'बदला': रंगमंच कलाकार का कमाल / जयप्रकाश चौकसे

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'बदला': रंगमंच कलाकार का कमाल
प्रकाशन तिथि : 09 मार्च 2019


सुजॉय घोष अपनी विद्या बालन अभिनीत फिल्म 'कहानी' के लिए प्रख्यात हैं। उनकी ताजा फिल्म अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, अमृता सिंह, अभिनीत 'बदला' स्पेन की 'द इनविजिबल गेस्ट' से प्रेरित फिल्म है। जिसकी शूटिंग स्कॉटलैंड में की गई है। सभी जानते हैं कि स्कॉटलैंड की गुप्तचर सेवा और पुलिस विश्वभर में अपनी दक्षता के लिए जाने जाते हैं। दरअसल, स्कॉटलैंड का हर नागरिक अत्यंत सचेत है और कहीं भी कुछ अजीब-सा घटा देखते हैं या उन्हें कोई संदेह मात्र होता है तो पुलिस को फोन कर देते हैं। इस तरह नागरिक जागरुकता ही स्कॉटलैंड की पुलिस को इतना सक्षम बनाती है।

इस फिल्म में तापसी पन्नू अभिनीत पात्र एक व्यापार तंत्र की मुखिया है और एक समारोह में उसे सबसे चतुर एवं सफल व्यवसायी होने का पुरस्कार भी मिलता है। वह अपनी कॉर्पोरेट का एक व्यापार समझौता जापान के साथ करने में सफल होती हैं। अतः मोटे तौर पर हम उसे बाजार का प्रतीक मान सकते हैं। उसकी कार एक अन्य कार से टकरा जाती है और दूसरी कार का चालक युवा मर जाता है। तापसी का साथी चाहता है कि पुलिस को सूचना दी जाए परंतु ऐसा करने पर उसकी कॉर्पोरेट कंपनी का नाम भी गलत कारणों से सुर्खियों में आ जाता। बाजार तंत्र की यह विशेषता है कि अपने प्रचार तंत्र की सहायता से वे गंजे व्यक्ति को कंघा बेच सकते हैं और हिमालय की तराई में रहने वाले को बर्फ बेच सकते हैं परंतु किसी दुर्घटना से जुड़े होने को छुपाना चाहते हैं। इस तरह गुड़ से परहेज करने वाला गुलगुले खाता है।

यह फिल्म दो ताकतों की टकराहट की कहानी बयां करती है। एक ताकत बाजार है तो दूसरी तरफ रंगमंच के दो सेवानिवृत्त कलाकार हैं और रंगमंच के कलाकार अपनी अभिनय क्षमता से बाजार को पराजित करते हैं। तापसी पन्नू अभिनीत पात्र दो कत्ल करता है और कहीं कोई सबूत नहीं छोड़ता परंतु रंगमंच का कलाकार उसके वकील का भेष धारण करके उससे सत्य न केवल जान लेता है वरन साक्ष्य को भी रिकॉर्ड कर लेता है। फिल्म के अंतिम दृश्य में उसका असली वकील आता है और वह समझ जाती है कि उसने स्वयं ही सारा सत्य बता दिया है। इस तरह हम इस फिल्म में रंगमंच के कलाकार द्वारा बाजार को पराजित होता देखते हैं। वर्तमान समय में बाजार ही देश चला रहा है तो क्या हम यह उम्मीद करें कि रंगमंच के कलाकार हमें बाजार की ताकतों से मुक्त कराएंगे। हुक्मरान भी बाजार की ही नुमाइंदगी करता है।

यह फिल्म हमें अजय देवगन अभिनीत 'दृश्यम' की याद इस मायने में दिलाती है कि उस फिल्म में एक आला पुलिस अफसर का बेटा गायब हो जाता है और उसका शव भी नहीं मिलता। उस फिल्म का नायक भी वीडियो की दुकान चलाता है और सारा ज्ञान उसने फिल्में देखकर ही सीखा है।

बहरहाल, यह 'दृश्यम' से अलग फिल्म है। फिल्म के एक संवाद में कुरुक्षेत्र के चक्रव्यूह का जिक्र किया गया है। जब अर्जुन अपनी गर्भवती पत्नी को चक्रव्यूह कैसे भेदा जा सकता है, यह बता रहे थे, तब उनकी पत्नी चक्रव्यूह से निकलने का मार्ग बताएे जाते समय सो गई थी। यह फिल्म भी चक्रव्यूह की तरह है, जिसमें दर्शक फंस जाता है और अभिमन्यु की तरह ही वह इससे बाहर निकल पाने में सफल नहीं होता।

अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू विलक्षण कलाकार हैं परंतु कथा इतनी घुमावदार व पेचीदा है कि मात्र अभिनय के सहारे पूरी तरह समझ पाना कठिन होता है। स्पेन दो चीजों के लिए विख्यात है एक 'बुल फाइट'और दूसरी स्पेनिश भाषा में अपशब्दों के भंडार के लिए। महान उपन्यासकार हेमिंग्वे स्पेन के गृहयुद्ध में शामिल हुए थे और जब उनसे पूछा गया कि वे तो स्पेन के नागरिक भी नहीं हैं फिर उस गृहयुद्ध में जान का जोखिम क्यों लिया तो उनका उत्तर था कि उस भाषा में अपशब्दों का भंडार है, जिसे जानने के लिए वे उस युद्ध में कूद पड़े थे।

हर तरह से विवश आम आदमी भी अपनी भाषा भड़ास अपशब्दों के माध्यम से बयां करता है। सरकार चलाने वालों के पास आवाम के प्रार्थनापत्र तो पहुंचते हैं परंतु निदान नहीं निकल पाने के कारण अवाम के अपशब्द उस तक नहीं पहुंचते।