अंतर / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
Gadya Kosh से
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
मैं अपने मृत नौकर को दफना रहा था, तभी कब्र खोदने वाला मेरे पास आकर बोला, "यहाँ मुर्दों को दफनाने के लिए आने वाले तमाम लोगों में आप मुझे बहुत अच्छे लगे।"
सुनकर मुझे खुशी हुई, मैंने कहा, "पर वजह भी तो पता चले!"
"क्योंकि," उसने जवाब दिया, "दूसरे लोग यहाँ रोते हुए आते हैं और रोते हुए चले जाते हैं। केवल आप ही हैं, जो हँसते हुए आए और हँसते हुए जा रहे हैं।"