008 में प्रदर्शित 'चेन्जलिंग" उनकी कम चर्चित लेकिन अत्यंत प्रभावशाली फिल्म है। यह एक सत्य घटना पर आधारित है, जिसे हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री एंजलिना जोली ने अपने दमदार अभिनय से अविस्मरणीय बना दिया है। ईस्टवुड इसके निर्माता, निर्देशक और संगीतकार हैं।

यह फिल्म 1928 में लॉस एंजेलिस में हुए 'वाइनविल चिकन कूप मर्डर्स" नामक श्रंखलाबद्ध अपहरण एवं हत्याकांड पर आधारित है, जिसमें गॉर्डन नॉर्थकॉट नामक एक मनोरोगी सीरियल किलर के फार्म हाउस से अनेक बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। इस घटना ने पूरे अमेरिका को हिलाकर रख दिया था। यह हमें भारत के निठारी हत्याकांड की याद दिलाता है। फिल्म का समय, परिवेश एवं किरदारों के नाम मूल घटना जैसे ही रखे गए हैं। क्रिस्टीन कॉलिंस (एंजेलिना जोली) एक सिंगल मदर है, जो अपने नौ वर्षीय पुत्र वॉल्टर (गैटलिन ग्रिफिथ) के साथ लॉस एंजेलिस में रहती है। वह एक टेलीफोन कंपनी में सुपरवाइजर है। एक रात काम से लौटने पर वह पाती है कि उसका बेटा घर से गायब है। आसपास हर तरफ ढूंढने के बाद भी जब वॉल्टर का कोई पता नहीं चलता, तो वह पुलिस को सूचना देती है। पुलिस औपचारिक तरीके से अपनी जांच शुरू कर देती है। उन दिनों लॉस एंजेलिस पुलिस प्रशासन अपने भ्रष्ट, नाकारा, अमानवीय एवं गैर-जिम्मेदार तौर-तरीकों के लिए कुख्यात था। वहां की प्रमुख चर्च के पादरी गुस्ताव ब्रिगलैब (जॉन माल्कोविच) अपने नियमित रेडियो प्रसारण में पुलिस की अकर्मण्यता को मुखर रूप से व्यक्त करते हैं। क्रिस्टीन और गुस्ताव की तमाम कोशिशों एवं दबावों के बावजूद पुलिस वॉल्टर को खोज नहीं पाती है।

लगभग पांच महीने बाद पुलिस द्वारा क्रिस्टीन को सूचना दी जाती है कि वॉल्टर जीवित है और उसे खोज लिया गया है। क्रिस्टीन की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। मगर पुलिस जिस बालक को उसके पास लेकर आती है, वह वॉल्टर नहीं, कोई और बच्चा है! अपनी नाकामी छिपाने और जन-दबाव को शांत करने के लिए पुलिस किसी अन्य हमउम्र लावारिस बच्चे को सिखा-पढ़ाकर वॉल्टर के रूप में उसके पास ले आती है। क्रिस्टीन किसी भी कीमत पर उस बच्चे को वॉल्टर मानने को तैयार नहीं है किंतु पुलिस उसे हर हाल में यकीन दिलाने पर तुली है कि वही वॉल्टर है और जबर्दस्ती उसे क्रिस्टीन के साथ घर भेज देती है। क्रिस्टीन के तमाम तर्क, कि इस बालक की शक्ल-सूरत वॉल्टर से पूरी तरह नहीं मिलती, इसकी ऊंचाई तीन इंच कम है, इसने खतना करा रखा है जबकि वॉल्टर का कभी खतना नहीं हुआ था आदि सब पुलिस खारिज कर देती है। वह यह साबित करने की कोशिश करती है कि क्रिस्टीन अवसाद के कारण या फिर जान-बूझकर अपने बच्चे को अपनाना नहीं चाहती।

हारकर क्रिस्टीन मीडिया के माध्यम से पुलिस की इस हरकत को आम जन के सामने लाने की कोशिश करती है। यह बात पुलिस को नागवार गुजरती है और वह क्रिस्टीन को गिरफ्तार कर पागल घोषित करके मानसिक चिकित्सा हेतु भेज देती है, जहां चिकित्सा के नाम पर उसे तमाम तरह की यंत्रणाएं दी जाती हैं। इसी बीच सीरियल किलर गॉर्डन नॉर्थकॉट (जेम्स बटलर हार्नर) के बारे में पता चलता है। धीरे-धीरे कई और खुलासे होते हैं। परिस्थितियां तेजी से करवट लेती हैं और क्रिस्टीन बाहर आकर पुलिस के खिलाफ मुकदमा कर देती है। फिल्म में अंत तक दर्शक कुर्सी से चिपककर रह जाते हैं और सांस थामे इस बात की प्रतीक्षा करते हैं कि आगे क्या होगा! यह ईस्टवुड के निर्देशन का ही कमाल है कि अस्सी साल पुरानी एक घटना को उन्होंने इस खूबी से प्रस्तुत किया है मानो कल ही की बात हो। फिल्म के सभी कलाकार अपनी-अपनी भूमिकाओं में बेहद स्वाभाविक लगे हैं। मुख्य भूमिका में एंजेलिना जोली ने क्रिस्टीन के दु:ख, भय, असुरक्षा, हताशा, क्रोध और साहस के मिले-जुले भावों को अत्यंत कुशलता से व्यक्त किया है। अपने 'एवजी" बेटे के साथ के दृश्यों में उनका अभिनय देखने लायक है। सीरियल किलर गॉर्डन नॉर्थकॉट की भूमिका में जेम्स बटलर हार्नर ने कमाल किया है। उनकी भूमिका बेहद जटिल थी, जिसे उन्होंने उतनी ही विश्वसनीयता से निभाया है।

इस फिल्म को तीन श्रेणियों में ऑस्कर तथा आठ श्रेणियों में बाफ्टा पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसे दर्शकों एवं समीक्षकों की भरपूर सराहना मिली। बॉक्स ऑफिस पर भी यह बेहद सफल रही।