अंतिम मिलन / एक्वेरियम / ममता व्यास

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हम ऐसे समय मिले। ऐसी जगह मिले, जहाँ हमारे चारों तरफ लाशों के ढेर थे। लाशों के ढेर?

हाँ, मैं उन सभी को मरा हुआ ही मानती हूँ जिनकी आत्मा मर चुकी है। जो दूसरों का दर्द महसूस करने की शक्ति खो चुके हैं, जिनके मन मर गए क्या वह जिन्दा हैं? मन समझते हो न तुम?

हाँ, तो हमारे चारों तरफ लाशें थीं, सिर्फ़ लाशें, हारी हुई लाशें। जीती गयीं लाशें, रौंदी गयीं, खरीदीं और बेचीं गयीं लाशें। हम पर न जाने किस कुसूर के कारण, किस देश ने, कौन-सी ईष्र्या के तहत ज़हरीले रसायन बरसाए. उस पर भी जी नहीं भरा तो घातक हथियारों से हम पर वार किये। हम न जाने किस गुनाह के भागी बने।

मैं भी एक लाश थी, सिर्फ़ लाश, हारी हुई लाश। रिश्तों के खेल में। सभी मोर्चों पर हारी हुई क्षत-विक्षत लाश और तुम? ना जाने कहां-कहाँ हारे, टूट कर, बिखर कर आये थे। एक बार में देखने पर तुम्हारी चोट के निशान नजर नहीं आते हैं। अभी अस्पताल कोई ले जाये हमें तो। कोई भी तुम्हें पहली नजर में घायल मानेगा ही नहीं। तुम्हें अंदरूनी चोटें लगी थीं। मैंने आज पहली बार तुम्हें इतने करीब से देखा तो पाया। तुम भी उतने ही जख्मी थे जितनी कि मैं। मुझसे भी ज़्यादा शायद है न? (देखा यहाँ भी मुझसे बीस ही साबित हुए तुम है न?)

मैं एक पूरी चोट थी, लेकिन फिर भी मुस्काती थी। तुम दर्द से घड़ी-घड़ी कराहते थे। तुम्हें कराहते देख मैं अपनी चोट भूल जाती थी।

हम दोनों ही खून से लथपथ, बेबस से पड़े थे युद्ध-भूमि में। अब इस अंतिम समय में कौन किसको सहलाए, बहलाए, बचाए जबकि हम दोनों ही गिरे हुए हैं जमीन पर।

सिर्फ सांस चलती है और सांसों की आवाज महसूस होती है। शब्द नहीं निकलते थे हमारे। शायद मेरे और तुम्हारे होंठों पर ज़्यादा रसायन गिराया गया है (हम ज़्यादा हंसते जो थे।)

तुम मन ही मन बड़बड़ा रहे हो, लेकिन मैं सुन क्यों नहीं पा रही? ओह मेरे कान भी नहीं बचे।

हम जीते जी कभी भी इतने करीब क्यों नहीं हो पाए? जब होंठ सलामत थे तब तुम क्यों नहीं मुस्काए मुझे देखकर और कभी बोला भी नहीं कि प्रेम है मुझसे।

आज अब मेरे पास कान ही नहीं तो कैसे तुम्हारी बात सुनूं? समझूं? बोलो?

कमाल की बात देखो। हम हमेशा इस दुनिया से दूर एकांत में मिलना चाहते थे। आज कोई नहीं हमारे आसपास। कोई भी जीवित नहीं। कोई रिश्ता नहीं। कोई सम्बन्ध नहीं शेष। ना कोई पास है न कोई दूर। चारों और सब टूटे-फूटे, कटे-फटे, बदबूदार शव दिखते हैं।

हम न जाने कैसे जीवित हैं?

क्या ये कोई रहस्य है? क्या हम दोनों एक-दूजे की वजह से जीवित है? हमें मार दिए जाने के सौ कारण या इससे भी ज़्यादा रहे होंगे। लेकिन अभी इस समय जीने की एक ही वजह दिख रही है। तुम, सिर्फ़ तुम।

न जाने क्यों?

हम तो खुद को मरा हुआ जान के पड़े हुए थे न। मैं तो लाश ले जाने वाली गाड़ी का इन्तजार भी कर रही थी, लेकिन तुम्हारी धीमी-धीमी चलती सांसों ने मुझे हौसला दिया कि इन लाशों के ढेर के बीच कोई और भी है जो मेरी तरह जीवित है।

तुम पूरी तरह से मरे नहीं थे, ये मैंने अभी-अभी जाना है। कितनी मुश्किल से मैं तुम तक घिसटती हुई आई हूँ।

तुम यकीनन जिन्दा हो और मैं तुम्हें देख पा रही हूँ, महसूस कर पा रही हूँ। इसका मतलब मैं भी जिन्दा हूँ। वाह, क्या बात है, आज पहली बार खुद के जिन्दा होने पर खुशी हो रही है। तुम जो इस तरह मिलोगे कभी सोचा नहीं था। हजारों बार मिल-मिल के बिछड़े हो तुम।

बहुत शौक था न जाने का तुम्हें? अब कैसे जाओगे, बोलो?

तुम क्यों जिन्दा हो अब तक। ये बताओ पहले? हम दोनों इतने जख्मी हैं। बेबस हैं कि इतने करीब रहकर भी एक-दूजे को ठीक से देख तक नहीं पा रहे। मुझे तुम्हारा चेहरा क्यों नहीं दिखता? क्या आंखें भी चली गयीं मेरीं? नहीं, नहीं आंखें तो हैं पर सब धुंधला-सा क्यों है। न तुम सुनाई देते हो, न दिखाई.

तुम्हारी तो खैर आंखें ही बंद हैं। मैं हाथ बढ़ा कर तुम्हें आखिरी बार छूना चाहती हूँ लेकिन हाथ देह से अलग हो चुके हैं।

तुम धीरे से आंखें खोलते हो, मेरा आशय भांप के मेरे पास आने के लिए सरकते हो, लेकिन तुम हिल भी नहीं पाते तुम्हारी देह से खून के फव्वारे छूटते हैं।

मैं तुम्हें ऐसे ही बेबस आंखों से निहारती हूँ और रोते मुस्काते हुए तुम्हें न हिलने का संकेत देती हूँ।

तुम्हारे इस जरा-सा हिल जाने से ही मुझे नयी सांस मिलने लगती है। अब मेरी सांस सामान्य हो चली है। मैं तुम्हें इशारा करती हूँ कि तुम जहाँ हो, जिस हाल में हो, वहीं रहो। मैं तुम्हें वहीं से देख रही हूँ। तुम्हारी सांसों की आवाज से मेरी सांस चल रही है।

तुम कितने शांत हो इस समय। कितनी शांति है तुम्हारे चेहरे पर। जैसे तुम्हें अब यकीन हो गया है कि अब मैं तुम्हें छोड़ कर कभी नहीं जाऊंगी। मेरी अंतिम बात सुनो। मैं तब भी तुम्हें छोड़ के नहीं जाने वाली थी और अब भी नहीं जाऊंगी। अब तुम बेचैन नहीं दिखते, न बेकरार से। तुम अब जान गए हो कि इस युद्ध-भूमि पर कोई हमें अलग नहीं कर सकेगा। तुम ऐसा ही अंतिम-मिलन, ऐसा ही साथ चाहते थे न?

सुनो...तुम यही चाहते थे न?