'जुड़वा' शेक्सपीयर से विशाल भारद्वाज तक / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 04 सितम्बर 2018
शेक्सपीयर के नाटक 'ट्वेल्फ्थ नाइट' से प्रेरित फिल्म विशाल भारद्वाज बनाने जा रहे हैं, जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने अभिनय करना स्वीकार कर लिया है। एक जहाज दुर्घटना में समान शक्ल सूरत के जुड़वा भाई-बहन जुदा हो जाते हैं और उनके मिलने तक का घटनाक्रम बड़ा मनोरंजक है। इसमें एक स्त्री पात्र पुरुष का वेश धारण करती है। पुरुष पात्र भी स्त्री का रूप धारण करते हैं। ज्ञातव्य है कि पांडवों को एक वर्ष गुप्त रहकर बिताना था। अर्जुन ने नारी वेश धारण करके राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य की शिक्षा दी थी। उत्तरा को स्त्री वेश धारण किए हुए अर्जुन से प्रेम हो गया। अज्ञातवास का एक वर्ष बीतने पर अर्जुन ने अपना असली परिचय दिया परंतु उत्तरा ने उनसे विवाह करने से इनकार कर दिया। कालांतर में उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ। क्या अभिमन्यु में उत्तरा को स्त्री रूप धारण करने वाले अर्जुन की झलक दिखाई दी? क्या उत्तरा को स्त्री रूप धारण किए हुए अर्जुन से प्रेम होना उनकी अलग रुचि का संकेत है? महाभारत का गहन अध्ययन करने वाले एक विद्वान का कथन है कि आधुनिक जीवन की सारी गुत्थियों का विवरण महाभारत में उपलब्ध है। संसार में ऐसी कोई दुविधा नहीं है, जिसका संकेत वेदव्यास की महाभारत में उपलब्ध नहीं हो।
शेक्सपीयर की ब्यूला उस व्यक्ति को अन्य व्यक्ति द्वारा लिखे प्रेम पत्र पहुंचाती है, जिसे वह स्वयं ही मन-ही-मन प्रेम करती थी। इसी बात को राम कपूर द्वारा संचालित 'क्रॉस रोड' नामक कार्यक्रम में भी प्रस्तुत किया गया है। 'क्रॉस रोड' के एक एपिसोड में एक मुस्लिम बालक को गोद लिए जाने का प्रसंग तो उठाया परंतु क्या मेहता दंपती द्वारा गोद लिए जाने के बाद उसे नमाज की इजाजत होगी। इस सवाल से किनारा कर लिया गया। संभवत: उन्हें हुड़दंग से भय लगा हो। विशाल भारद्वाज ने वीवी पंडित के लिए एक जिंगल की रचना की थी। पंडित साहब प्रतिवर्ष एक किताब प्रकाशित करते थे, जिसमें नए स्थापित किए गए उद्योगों की जानकारी होती थी। उन्होंने विशाल और गुलजार के साथ 'माचिस' फिल्म का निर्माण किया। खाकसार फिल्म का वितरक था और हिसाब-किताब के लिए उनके आमंत्रण पर उनके घर गया। उन्होंने बताया कि वे हमेशा नॉन वेजिटेरियन खाते हैं और मेरे सरनेम से उन्हें लगा कि मैं गुजराती हूं। वे वेजिटेरियन भोजन रेस्तरंा से मंगवाना चाहते थे।
आश्चर्य यह कि पंडित सरनेम वाला नॉन वेजिटेरियन था। उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि दशकों पूर्व गोवा में एक शिव मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना के अवसर पर बनारस से कुछ पंडितों को आमंत्रित किया गया। उस पूजा हवन के पश्चात कुछ पंडित परिवारों ने गोवा में ही बसने का निर्णय लिया। समय बीतने के साथ उन्होंने गोवा में रहने वालों की जीवन शैली को अपनाया और उनके भोजन में भी अंतर आया। एक खबर इसी तरह की आई थी कि हिंदू राष्ट्र नेपाल में अधिकतम नॉन वेजिटेरियन खाया जाता है। भारत से ही मवेशी वहां भेजे जाते हैं हमारी सरकार को इस निर्यात पर आपत्ति नहीं परंतु खाड़ी देशों में निर्यात पर आपत्ति है। सारी व्यवस्था ही अजीबोगरीब ढंग से संचालित की जा रही है। बहरहाल, वीवी पंडित ताजमहल होटल में किताबों की दुकान भी चलाते थे उनकी पुत्री को कैंसर होने पर भी उसे इलाज के लिए लंदन ले गए। उसके बाद उनके विषय में कोई जानकारी नहीं मिली। विशाल भारद्वाज को गुलजार साहब अपने मानस पुत्र की तरह मानते हैं। 'माचिस' की सफलता के बाद विशाल भारद्वाज ने शेक्सपीयर के नाटक 'मैकबेथ' से प्रेरित 'मियां मकबूल' बनाई और और 'ऑथेलो' से प्रेरित 'ओमकारा' बनाई। शेक्सपियर का 'ऑथेलो' एक वीर अश्वेत व्यक्ति है जो गोरों के देश की रक्षा करता है। सभी उसके शौर्य के प्रशंसक हैं परंतु जैसे ही एक श्वेत कन्या उसे अश्वेत से प्रेम विवाह करती है, उसके खिलाफ षड्यंत्र रचे जाते हैं।
विशाल की फिल्म 'ओमकारा' के पहले ही दृश्य में नायक एक बारात को लूटता है। मूल कथा में वह श्वेत लोगों का रक्षक है परंतु विशाल की फिल्म में लुटेरा है और अनावश्यक हिंसा करता है। दर्शक उसे कैसे अपनाता? 'मियां मकबूल' श्रेष्ठ फिल्म सिद्ध हुई। उसके बाद विशाल ने 'सात खून माफ़' नामक फिल्म बनाई जो असफल नहीं रही। इस बीच वे रस्किन बॉन्ड की 'ब्लू अंब्रेला' भी बना चुके थे। अब प्रियंका चोपड़ा के साथ शेक्सपीयर प्रेरित फिल्म बना रहे हैं। किसी भी रचना के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर परिवर्तन किए जाते हैं। साहित्य में तो अनूदित रचना को भी मौलिक रचना माना जाए ऐसे विचार प्रकट किए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि हर समय एक ही शक्ल सूरत के कम से कम सात लोग विभिन्न स्थानों पर रहते हैं। विचारणीय है की जुड़वा शिशुओं की हस्त रेखा और भाग्य रेखाएं अलग-अलग होती हैं। उनके सुख-दुख भी अलग-अलग होते हैं। परंतु एक कथा में विवरण है कि जुड़वा में एक को मारो तो दूसरे को दर्द होता है। जुड़वा से प्रेरित फिल्मों में दिलीप कुमार अभिनीत 'राम और श्याम' सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। शेक्सपीयर के नाटक 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' से प्रेरित फिल्म 'अंगूर' गुलजार ने बनाई थी। संजीव कुमार और देवेन वर्मा ने इस मनोरंजक फिल्म में कमाल का अभिनय किया था परंतु इन दो महान कलाकारों के साथ काम करते हुए मौसमी चटर्जी ने भी उस फिल्म में दर्शकों का दिल जीत लिया था।
इस सनातन कथा में एक दिलचस्प मोड़ यह हो सकता है कि हुक्मरान और विरोधी पक्ष के नेता हमशक्ल हैं। वर्तमान में दोनों ही धार्मिक स्थानों की यात्राएं कर रहे हैं, मानसरोवर की यात्रा पर भी जा रहे हैं। पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता का निर्वाह इस तरह किया कि भाखड़ा नंगल को आधुनिक तीर्थ कहा। उन्होंने कभी किसी धार्मिक स्थान की यात्रा नहीं की थी। बहरहाल, वर्तमान में पक्ष-प्रतिपक्ष के नेता धार्मिक स्थानों की यात्रा पर जा रहे हैं और अवाम जजिया कर चुका रहा है।