'फ्रोजन-टू' की सफलता और सामाजिक संकेत / जयप्रकाश चौकसे

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'फ्रोजन-टू' की सफलता और सामाजिक संकेत
प्रकाशन तिथि : 29 नवम्बर 2019


वाॅल्ट डिज्नी की एनिमेशन फिल्म 'फ्रोजन-2' ने बॉक्स ऑफिस पर आय के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अनुमान है कि यह फिल्म विश्व बॉक्स ऑफिस पर सबसे अधिक आय अर्जित करने वाली साबित हो सकती है। यह भव्य बजट की 'टाइटैनिक' के रिकॉर्ड को डुबो देगी। ज्ञातव्य है कि वॉल्ट डिज्नी ने 1922 में हॉलीवुड में कथा फिल्म बनाना प्रारंभ किया, परंतु सितारों के नाज-नखरे उठाने में उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच रही थी। अतः उन्होंने 1928 में एनिमेशन फिल्म बनाना प्रारंभ किया। उनकी मिकी माउस शृंखला अत्यंत लोकप्रिय हुई। वाॅल्ट डिज्नी एनिमेशन विधा के जनक माने जाते हैं। डिज्नी स्टूडियो में सभी प्रकार की फिल्में बनाने के साधन उपलब्ध हैं। वाॅल्ट डिज्नी ने ही मनोरंजन थीम पार्क आकल्पन किया। उन्होंने अनेक देशों में थीम पार्क स्थापित किए हैं। भारत यात्रा के बाद उन्हें लगा कि भारत में थीम पार्क नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इसकी महंगी प्रवेश दर दे सकने की क्षमता ज्यादातर भारतीयों के बस की बात नहीं है। उन्होंने चीन में डिज्नी थीम पार्क की स्थापना की।

मुंबई के उद्यमी एवं साहसी मनमोहन शेट्टी को यह बात बहुत बुरी लगी। उन्हें यह अपने देश का अपमान लगा अतः उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगाया और अपने जीवन में पहली बार व्यवसाय के लिए बैंक से ऋण लिया। ज्ञातव्य है कि 16 एमएम की फिल्म 'रसायनशाला' से यात्रा प्रारंभ करके उन्होंने एडलैब्ज की स्थापना की। भारत में पहला मल्टीप्लेक्स उन्होंने ही बनाया। प्रकाश झा और गोविंद निहलानी जैसे फिल्मकारों को पूंजी उपलब्ध कराई। मनमोहन शेट्टी का मुंबई-पुणे मार्ग के निकट 200 एकड़ जमीन पर इमेजिका थीम पार्क बनाया गया है। दो हजार करोड़ की पूंजी से बना इमेजिका अब लाभ कमाने लगा है। एनिमेशन फिल्म 'फ्रोजन-2' के एक पात्र के पास यह शैली है कि वह किसी भी व्यक्ति को बर्फ में बदल सकता है। भस्मासुर को भी यह वरदान दिया गया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म में बदल जाएगा। भस्मासुर ने वरदान का दुरुपयोग करना प्रारंभ कर दिया। मनुष्य का अहंकार हर वरदान को श्राप में बदल देता है। अतः भस्मासुर को भी उसी को दिए गए वरदान का उपयोग करके नष्ट किया गया। प्राय: बच्चे स्टेच्यू नामक खेल खेलते हैं। किसी भी साथी को स्टेच्यू बोलने पर वह स्थिर रह जाता है। बच्चों को इस खेल में स्थिति बने व्यक्ति को पलक झपकने की आज्ञा भी नहीं होती। ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्म 'गुड्डी' के क्लाइमेक्स में इस खेल का उपयोग किया है। नायिका, नायक को स्टेच्यू बोलती है। वह उसे पलक झपकाकर प्रश्न का उत्तर देने की 'आज्ञा' देती है। नायक पलक झपकाकर ही प्रेम निवेदन भी करता है। उम्र के हर मोड़ पर अपने हृदय में बचपन को कायम रखने से ही मनुष्य दुविधामुक्त हो सकता है। बचपन की पटकथा पर ही जीवन की फिल्म आधारित होती है। चार्ली चैपलिन ने ही फिल्मकारों को सिखाया कि हृदय में सुरक्षित बचपन से सृजन की धारा निकलती है। गोयाकि बचपन ही जीवन ऊर्जा की गंगोत्री है।

फ्रिज में रखा फ्रोजन फूड भी खाया जाता है। फिल्म 'शोले' में सांभा पात्र अभिनीत करने वाला व्यक्ति सारी उम्र फ्रोजन फूड ही खाता रहा। रेफ्रिजरेटर का उपयोग मध्यम आय वर्ग के लोग भी करते हैं। फ्रिज से निकालकर खाने की वस्तु को माइक्रोवेव में गर्म करके खाया जाता है। गोयाकि फ्रोजन अवस्था में ओवन तक की यात्रा किया हुआ भोजन कामकाजी लोग करते हैं। ताजे भोजन के साथ ही मनुष्य ने नए विचारों से भी परहेज करना प्रारंभ कर दिया है। हुड़दंगी भी नए विचारों से आहत होकर अपने मनपसंद आखेट पर निकल पड़ते हैं। एनिमेशन फिल्म 'फ्रोजन' की सफलता ने विश्व के मनोरंजन उद्योग को चकित कर दिया है। यह संभव है कि व्यवस्थाओं के फ्रोजन हो जाने को ही फिल्मकार ने रेखांकित करने का प्रयास किया हो। जीवन को भी अभिशप्त कर दिया गया है। बच्चों द्वारा खेला गया खेल खो-खो आजकल राजनीति में खेला जा रहा है। अगली पायदान आट्या-पाट्या खेल हो सकता है। ताश के पत्तों द्वारा ब्लफ नामक खेल खेला जाता है। व्यवस्थाएं 'ब्लफ' ही खेल रही हैं। हम सब अब खिलौने के कमरे के जाले साफ करें। बचपन में उपयोग किए खिलौने से पुन: खेलना प्रारंभ करें। चाबी भरा खिलौना उतना ही चलता है जितनी चाबी उसमें हमने भरी है। जिस माहौल में याद आती है दुष्यंत कुमार की कविता, 'जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।' इन उपेक्षित खिलौनों के माध्यम से भी हमें जीवन में दिशा ज्ञान प्राप्त हो सकता है। यह दुख की बात है कि खिलौने बनाने वाली कंपनियां मशीन गन एके-47, तोप इत्यादि की डिजाइन पर खिलौने बना रही हैं। बच्चे 'युद्ध-युद्ध' खेलते हुए जाने कब असल युद्ध में प्रवेश कर जाएंगे। अनुमान है कि 'फ्रोजन-2' में भविष्य के संकेत हैं। ज्ञातव्य है कि 'फ्रोजन' ने भारत में मात्र तीन करोड़ अर्जित किए थे, वहीं 'फ्रोजन-2' ने पहले 3 दिन में 18 करोड़ कमा लिए हैं।