'शुद्धि' नहीं, रितिक को 'श्रोता' चाहिए / जयप्रकाश चौकसे

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'शुद्धि' नहीं, रितिक को 'श्रोता' चाहिए
प्रकाशन तिथि : 12 फरवरी 2014


कुछ दिन पूर्व ही मैंने टेलीविजन पर हॉफमैन की मृत्यु का समाचार देखकर यह मान लिया कि यह डस्टिन हॉफमैन है जबकि मृत्यु किसी और हॉफमैन की हुई थी। डस्टिन हॉफमैन और उनके प्रशंसकों से क्षमा याचना करता हूं। बहरहाल उद्योग में चर्चा है कि रितिक रोशन ने करण जौहर की भव्य 'शुद्धि' नहीं करने का निर्णय लिया है। यह फिल्म एक वर्ष से रितिक के लिए रुकी है, क्योंकि उनके अमेरिका जाकर शल्य चिकित्सा कराने के कारण 'बैंग बैंग' की शूटिंग निरस्त हो गई और अभी रितिक उसी में व्यस्त हैं। यह भी चर्चा में है कि 'शुद्धि' की नायिका करीना कपूर किसी दौर में दिलोजान से निछावर थी रितिक रोशन पर परंतु यह एकतरफा जुनून था, क्योंकि कमसिन उम्र से ही रितिक का सुजैन के साथ इश्क था और उस दौर में रितिक रोशन अपने हकलाने से व्याकुल थे और सुजैन ने हकलाने पर विजय पाने में उनकी जमकर मदद की थी और उसका आत्मविश्वास वापस आ जाए इसके लिए वे हमेशा तत्पर थीं। हमारा असहिष्णु समाज हकलाने वाले का मखौल उड़ाता है और मखौल की खौफ से हकलाना बढ़ता जाता है। हारमोनियम बजाना सीखना इसमें मदद करता है। दरअसल हकलाने वाले को सहृदय श्रोता चाहिए जिसके सामने वह बोलता रहे, हकलाता रहे, स्वयं को सुधारता रहे और इस कठिन प्रक्रिया में कोई उस पर हंस नहीं रहा है, मखौल नहीं उड़ा रहा है। सुजैन ने इसी श्रोता की भूमिका निभाई।

अब दोनों के बीच अलगाव हो चुका है और रितिक ने बिना हकलाए अलगाव की घोषणा की और इसी रवानगी से 'शुद्धि' से अलग भी हो गए परंतु यह संभव है कि अरसे पहले करीना के जुनून के कारण सुजैन को यह पसंद नहीं था कि उसका 'घी' किसी और के पास जाए। यह बहुत पहले की बात है, आज करीना अपने पति सैफ के साथ प्रसन्नता और संतोष से जी रही है। सुजैन को कभी असुरक्षा महसूस हुई थी। क्या यह संभव है कि सुजैन को संकेत देने के लिए रितिक ने फिल्म ही छोड़ दी। दोनों को नजदीक से जानने वाले कहते है कि अलगाव के बावजूद दोनों एक-दूसरे का हित चाहते हैं और उनका फिर से मिलना संभव है। अगर अब जीवन में रितिक हकलाने लगे तो उसकी 'श्रोता' सुजैन वापस लौट आएगी। सुजैन चाहती हैं कि रितिक एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं और कुछ बुरी लतों से मुक्त हो जाएं। अत: 'शुद्धि' फिल्म से इनकार अपनी जगह है परंतु जीवन में आंतरिक शुद्धि आवश्यक है।

दरअसल एक सितारे का जीवन फूलों की सेज नहीं है जैसा कि प्रचारित किया गया है। एक्शन हीरो को तो और भी अधिक परिश्रम करना पड़ता है। एक सितारा शिकागो की ठंड में काम करके अगला दौर जैसलमेर में करता है। इन परेशानियों के साथ यह भी जुड़ा है कि उसके गिर्द व्यक्तिगत लाभ उठाने वालों की भीड़ जुटी होती है गोयाकि अनगिनत लोगों को प्यारा स्वयं सच्चे प्रेम से दूर हो जाता है। थियेटर में बजी तालियां उसके अवचेतन में गूंजती रहती हैं। सभी दिन समान नहीं होते, विफलताएं भी झेलनी होती हैं और एक असुरक्षा का भाव उसके कवच को भेद जाता है। सितारे पर अनेक किस्म के दबाव होते हैं और सारे वैभव तथा प्रशंसा के बाद भी कही वह नितांत अकेला है। एक पात्र से दूसरे पात्र का अनवरत सफर अवचेतन में अनेक प्रभाव छोड़ जाता है, यहां तक कि सतही ढंग से अभिनय करने वाले सितारे के अवचेतन में कुछ तलघटी प्रभाव तो रह ही जाता है।

हॉलीवुड के अनुबंध में स्पष्ट लिखा होता है कि शूटिंग के दरमियान सितारे का वजन स्थिर रहेगा, उसे एक पौंड बढ़ाने या घटाने की इजाजत नहीं है। माइकल जैक्सन जैसे व्यक्ति तो इन अनगिनत दबाव से बचने के लिए भांति-भांति के 'ड्रग्स' से मरे भी हैं। यह कॉलम जिस हॉफमैन की मृत्यु से प्रारंभ हुआ, वह भी ओव्हर डोज के कारण ही मरा है। रितिक के 'शुद्धि' से अलग होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि इस भव्य फिल्म के लिए नायक और नायिका को 200 दिन आवंटित करना था। आजकल सितारे इस तरह भी सोचते हैं कि एक औसत फिल्म पचास साठ दिन की शूटिंग में समाप्त होती है और 'शुद्धि' को दिए जाने वाले समय में तीन या चार फिल्में हो सकती है। आज किसी को भी कोई महान फिल्म नहीं करना है दौलत कमानी है। उन्हें यह भय भी होता है कि 200 दिन वाली बहुप्रचारित फिल्म असफल हो जाए तो ्या होगा? एक प्रमुख सितारा अपने अनुबंध में दिए गए समय से ऊपर समय के लिए अतिरिक्त धन की शर्त रखता है। इस बाजार शासित काल खंड में हर रिश्ते का अध्ययन करते समय बाजार के मोल-भाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोई भी रिश्ता बाजार की तराजू पर तौले जाने से बच नहीं सकता।