'हेलीकॉप्टर आई'- मां तुझे सलाम / जयप्रकाश चौकसे

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'हेलीकॉप्टर आई'- मां तुझे सलाम
प्रकाशन तिथि : 10 अगस्त 2018

अजय देवगन की पत्नी काजोल लंबे अरसे बाद अभिनय क्षेत्र में लौटी हैं। फिल्मकार प्रदीप सरकार माता और पुत्र के रिश्ते पर एक मनोरंजक फिल्म प्रस्तुत कर रहे हैं। पिता-पुत्र रिश्तों पर अनेक फिल्में बनी हैं परंतु माता-पुत्र रिश्ता लगभग अछूता ही रहा है। पुरुष केंद्रित जीवन में स्त्री हाशिये पर ही रखी जाती है। माता पुत्र को पिता से अधिक लंबे समय से जानती है। गर्भ में नौ महीने से ही पुत्र के जीवन का बहीखाता प्रारंभ हो जाता है। माता ही इस बही खाते पर शुभ-लाभ की इबारत लिखती है। बंगाल के अभिनेता रिद्दि सेन पुत्र की भूमिका में प्रस्तुत हो रहे हैं। यथार्थ जीवन में काजोल के पिता बंगाली भला मानुष शोमू मुखर्जी हैं और माता तनूजा हैं, जो महान अभिनेत्री शोभना समर्थ की सुपुत्री हैं। तनूजा की बड़ी बहन नूतन निष्णात अभिनेत्री रही हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में शशधर मुखर्जी मसाला मनोरंजक के हितैषी रहे हैं और सिनेमा में सामाजिक सरोकार को कोई महत्व नहीं देते थे।

ज्ञातव्य है कि नेहा धूपिया भी इस फिल्म में चरित्र भूमिका कर रही हैं। सारांश यह है कि इस फिल्म से जुड़े अधिकांश लोगों का परिवार फिल्मों से जुड़ा रहा है। निर्माता अजय देवगन के पिता वीरू देवगन फिल्मों में एक्शन दृश्य रचते रहे। एक्शन दृश्यों में कारों का टकराना और पटाखे की तरह फूटकर हवा में गुब्बारे की तरह उड़ना, उनका ही मौलिक आकल्पन रहा है।

अजय देवगन और काजोल अभिनीत फिल्म भी बनाई जा सकती है। अनीज़ बज्मी की 'प्यार तो होना ही था' से अजय और काजोल का रिश्ता प्रारंभ हुआ। यह भी गौरतलब है कि पूरा देवगन परिवार जुहू के एक भव्य बंगले में संयुक्त परिवार की तरह रहता है। संयुक्त परिवार नामक महान संस्था के भंग होने से ही भारत में नैतिक मूल्यों का पतन प्रारंभ हुआ है और इस संस्था के विघटन से ही देश की एकता भी खंडित हो जाने का अंदेशा रहता है। खंडन की आधारशिला जमीन के भीतर रखी जा चुकी है परंतु कंटीली सरहदों के अंकुर अभी तक नजर नहीं आ रहे हैं पर वे विद्यमान तो हैं ही। इस फिल्म का नाम संभवत: 'हेलिकॉप्टर आई' रखा गया है। भारत की पहली राष्ट्रपति पदक पाने वाली फिल्म 'श्यामची आई' से वनमाला जुड़ी थीं।

फिल्मकार प्रदीप सरकार को अवसर देने वाले निर्माता आदित्य चोपड़ा थे। प्रदीप सरकार ने 'परिणीता' बनाई थी। पहली बार 'परिणीता' बनी थी तो अशोक कुमार और मीना कुमारी ने उसमें अभिनय किया था। 'परिणीता' शरतचंद्र रचित साहित्य है। प्रदीप सरकार की फिल्म 'लागा चुनरी में दाग' की असफलता ने उन्हें फिल्म निर्माण के ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अब उनकी दूसरी पारी प्रारंभ हो रही है। क्रिकेट और सिनेमा में दो पारियां होती हैं। जीवन में भी दूसरी पारी का अवसर मिलता है परंतु तीसरी पारी कहीं नहीं होती। मूर्ख और बुद्धिमान व्यक्ति में एक अंतर यह होता है कि मूर्ख व्यक्ति एक ही गलती बार-बार करता है परंतु बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा नई और मौलिक गलती करता है। बहरहाल गलती हो जाने को रेखांकित किया है शैलेन्द्र ने फिल्म 'संगम' के एक गीत में 'ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम, जो बीत गया वह सपना था, जो सच है सामने आया है, यह धरती है इन्सानों की, कुछ और नहीं इन्सान हैं हम, ओ मेरे सनम'।

भूल सुधार और क्षमा याचना जीवन की मशीन के तेल हैं, जिसके कारण इंजिन लंबे समय तक चलता है। प्राय: जीवन के अनेक रास्ते बंद रहते हैं और लिखा होता है कि मरम्मत का काम जारी है। पूरे देश में सभी रास्तों पर निरंतर मरम्मत ही होती रहती है। वर्तमान में हुकूमत क्षमा याचना नहीं करती। वह अपनी चूक पर हमेशा टिकी रहती है। यही उसकी जिं़द है। यही उसका अहंकार है। वियतनाम और उत्तर कोरिया की चूक पर क्षमा याचना नहीं करना एक हेकड़ी है। इतिहास चक्र ऐसा भी घूमता है कि चीन से जिनकी रक्षा के लिए हमने पंगा लिया, वे ही अब उसे हमारी भूल करार दे रहे हैं। समय का चक्र सदैव घूमता रहता है, परंतु कभी-कभी उस चक्र का एक पुर्जा इस भ्रम का शिकार हो जाता है, जिसका वह महज एक छोटा-सा हिस्सा है। इस आशय को टीएस एलियट ने अपनी एक कविता में अभिव्यक्त किया है।

एक पुराने पावन आख्यान में पिता और पुत्र के रिश्ते को तीर कमान का रिश्ता कहा है कि प्रत्यंचा को खींचने पर पुत्र रूपी तीर जीवन के निशाने पर लगता है। इसी के अगले भाग में पुत्रियों को पिता के सिर पर लटकती तलवार भी कहा है। नारी को लेकर हमारे मिथ्या विचारों का इतिहास अत्यंत प्राचीन समय से चला आ रहा है। इसी मुहावरे को आगे ले जाएं तो माता वह म्यान है जिसमें यह तलवार और खंजर सभी रहते हैं।