'बाहुबली' प्रभास और'पद्मावती' दीपिका पादुकोण / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :13 मई 2017
बाहुबली के नायक प्रभास ने यह जाहिर किया है कि वे बहुत पहले से ही मन ही मन दीपिका पादुकोण से प्यार करते हैं। कमसिन उम्र में इस तरह का एकतरफा प्रेम हो जाता है और इस कोमल भावना को राज कपूर ने 'मेरा नाम जोकर' के प्रथम भाग में प्रस्तुत किया है कि किस तरह कमसिन उम्र का छात्र अपनी 26 वर्षीय शिक्षिका से मन ही मन प्रेम करता है। उस शिक्षिका का होने वाला पति आते ही इस कसक को न केवल महसूस करता है वरन छात्र से बातचीत करके उसे समझाता भी है। जोकर का यह भाग राज कपूर के जीवन से प्रेरित है, जब वे कमसिन उम्र के छात्र थे और अपनी शिक्षिका से मन ही मन प्रेम करते थे। कुछ इसी तरह का प्रसंग हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा के पहले खंड, 'क्या भूलूं क्या याद रखूं' में भी लिखा है।
दरअसल, कमसिन उम्र उस बेल की तरह है, जो निकट के वृक्ष या दीवार से लिपट जाती है। इस उम्र में दिल पर लगी ठेंस को आदमी आजीवन याद रखता है। कमसिन उम्र एक अलिखित कविता की तरह है। घर के सदस्य प्राय: इस उम्र में छायी धुंध को अपनी संवेदनहीनता से और अधिक गहरा कर देते हैं। इस उम्र में दोस्ती का हाथ बढ़ाकर उनके सपनों और भय पर बात की जानी चाहिए अन्यथा इससे उपजी कुंठाएं जीवनभर कष्ट देती हैं। प्राय: पास-पड़ोस में रहने वाले युवा प्रेम करते हैं परंतु प्रेमिका के परिवार द्वारा तय किए गए विवाह में पत्तलें साफ करते हैं और अपना गम छिपाते हैं। इस तरह के युवा प्राय: फिल्मों के गीत गाते हैं। संभवत: गायक मुकेश की लोकप्रियता का भी यही कारण है। उन्होंने अपने लंबे कॅरिअर में लगभग 900 गीत गाए हैं, जबकि मोहम्मद रफी ने 10 हजार गीत गाए हैं परंतु मुकेश की लोकप्रियता का प्रतिशत सबसे अधिक है। पार्श्वगायन के क्षेत्र में मन्ना डे के साथ न्याय नहीं हुआ। राज कपूर के प्रिय गायक उनके बाल सखा मुकेश रहे परंतु उन्होंने कठिन धुनें हमेशा मन्ना डे से गवाई। 'श्री 420' का 'प्यार हुआ इकरार हुआ' और 'चोरी चोरी' का 'आजा सनम मधुर चांदनी में हम' शहद की तरह मीठे गीत हैं। इन्हें सुनने मात्र से शहद सेवन का स्वास्थ्य लाभ हमें प्राप्त होता है। प्रतिदिन प्रात: शहद पीने और इन गीतों को सुनने से आप निरोग रह सकते हैं।
सेहत और माधुर्य का गहरा रिश्ता इस सच्ची घटना से उजागर होता है कि फिल्मकार मेहबूब खान (मदर इंडिया) लंदन में चिकित्सा करा रहे थे और उनकी अनिद्रा बड़ी समस्या थी। एक दिन बेचैनी बढ़ने पर उन्होंने अपनी देखभाल के लिए साथ आए व्यक्ति से कहा कि डॉक्टर की इजाज़त लेकर भारत में लता मंगेशकर को फोन लगाएं और निवेदन करें कि 'रसिक बलमा हाय दिल क्यों लगाया' (फिल्म चोरी-चोरी) गाएं। टेलीफोन पर गीत सुनकर मेहबूब खान तनावमुक्त हुए और अनिद्रा से मुक्ति पाई, जिसने उनके इलाज में सहायता की।
कुछ इस तरह के प्रयोग भी हुए हैं कि रोपे हुए पौधों को संगीत सुनाया गया तो वे जल्दी पनपने लगे। कुछ जानवरों के दूध-दोहन के समय संगीत बजाया गया तो उन्होंने अधिक दूध दिया। जाने कैसे यह तर्कहीन बात प्रचलित हुई है कि भैंस के आगे बीन बजाना बेकार है। संभवत: किसी बेसुरे गीत के कारण भैंस ने दूध दुहने वाले को लात मार दी होगी। यथार्थ यह है कि बछड़े को दूध पिलाए बगैर की गई जोर जबर्दस्ती के कारण भैंस ने लात मारी हो। ममता शक्तिशाली भावना है। शायद इसी से प्रेरित गीत बना, 'मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा।'
प्रभास के अवचेतन पर उनकी भूमिका का गहरा प्रभाव हुआ है और वे स्वयं को बाहुबली समझने लगे हैं। यह पहली बार नहीं हुआ है। एक दौर में अनेक त्रासद प्रेमकथाओं में अभिनय करने के कारण दिलीप कुमार अपनी मनोचिकित्सा के लिए लंदन गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें उपचार हेतु हास्य प्रधान फिल्में करने की सलाह दी और उन्होंने 'कोहिनूर,आज़ाद,' और 'राम और श्याम' अभिनीत कीं। सुना है कि दिलीप कुमार की याददाश्त चली गई है। इसके उपचार का एक गैर-वैज्ञानिक कार्य यह किया जा सकता है कि उनकी प्रारंभिक फिल्मों की नायिका कामिनी कौशल उन्हें बार-बार मिलें। भले ही उस समय सायरा बानो निगरानी रखें। यह देखना एक महान अनुभव होगा कि कामिनी कौशल को देखकर दिलीप कुमार की निस्तेज आंखों में कैसे चमक आती है। पार्श्व में यह गीत भी बजाया जा सकता है, 'गमे जिं़दगी के अंधेर में हमने चिरागे मोहब्बत जलाए बुझाए, वो जब याद आए, बहुत याद आए।'
एक काम यह भी किया जा सकता है कि संसद व राज्यसभा के गलियारों में फिल्म संगीत निरंतर बजता रहे। इससे राजनीतिक सद्भावना बन सकती है। बेसुरे नेताओं को संभवत: माधुर्य कुछ हद तक सार्थकता प्रदान करे। बहरहाल, समाचार है कि रनवीर सिंह व दीपिका पादुकोण की मित्रता कमजोर पड़ गई है और रणवीर कपूर के साथ अपने संबंध को वे बहुत पीछे छोड़ चुकी हंै। अत: बाहुबली प्रभास को प्रयास करना चाहिए। एसएस राजामौली इस मुलाकात के लिए प्रभास को संवाद लिखकर दे सकते हैं। संजय लीला भंसाली अपनी पद्मावती के लिए संवाद लिखकर दे सकते हैं। इस तरह राजमौली व भंसाली संवाद स्थापित हो सकता है।