'सिटीजन केन' विश्व की महानतम फिल्म / राकेश मित्तल
प्रकाशन तिथि : 17 नवम्बर 2013
वर्ष 1941 में प्रदर्शित फिल्मकार ऑर्सन वेल्स की फिल्म 'सिटीजन केन" विश्व की महानतम फिल्म मानी जाती है। अमेरिकन फिल्म इंस्टीट्यूट ने इसे 'ग्रेटेस्ट अमेरिकन फिल्म एवर मेड" का खिताब देते हुए विश्व की सौ सर्वकालिक महान फिल्मों की सूची में भी प्रथम स्थान पर रखा है। ब्रिटिश फिल्म पत्रिका 'साइट एंड साउंड" के प्रत्येक दस साल में होने वाले चर्चित 'ओपीनियन पोल" में इसे सिनेमा में अब तक की श्रेष्ठतम फिल्म माना गया है। यह पोल दुनिया के बेहतरीन फिल्मकारों, पत्रकारों और समीक्षकों की राय पर आधारित होता है और अब तक हुए सात में से पांच दशकों के ओपीनियन पोल में यही फिल्म प्रथम स्थान पर रही है। आखिर इसमें ऐसा क्या है जो प्रदर्शन के सत्तर साल बाद भी दर्शकों और समीक्षकों को सम्मोहित कर रहा है!
यह फिल्म बहुत खूबसूरती और कुशलता के साथ एक मशहूर अखबार के मालिक और मीडिया मुगल चार्ल्स फॉस्टर केन (ऑर्सन वेल्स) की जीवन गाथा प्रस्तुत करती है। फिल्म की शुरूआत केन की मृत्यु के दृश्य के साथ होती है। वह अपने आलीशान महलनुमा घर में मृत्यु शैया पर पड़ा है। उसके मुंह से एक शब्द निकलता है:'रोज़बड" और उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। दर्शक सोचते रह जाते हैं कि आखिर इस शब्द का मतलब क्या था! इसका रहस्य फिल्म के अंतिम दृश्यों में खुलता है। एक अखबार का संवाददाता जैरी थॉम्पसन (विलियम एलण्ड) इस शब्द का महत्व जानने के लिए नियुक्त किया जाता है। वह केन के निकटवर्ती लोगों से मिलता है। भेंटवार्ताओं से यह जाहिर होता है कि केन की सामाजिक छवि इन लोगों के विचारों से मेल नहीं खाती। जैरी के माध्यम से हम धीरे-धीरे केन की शख्सियत और उपलब्धियों से रूबरू होते हैं। उसकी छोटी-सी शुरूआत से लेकर अमेरिकी प्रेस जगत के शलाका पुरुष बनने की दास्तान, राष्ट्रपति की भतीजी से शादी, राजनीति में पदार्पण, व्हाइट हाउस की तरफ बढ़ते कदम, विरोधियों के षड़यंत्र, ऑपेरा सिंगर के साथ विवाहेतर संबंध, तलाक, शादी और फिर एकाकी मृत्यु तक का सफर परत-दर-परत दर्शकों के सामने नमूदार होता है। यह एक ऐसे आदमी की कहानी है, जिसके पास दुनिया का हर ऐशो-आराम, अकूत संपत्ति और पैसों से खरीदी जा सकने वाली हर चीज थी किंतु खुशी नहीं थी। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर वह नितांत अकेला था। यहां तक कि जिस ऑपेरा सिंगर के लिए उसने अपनी सारी पद-प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी, वह भी उसे छोड़कर चली जाती है।
बहुत कम उम्र में पैसे और पावर का स्वाद चख लेने के कारण केन की महत्वाकांक्षाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती हैं। वह जोर-शोर से पीत पत्रकारिता को बढ़ावा देता है। उसके लिए अखबार मात्र एक व्यवसाय है, जिसके माध्यम से वह अपने भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करता है। पेड न्यूज, मीडिया-राजनीति गठजोड़, सलिब्रिटी जर्नलिज्म जैसे जुमले जो आज के दौर में चर्चित हैं, केन की कार्यशैली के रूप में बहुत पहले जन्म ले चुके थे। फिल्म यह भी बताने की कोशिश करती है कि जब हम इस दुनिया में नहीं रहते तो लोग हमारी छवि को अपनी स्मृतियों में संजोते हैं, वास्तविक रूप को नहीं।
ऐसा माना जाता है कि यह फिल्म उस समय के अमेरिका के सर्वाधिक प्रभावशाली मीडिया मुगल विलियम रूडोल्फ हर्स्ट के जीवन पर आधारित है। इसमें हमें रूपर्ट मर्डोक जैसी शख्सियतों की भी झलक मिलती है। हर्स्ट इस फिल्म से इतने खफा थे कि उन्होंने इसके खिलाफ घोषित रूप से युद्ध छेड़ दिया था। उन्होंने ऑर्सन वैल्स को फिल्म के सारे निगेटिव नष्ट करने पर पूरी लागत एवं अतिरिक्त धन देने की पेशकश की किंतु ऑर्सन ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसके बाद हर्स्ट ने अपनी पूरी ताकत इस बात के लिए लगा दी कि फिल्म सिनेमाघरों का मुंह नहीं देख पाए। उन्होंने स्वयं के तथा अपने मित्रों के अखबारों में 'सिटीजन केन" के विज्ञापन, समीक्षा या किसी भी तरह के उल्लेख पर प्रतिबंध लगा दिया। फिल्म को ऑस्कर की सभी महत्वपूर्ण श्रेणियों में नामांकन मिले लेकिन हर्स्ट की धमकी एवं खौफ के चलते इसे मात्र एक श्रेणी (पटकथा लेखन) में पुरस्कार दिया गया! हर्स्ट की जबर्दस्त मोर्चाबंदी के कारण बहुत सीमित सिनेमाघरों में 'सिटीजन केन" का प्रदर्शन हो पाया और यह बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। 1951 में विलियम हर्स्ट की मृत्यु के पश्चात इसे पुन: टीवी तथा सिनेमाघरों मंे प्रदर्शित किया गया और तब इसने अपना वास्तविक मुकाम हासिल किया।
यह पूरी तरह से ऑर्सन वेल्स की फिल्म है। वे इसके निर्माता, निर्देशक और लेखक होने के साथ-साथ मुख्य अभिनेता भी हैं। मात्र 26 वर्ष की उम्र में यह फिल्म बनाकर ऑर्सन ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का सबूत दे दिया था। फिल्म का अभिनव छायांकन, कसी हुई पटकथा, सम्मोहक संगीत, नयनाभिराम विजुअल्स एवं वर्णनात्मक संरचना अद्भुत प्रभाव उत्पन्ना करते हैं। सिनेमेटोग्राफी चमत्कृत करती है। लाइट एवं शेड के अभिनव प्रयोग एक ही दृश्य में गहरे, कम गहरे और उजले भाग को कुशलता से प्रदर्शित करते हैं। इस फिल्म में पहली बार 'डीप फोकस" तकनीक प्रयुक्त की गई थी, जिसके कारण दृश्यों में फोरग्राउंड से बैकग्राउंड तक की हर वस्तु का फोकस एकदम शार्प है।
'विश्व सिनेमा के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ फिल्म" बहुत बड़ा विशेषण है, जो किसी भी एक फिल्म को नहीं दिया जा सकता क्योंकि फिल्म एक ऐसा माध्यम है जिसमें अनेक पहलू शामिल होते हैं और कई फिल्मों में कई चीजें एक-दूसरे से बेहतर हो सकती हैं। श्रेष्ठता एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसका शिखर अनंत है। फिर भी, इस बात में दो मत नहीं कि 'सिटीजन केन" अपने समय की महान फिल्म है और आज भी विश्व की श्रेष्ठतम फिल्मों की सूची में यह अग्रणी पायदान पर है।