'संजू' और 'वीरे दी वेडिंग' का इंतजार / जयप्रकाश चौकसे

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'संजू' और 'वीरे दी वेडिंग' का इंतजार
प्रकाशन तिथि :28 अप्रैल 2018


इस समय छोटे परदे पर और विविध माध्यमों में आने वाले दो फिल्मों की झलकियां अत्यंत लोकप्रिय हो रही हैं। ये फिल्में हैं 'संजू' और 'वीरे दी वेडिंग'। दोनों फिल्मों के कथानक जुदा हैं, प्रस्तुतीकरण जुदा है और समान बात केवल यह है कि युवा वर्ग अब दोनों फिल्मों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। राजकुमार हीरानी की रणवीर कपूर अभिनीत 'संजू' संजय दत्त का बायोपिक है। राजकुमार हीरानी 'मुन्नाभाई एमबीबीएस', 'लगे रहो मुन्नाभाई' और 'पीके' में संजय दत्त के साथ काम कर चुके हैं। मुन्नाभाई शृंखला में संजय दत्त नायक थे परंतु पीके में एक चरित्र अभिनेता थे। इन फिल्मों के निर्माण के दरमियान उन्होंने बहुत समय साथ गुजारा है। संजय दत्त ने उन्हें अपने जीवन की अनेक घटनाएं सुनाईं और इन्हीं को आधार मानकर राजकुमार हीरानी ने यह बायोपिक रचा है। प्राय: मनुष्य अपने जीवन की घटनाओं को अपने विश्वास और पूर्वग्रह के नज़रिये से देखता है। मनुष्य इतना कायर है कि नितांत गोपनीय क्षणों में जब वह खुद से मुखातिब होता है तब भी असली तथ्य से दूर ही रहता है। वह कल्पना के चश्में से अपने जीवन की घटनाओं को देखता है और सहानुभूति का भूखा होता है। यह अत्यंत दयनीय है कि आप सहानुभूति की बैसाखियां चाहते हैं और इसके लिए अपने विगत को अपनी सहूलियत से सुनाते हैं।

मसलन घर में एक शेर की खाल है और व्यक्ति सुनाता है कि कैसे उसने शेर को मारा जबकि हकीकत यह है कि शेर की दहाड़ सुनकर वह मचान पर डर से कांप रहा था और उसके सेवक ने शेर का शिकार किया है परंतु शेर पर पैर रखकर फोटो इन्होंने खिंचवाया है। 'संजू' के ट्रेलर में संजय दत्त कहते हैं कि उन्होंने फुटपाथ पर भीख मांगी है। नरगिस व सुनील दत्त का पुत्र भीख मांग रहा है - इस पर कौन यकीन करेगा? बहरहाल, फिल्म देखने के बाद ही उस पर अपने विचार अभिव्यक्त करना चाहिए। अत: इसे त्वरित टिप्पणी की तरह लें।

'वीरे दी वेडिंग' में करीना कपूर, सोनम कपूर और स्वरा भास्कर के साथ एक अन्य कन्या भी है। ये चार सहेलियों की कथा है। इस ट्रेलर में एक संवाद का आशय यह है कि विगत एक वर्ष में उस महिला को अपने पति के साथ अंतरंगता का एक क्षण भी नसीब नहीं हुआ। हमारे देश में कभी इस तरह की जांच पड़ताल नहीं हुई कि जैसे अमेरिका में 'किन्से रिपोर्ट' जारी की गई थी। शयन-कक्ष के कब्रगाह में हजारों ख्वाहिशें दफ्न रहती हैं। यह मामला भारत तक सीमित नहीं है। यह सभी देशों का यथार्थ है। समाज में इस विषय पर बात करना प्रतिबंधित है। इस मायने में 'वीरे दी वेडिंग' अत्यंत साहसी फिल्म है। संभवत: यह अरुणा राजे की फिल्म 'रिहाई' की ही अगली कड़ी है या कहें कि 'रिहाई' में यह बात भी कही जा सकती थी परंतु अरुणा राजे ने संकेत मात्र दिया था।

ऋषि वात्स्यायन की 'काम-सूत्र' अछूते विषय पर विश्व की पहली पुस्तक है परंतु लगभग उसी काल खंड में चीन के विद्वान ताओ ने भी उसी विषय पर अपने नज़रिये से ग्रन्थ लिखा है। अंग्रेज विद्वान रिचर्ड बर्टन ने भारत भ्रमण में वात्स्यायन की पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त की और 1882 में लंदन में धन एकत्रित किया ताकि वात्स्यायन की किताब का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया जा सके। यह अनुवाद किया भी गया है। ताओ की किताब का भी अनुवाद किया गया है। मुगल बादशाह अकबर ने 'मकतबनामा' नामक विभाग का गठन किया था, जिसके तहत संस्कृत में रचे गए ग्रन्थों का फारसी भाषा में अनुवाद किया गया। इन फारसी भाषा में रचे गए ग्रंथों का भी अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया है। अनुवाद प्रक्रिया में कई बातें गुम भी हो जाती हैं। एक अंग्रेजी फिल्म का नाम ही है 'लॉस्ट इन ट्रांसलेशन' जिसका कथानक इस विषय से नहीं जुड़ा है। चौदहवीं सदी में दक्षिण भारत में इस विषय पर एक पुस्तक लिखी गई है। संभवत: उसका नाम था 'अनंत राग'।

ज्ञान क्षेत्र सीमित है, अज्ञान असीमित है। प्रकाश के घेरे बहुत छोटे हैं, अंधकार की चादर बहुत विशाल है। इस विषय को कचरे की तरह बुहारकर कालीन के नीचे सरका दिया गया है। इस विषय पर वैज्ञानिक ढंग से लिखी किताब पाठ्यक्रम में शामिल कर देने से अनेक लोग कुंठाओं से बच सकते हैं परंतु जिस विषय पर बात ही नहीं की जा सकती, वह पाठ्‌यक्रम में कैसे शामिल हो सकता है? अज्ञान को आनंद की तरह परिभाषित कर दिए जाने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता। यह परिभाषित आनंद उस परम सुख 'आर्गेज्म' से अलग है जिसकी बात उस संवाद द्वारा की जा रही है।

पवन करण ने इस विषय पर अनेक कविताएं रची हैं। उनके काव्य संकलन 'स्त्री मेरे भीतर' व ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 'स्त्री शतक' में इस विषय को उठाया गया है। 'स्त्री शतक' की कुछ पंक्तियां- 'अपनी कथाओं में आखिर, कितनी स्त्रियों का वध करेंगे आप, स्त्रियां जिस दिन खुद को बांचना शुरू कर देंगी, कथाएं बांचना छोड़ देंगी तुम्हारी'।