'द पोस्टमैन' (इल पोस्टिनो) सेल्यूलॉइड पर लिखी कविता / राकेश मित्तल

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सरहद पार सिनेमा: 'द पोस्टमैन' (इल पोस्टिनो) सेल्यूलॉइड पर लिखी कविता
प्रकाशन तिथि : 23 नवम्बर 2013


चिली के विख्यात कवि नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरुदा की गणना विश्व के महानतम कवियों में की जाती है। अपनी मार्क्सवादी विचारधारा और सर्वहारा के हक को बुलंद करती कविताओं के चलते उन्हें 1948 में चिली से निर्वासित होना पड़ा था। इस निर्वासन के परिप्रेक्ष्य में इतालवी फिल्मकार माइकल रेडफोर्ड ने वर्ष 1994 में एक काल्पनिक कहानी का ताना-बाना बुनकर 'द पोस्टमैन" नामक फिल्म बनाई, जिसमें पाब्लो नेरुदा और एक पोस्टमैन की मित्रता को बहुत खूबसूरती से दर्शाया गया है। यह फिल्म तकनीक या भव्यता के आडम्बर से दूर सीधे-सीधे दिल को छूती है। इसकी सरलता ही इसका सबसे बड़ा आकर्षण है।

फिल्म का समय 1950 के आसपास का है। मारियो (मेसीमो ट्रोसी) एक सीधा-सादा, अति साधारण ग्रामीण युवक है, जो इटली के एक छोटे-से उजाड़ द्वीप पर रहता है। यह द्वीप शेष दुनिया से लगभग कटा हुआ है। वहां अधिकांश बस्ती अनपढ़ मछुआरों की है, जो एक नियमित, घिसी-पिटी दिनचर्या से बंधे अपना जीवन गुजारते हैं। उनके जीवन में कुछ भी नयापन नहीं है। मारियो इस तरह की जिंदगी से निराश है। वह पिता की तरह मछुआरा नहीं बनना चाहता। वह थोड़ा-बहुत लिखना-पढ़ना भी जानता है। एक दिन उसे मालूम पड़ता है कि चिली के महान कवि पाब्लो नेरुदा राजनीतिक कारणों से अपने देश से निर्वासित हो गए हैं और इटली की सरकार ने उन्हें शरण दी है। वे अपनी पत्नी के साथ मारियो के गांव के पास समुद्र किनारे एक छोटे-से मकान में रहेंगे।

मारियो के गांव के पोस्ट ऑफिस में एक साइकल वाले पोस्टमैन की जरूरत है, जो प्रतिदिन पाब्लो नेरुदा की डाक उनके घर तक पहुंचा दे। मारियो इस नौकरी को पा लेता है। नेरुदा को उनके प्रशंसकों से प्रतिदिन ढेरों चिट्ठियां आती हैं। डाकिये के रूप में मारियो को रोज साइकल पर लंबी दूरी तय कर नेरुदा तक डाक पहुंचानी होती है। रोज आने वाली डाक में अधिकांश पत्र महिलाओं के होते हैं और यह बात मारियो को बहुत आकर्षित करती है। उसे समझ में नहीं आता कि आखिर नेरुदा में ऐसी क्या खास बात है जो लड़कियां उन पर इतनी फिदा हैं। उसे लगता है कि लड़कियों को आकर्षित करने के लिए कवि बनना जरूरी है। वह नेरुदा से कवि बनने के गुर सीखना चाहता है।

फिल्म बहुत खूबसूरती से आगे बढ़ती है। नेरुदा और मारियो के बीच छोटी-छोटी मुलाकातें और आपसी संवाद बहुत मजेदार हैं। दोनों के बीच का शुरूआती अजनबीपन धीरे-धीरे बहुत सहजता से दोस्ती में बदलने लगता है। नेरुदा की कविताएं मारियो के सिर के ऊपर से जाती हैं लेकिन फिर भी उसे वे अच्छी लगती हैं। उसे लगता है कि वे कई चीजें जिन्हें वह महसूस करता है लेकिन व्यक्त नहीं कर पाता, उन्हें नेरुदा कितनी आसानी से कह देते हैं!

एक दिन स्थानीय रेस्तरां में वह बिएट्रिस रूसो (मारिया ग्रेजिया) नामक लड़की को देखता है। वह पहली नजर में ही उसे दिल दे बैठता है लेकिन उसे समझ नहीं आता कि वह किस तरह बिएट्रिस को अपनी ओर आकर्षित करे। इस काम के लिए वह नेरुदा की मदद लेना चाहता है लेकिन नेरुदा उसे साफ मना कर देते हैं। वह नेरुदा की रोमांटिक कविताएं टूटे-फूटे तरीके से बिएट्रिस को सुनाता रहता है। ऐसे उजाड़ गांव में काव्यात्मक रोमांटिक प्रणय निवेदन बिएट्रिस के लिए एकदम नई बात है। वह मारियो को पसंद करने लगती है। रेस्तरां की मालकिन और बिएट्रिस की चाची डोना रोसा (लिंडा मोरेट्टी) को मारियो फूटी आंख नहीं सुहाता। वह अपनी भतीजी की शादी किसी गुंडे से भी करने को तैयार है मगर कवि से हरगिज नहीं! मारियो के लगातार आग्रह के बाद नेरुदा की मदद से उन दोनों की शादी हो जाती है। धीरे-धीरे राजनीतिक परिस्थितियां बदलती हैं। नेरुदा अपने देश लौट जाते हैं। मारियो का नि:स्वार्थ प्रेम फिल्म को एक बेहद खूबसूरत और मार्मिक अंत की तरफ ले जाता है।

फिल्म के दोनों प्रमुख कलाकार कमाल करते हैं। पाब्लो नेरुदा की भूमिका में फिलिप नोरेट इतने सहज और स्वाभाविक लगते हैं, मानो नेरुदा ने स्वयं यह भूमिका निभाई हो। उनकी क्रिया-प्रतिक्रिया, भाव-भंगिमाएं, हास्य बोध आदि इतना सहज, नैसर्गिक और स्वत:-स्फूर्त है कि दर्शक एक पल के लिए भी उन्हें नेरुदा से अलग नहीं कर पाता। दूसरी तरफ मारियो की भूमिका में मेसिमो ट्रोसी भी उतने ही स्वाभाविक हैं। उनकी निश्छल मासूमियत दिल को छू जाती है। उनके हिस्से में कई मजेदार संवाद आए हैं। दिल के मरीज होने के कारण ट्रोसी प्रतिदिन अधिकतम दो घंटे ही शूटिंग कर सकते थे। फिल्म को जल्दी खत्म करने के लिए उन्होंने अपने दिल के ऑपरेशन की तारीख भी आगे बढ़ा दी थी। दुर्भाग्यवश फिल्म की शूटिंग खत्म होने के ठीक अगले दिन हृदयाघात से उनका निधन हो गया। वे फिल्म की विश्वव्यापी सराहना के गवाह नहीं बन सके।

फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों की भरपूर प्रशंसा मिली। बॉक्स ऑफिस कर कामयाबी के साथ-साथ इसे पांच श्रेणियों में ऑस्कर हेतु नामांकित किया गया, जिसमें सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए इसे ऑस्कर मिला। विश्व के अनेक फिल्म समारोहों में पुरस्कृत होने के अलावा इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का बाफ्टा पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। मेसिमो ट्रोसी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता एवं सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिए मरणोपरांत ऑस्कर नामांकन मिला।