'प्रभु' तेरी महिमा अपार राम भये एक्शन जैक्शन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 दिसम्बर 2014
गोवर्धन तनवानी आैर प्रभुदेवा की 'एक्शन जैक्शन' मैंने अभी तक देखी नहीं है परंतु जो कथासार पढ़ा है, उससे लगता है कि रामायण से प्रेरित कथा है आैर अंतर केवल यह किया है कि एक ही अभिनेता अजय देवगन की दोहरी भूमिकाआें में एक राम से प्रेरित आैर दूसरी हनुमान से प्रेरित है। रामायण की व्याख्या में भी हनुमान के हृदय में राम का वास है, अत: इसे भी न्यायसंगत ठहराया जा सकता है। सन् 1965 में दोहरी की दिलीप अभिनीत 'राम आैर श्याम' इस श्रेणी की श्रेष्ठतम फिल्म है आैर इसी फिल्म की दोनों भूमिकाएं हेमा मालिनी को देकर सलीम-जावेद ने 'सीता आैर गीता' बनाई जिसके एक आैर रूप में श्री देवी ने दोहरी भूमिकाएं निभाई हैं। यह संयोग देखिए दोहरी भूमिकाआें की सारी फिल्मों के नामों में राम आैर सीता को स्मरण किया गया है जबकि एक व्यक्ति में अनेक व्यक्तियों के होने की अवधारणा कृष्ण के नाम से बनाई जानी चाहिए क्योंकि राम तो सदगुणों का आदर्श चरित्र है परंतु कृष्ण के चरित्र में अनेक रहस्य छुपे हैं आैर व्यावहारिक जीवन के छल-कपट की भी व्याख्या है। दरअसल हर काल-खंड के आदर्श नायक की कल्पना में काल खंड की विशेषताएं मौजूद होती हैं। राम त्रेतायुगी अवतार है, कृष्ण द्वापर युग के जिसके बाद कलयुग का आकलन है जिसकी समाप्ति कल्कि अवतार के साथ जुड़ी है।
हर देश के फिल्म लेखक भले ही वे अंग्रेजी में लिखते हो आैर हॉलीवुड से माल उड़ाते हो परंतु उनके अवचेतन के किसी सुदूर कोने में देश के महाकाव्य बैठे हैं। रामायण आैर महाभारत की अनेक व्याख्याएं हुई है परंतु उतनी ही व्याख्याआें की गुंजाइश अभी भी है। सलीम खान की एक व्याख्या यह है कि बाल्मीकि जी ने हनुमान को वानर रूप में रचा क्योंकि वे लायल्टी, निष्ठा की एकाग्रता के प्रतीक है। अत: उन्हें बाल्मीकि ने मनुष्य में नहीं रचा क्योंकि मनुष्य उतना वफादार नहीं हो सकता। स्मरण कीजिए राजकपूर की 'मेरा नाम जोकर' का नीरज लिखित गीत "जानवर इंसान से ज्यादा वफादार है आैर ये इंसान माल जिसका खाता है, प्यार जिससे पाता है, उसकी ही पीठ में मारता कटार है, भाई जरा देखकर चलो।"
दक्षिण भारत के महाभारत संस्करण उत्तर भारत के संस्करणों से अलग है परंतु रामायण के आदर्श सारे संस्करणाें में समान है। यह बात अलग है कि मणिरत्नम की एक फिल्म में सीता को रावण के प्रति आकृष्ट होते दिखाने की धृष्टता की गई है। फिल्म लेखकों की तरह फिल्म दर्शकों के अवचेतन में भी ये ग्रंथ बैठे हैं आैर इस विराट सत्य के बावजूद वे इतिहास नहीं माइथोलॉजी है। आप कभी-कभी ही अवचेतन में इतिहास को पाते हैं परंतु माइथोलॉजी हमेशा मौजूद होती है क्योंकि उसकी अनगिनत व्याख्यों की गुंजाइश है आैर मूलत: सुविधाभोगी मनुष्य उसे अपने अनुसार परिभाषित करता रहता है।
'राम आैर श्याम' जैसी इस फिल्म का नाम 'एक्शन जैक्शन' है क्योंकि बाजार आैर प्रचार ने अंग्रेजी को भी हमारे रोजमर्रा के जीवन का ऐसा हिस्सा बना दिया है कि अब अंग्रेजी में फिल्म का नामकरण करना आज के युवा वर्ग के दर्शक की सहूलियत के लिए किया जा रहा है। इस वर्ग के पास इतिहास बोध है, ना साहित्य बोध है, ये तो टेक्नोलॉजी के खिलौनों से खेलकर जवान हुए हैं आैर जीवित पिता को भी 'डेड-डेड' कहकर संबोधित करते हैं। प्रभु देवा सफल व्यवसायिक मनोरंजन गढ़ने में निष्णात है आैर उनकी प्रिय नायिका सोनाक्षी सिन्हा हैं जिनके बंगले का नाम रामायण है, भाइयों के नाम लव-कुश है। बहरहाल अजय देवगन ने कला एवं व्यवसायिक फिल्में, हर तरह की भूमिकाआें के साथ वफादारी की है- वह भूमिकाआें के प्रति हनुमान जैसी वफादारी निभाता है।