'रिंग': ए भाई जरा देखकर चलो / जयप्रकाश चौकसे

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'रिंग': ए भाई जरा देखकर चलो
प्रकाशन तिथि :29 मई 2017


आनंद एल. राय ने अपनी शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'रिंग' के लिए कैटरीना कैफ एवं अनुष्का शर्मा को अनुबंधित किया है। कहा जाता है कि यह एक बौने की कथा है परंतु अफवाह यह भी है कि इसके कुछ अंश में नायक सामान्य कद का होगा, तो क्या बौने का स्वांग उसने रोजी-रोटी कमाने के लिए किया है, क्योंकि बौने व्यक्ति तो सामान्य कद के होेने के स्वप्न देखने की हिम्मत भी नहीं करते। सामान्य कद उसका स्वप्न दृश्य हो सकता है। स्वप्न दृश्य मसाला फिल्म में एक नृत्य गीत रखने का अवसर देता है। श्रेष्ठतम स्वप्न दृश्य राज कपूर की 'आवारा' में था, जो मूल पटकथा का हिस्सा नहीं थी। कुछ भाषणों से लबरेज दृश्यों को हटाकर यह स्वप्न दृश्य रचा गया था।

बंगाल के उपन्यासकार शंकर के 'चौरंगी' नामक उपन्यास में प्रस्तुत पांच सितारा होटल में एक कैबरे प्रस्तुत किया जाता था। लंबी लड़की की जांघों पर एक बौना उछल-कूद मचाता था। उपन्यास में यह भी प्रस्तुत किया गया था कि यथार्थ जीवन में कैबरे करने वाली और बौना सगे भाई-बहन हैं परंतु अपने बौने भाई की खातिर वह यह 'अभद्र' कार्यक्रम प्रस्तुत करती थी।

बहरहाल, कैटरीना कैफ को कॅरिअर की ढलान पर मिली यह फिल्म उन्हें अपनी पारी खींचने का अवसर देगी। अपने प्रारंभिक काल में कैटरीना कैफ को सलमान खान का सहयोग मिला। एक दौर में वे रणबीर कपूर की अंतरंग मित्र हो गईं। दोनों ने साझे में फ्लैट भी लिया था और उसे वैसा ही सजाया था जैसे अयान मुखर्जी की रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म 'वेकअप सिड' में दिखाया गया था। अब उस नष्ट नीड़ को क्या भूलूं, क्या याद रखूं की दशा में पहुंचा दिया गया है। आजकल कैटरीना कैफ खान परिवार की 'प्रॉडिगल डॉटर' की तरह हो गई है। ज्ञातव्य है कि बाइबिल में सद्‌राह पर लौटे पुत्र का गर्मजोशी से स्वागत होता है। हमेशा सही राह पर चलने वाले से अधिक मान उसका होता है, जो कुछ समय के लिए गुमराह रहकर सद्‌राह पर लौटता है। अत: कैटरीना की कैफियत अब बढ़ गई है। टाइगर के हृदय में वे अब भी जिंदा हैं।

आनंद एल. राय ने टेलीविजन के लिए काम करके कथा फिल्मों में प्रवेश किया है और उनकी 'तनु वेड्स मनु' तथा 'रांझना' अत्यंत मनोरंजक फिल्में थीं। उनका खेमा अंग्रेजी शासित फिल्म संसार में हिंदी का द्वीप है। उनके स्थायी गीतकार राज शेखर अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। आनंद राय की 'रिंग' शाहरुख के संध्या काल को लम्बा खींच सकती है। यही कैटरीना कैफ के बारे में भी सच है। कैटरीना मितव्ययता में यकीन करती हैं और अत्यंत अनुशासित कलाकार हैं। वे तीनों खान एवं कपूर के साथ काम कर चुकी हैं। उसकी एकमात्र परोक्ष असफलता यह है कि वे अपनी छोटी बहन को सितारा नहीं बना पाईं। उन्होंने बहुत सोच-विचार करके पूंजी निवेश किया है। पूंजी के प्रति मोह या उसका सटीक प्रबंधन न तो खान परिवार ने कभी स्वीकारा है, न ही कपूर परिवार की प्राथमिकता रही है। इन दोनों खानदानों को कैटरीना कैफ इस क्षेत्र में सिखा सकती हैं। पूंजी को समझना अत्यंत कठिन है। अजीब बात यह है कि पूंजी से संचालित शेयर बाजार भी भावना में बहता है। यह बात अलग है कि कुछ लोग इस भावना का उत्पाद करना जानते हैं। वह दिन दूर नहीं जब कौड़ियों के दाम किलो दो किलो भावना बाजार में उपलब्ध होगी। खरीददार तो आज ही उसके लिए मचल रहे हैं। इतिहास में बाजार कभी इतना शक्तिशाली नहीं था।