'भाग मिल्खा भाग' का पुन: संपादन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 22 अगस्त 2013
फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपनी सफल सार्थक फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' के अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के संस्करण में से 30 मिनट निकाल दिए हैं। ज्ञातव्य है कि भारत में प्रदर्शित संस्करण 3 घंटे 9 मिनट का था। प्राय: अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में दिखाए जाने वाले संस्करण से गाने काट दिए जाते हैं, परंतु मेहरा ने दृश्यों में कांट-छांट की है। नायक की ट्रेनिंग के दृश्यों को पहले भी छोटा किया जा सकता था, मसलन लद्दाख में फिल्माए गए धावक के दम-खम बढ़ाने के दृश्य। मेहरा साहब ने बड़े परिश्रम और प्रतिभा से फिल्म रची, परंतु एक छोटे-से दृश्य का नहीं होना खटकता है। मिल्खा ने प्रेमिका सोनम से कहा था कि एक दिन वह भी राष्ट्रीय छुट्टी घोषित कराएगा और जब पाकिस्तान में विजय के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू छुट्टी घोषित करते हैं और कहीं और ब्याही प्रेमिका यह खबर सुनती है। नायक फरहान अख्तर ने भी इस दृश्य की सिफारिश की थी और मूल पटकथा में प्रसून जोशी ने यह दृश्य लिखा भी था।
बहरहाल, फिल्मकार को संपादन करते समय वे कष्ट याद आते हैं, जो शूट करते समय हुए थे और फिल्मकारों को वह खर्च भी याद आता है। दरअसल, सृजन कार्य ही निर्मम होता है, सृजनकर्ता कई मौत मरकर सृजन करता है, जिसके लिए अपने प्रति उसे निर्मम होना पड़ता है और उसके अपने प्रियजन भी उसकी निर्ममता का शिकार होते हैं। एक ही फिल्म के दो संपादक दो संस्करण बना सकते हैं, क्योंकि उसके निजी पूर्वग्रह, पसंद-नापसंद उसके काम को प्रभावित करते हैं। प्राय: फिल्मकार संपादन कक्ष में हमेशा मौजूद रहते हैं और अपनी परिकल्पना के अनुरूप कांट-छांट करते हैं। बहरहाल, यह देखना रोचक होगा कि उन्होंने गीतों को कायम रखकर क्या हटाया है। प्राय: कुशल संपादक फिल्मकार बन जाते हैं, जैसे बिमल रॉय की फिल्मों के संपादक ऋषिकेश मुखर्जी सफल निर्देशक बने। व्यावसायिक सिनेमा के सफल डेविड धवन ने वर्षों संपादन किया है। प्रसून जोशी ने स्पष्ट किया है कि कैसे उन्होंने चुस्त पटकथा लिखने के लिए तथ्यों के साथ कल्पना मिलाई, क्योंकि वे मनोरंजक फिल्म लिखना चाहते थे। इस फिल्म में अनेक पात्र काल्पनिक हैं। काल्पनिक दृश्य यथार्थ को धार प्रदान करें तो उनका समावेश करना उचित है। कोई भी बायोपिक पूरी तरह यथार्थपरक नहीं हो सकता, इस तरह वृत्तचित्र बनाया जा सकता है।
प्रसून जोशी बधाई के पात्र हैं और उन्होंने तमाम समझौतों के बारे में सार्थक स्पष्टीकरण भी दिया है। फिल्म में मिल्खा के पाकिस्तानी प्रतिद्वंद्वी को मिल्खा की टक्कर का बताया गया है ताकि क्लाइमैक्स रोचक बन सके, परंतु सच्चाई यह है कि उस दौर में पाकिस्तान में कोई भी धावक मिल्खा की टक्कर का नहीं था। हिंदुस्तानी दर्शक को विशेष आनंद मिलता है जब पाकिस्तान हारता है। अगर मिल्खा क्लाइमैक्स में ऑस्ट्रेलिया के प्रतिद्वंद्वी को हराते तो यह बॉक्स ऑफिस थ्रिल नहीं मिलता।
यह ऐसा समझौता है जिसका स्पष्टीकरण देने की भी आवश्यकता नहीं है। इन दोनों मुल्कों में एक-दूसरे की आलोचना का तंदूर हमेशा दहका रहता है और सफलता की रोटियां सेंकी जा सकती हैं। पाकिस्तान और भारत दोनों में कुछ शक्तियां हैं, जिनका लाभ इसी तंदूर को दहकाए रखने में है। वर्तमान में हमारी सीमा-रेखा पर गोलीबारी और घिनौने आतंकवादी हमले इन अलगाववादी शक्तियों को हमेशा मजबूत करते रहेंगे। चीन के अतिक्रमण पर हम खामोश रहते हैं, क्योंकि वह हमसे बड़ी शक्ति है। यह सब स्वाभाविक है। पाकिस्तान में 'भाग मिल्खा भाग' नहीं दिखाई गई।
बहरहाल, इस फिल्म का अंतरराष्ट्रीय संस्करण देखने की उत्सुकता है।