अंधी व्यवस्था में आबादी का हौवा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 12 जुलाई 2019
विगत दिवस ग्यारह जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया गया। तीस वर्ष पूर्व विश्व की आबादी 500 करोड़ पर पहुंची और आबादी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से आबादी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। केरल के केसी जकारिया के सुझाव पर विश्व संस्था ने आबादी दिवस मनाने का निर्णय लिया था। आबादी बढ़ने का श्रेय शरीर विज्ञान को है। जान लेवा बीमारियों का इलाज खोज लिया गया। संभवत: कुनैन, पेनिसिलिन और एनेस्थेशिया सबसे महत्वपूर्ण ईज़ाद रहे हैं। बुढ़ाती हुई दुनिया में अवाम की त्वचा और बालों के रंग में भारी परिवर्तन हो रहे हैं। अमेरिका आज भी श्वेत-अश्वेत के पूर्वग्रह से मुक्त नहीं हुआ है। इसी तरह सुनहरे बालों वाली महिला को विशेष माना जाता था और हॉलीवुड में फिल्म बनी थी 'जेंटलमैन प्रिफर ब्लांड'। शशि कपूर के बेटे करण कपूर के बाल सुनहरे हैं और मात्र दो फिल्मों में अभिनय करने के बाद वे लंदन में बस गए, जहां वे एक अखबार के लिए फोटोग्राफी करते थे। एक बार उन्हें मध्य प्रदेश में राजमाता विजया राजे की तस्वीरें लेने के लिए भेजा गया था। आजकल वे अमेरिका में बस गए हैं और वॉशिंगटन पोस्ट के लिए तस्वीरें लेते हैं। कपूर कैमरे के सामने या कैमरे के पीछे सक्रिय रहते हैं। दार्शनिक बर्गसन ने कहा था कि मनुष्य का मस्तिष्क भी कैमरे की तरह ही संचालित होता है। मनुष्य की आंखें कैमरे के लेन्स की तरह काम करती हैं और उसके द्वारा लिए गए चित्र मस्तिष्क के स्मृति कक्ष में स्थिर चित्रों की तरह संकलित होते हैं, जिन्हें कोई विचार चलते-फिरते हुए चित्रों में बदल देता है। वर्तमान में सुनहरे बाल वाले लोगों की संख्या तेजी से घट रही है।
कुछ वर्ष पूर्व एक टेलीविजन सीरियल का केंद्रीय पात्र एक काली त्वचा वाली लड़की का था, जिसके गुणों से प्रभावित होकर एक धनाढ्य परिवार का ज्येष्ठ पुत्र उससे प्रेम करने लगता है। क्लाइमैक्स में यह दिखाया गया कि वह गरीब कन्या गोरे रंग की थी, जिस कारण उस पर लम्पट लोगों की बुरी नज़र लगी रहती थी। उनसे बचने के लिए वह घर से बाहर निकलने के पहले अपनी त्वचा को पेंट करती थी। इस तरह काली त्वचा उसका रक्षा कवच बन गई। पुरुष लम्पटता कई कहर ढाती है। काले या सांवले रंग के पुरुष गोरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं ताकि उनकी अगली पीढ़ी गोरे रंग की हो। दार्शनिक नीरद चौधरी का कथन है कि भारतीय अवाम को मेले, तमाशे, नदियों और गोरे रंग से बड़ा मोह है। हमारे आख्यानों ने संतुलन बनाने का प्रयास किया है कि राम गोरे रंग के हैं तो श्रीकृष्ण सांवले सलोने हैं।
जब मनुष्य उम्र की भट्टी में सोने सा तपकर निखरता है तब उसके बालों में चांदी आ जाती है। कहावत है कि बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं परंतु शरीर का अधिकांश भाग ढंका रहता है, जिसमें बाल काले रंग के ही होते हैं। अत: धूप से बालों के रंग का कोई संबंध नहीं है। यह विरोधाभास गौरतलब है कि गोरे लोग अपने रंग को तांबे-सा करना चाहते हैं और इसीलिए गोवा के समुद्र तट पर विदेशी बालाएं धूप सेंकती नज़र आती हैं गोयाकि समुद्र में मछली की संख्या से अधिक संख्या में विदेशी महिलाएं अपनी त्वचा को पकाने का प्रयास करती हैं। दरअसल, सूर्य किरणें मनुष्य शरीर को शक्ति प्रदान करती हैं। सूर्य किरणों में सबसे अधिक विटामिन डी है। 'डॉक्टर' सूर्य के कारण ही अधिकांश कीटाणु मर जाते हैं।
एक फिल्म में मेहमूद पर शंकर-जयकिशन का गीत फिल्माया गया था, 'काले हैं तो क्या हुआ हम दिलवाले हैं'। एक गोरी त्वचा वाली लड़की को संबोधित करके पंकज उधास ने एक गज़ल गाई थी, 'चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल'। हमारे अधिकांश सितारे गंजे हैं और उन्होंने विदेश जाकर बालों का प्रत्यारोपण कराया है। एक लंबी पारी खेलने वाला सितारा, जो अनगिनत बीमारियों के बावजूद आज भी सक्रिय है, 1992 से ही विग पहन रहा है, जिसके रखरखाव में बड़ी सावधानी बरती जाती है। उसने आधा दर्जन विग बनवाकर रखे हैं। विग और दांतों के डेंचर का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इसके साथ ही अपने व्यक्तित्व में जो 'हाथी की तरह दिखाने के और खाने के और दांत' का द्वंद्व है उससे बचने के जतन करने चाहिए।
आजकल समाज में अंधी हिंसा का दौर चल रहा है। प्रेम में ठुकराया गया विकृत मस्तिष्क का व्यक्ति कन्या के चेहरे पर तेजाब फेंक देता है। त्वचा प्रत्यारोपण करवाना पड़ती है। ऐसी ही एक कन्या के बायोपिक में दीपिका पादुकोण के अभिनय करने की संभावना है।
अमेरिका का महान गायक पॉल रॉबसन अश्वेत नागरिक था। हमारी अपनी राष्ट्रीय गायिका लता मंगेशकर गरिमामय व्यक्तित्व की धनी हैं पर उस तरह से सुंदर नहीं कही जा सकतीं। त्वचा के रंग का माधुर्य से क्या संबंध? यह सृष्टा का संतुलन है। एक दौर में राज कपूर लता को लेकर 'सत्यम शिवम सुंदरम' बनाना चाहते थे। अगर राज कपूर स्वयं नायक की भूमिका अभिनीत करते तो संभवत: लता मंगेशकर अभिनय के लिए राजी हो जातीं परंतु जद्दनबाई जैसी महान गायिका की पुत्री नरगिस तो पार्श्वगायन नहीं कर सकती थीं।
जनसंख्या सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पृथ्वी इतनी विराट है कि बढ़ती हुई जनसंख्या को रोटी, कपड़ा और मकान दे सकती है परंतु असमानता आधारित व्यवस्था यह नहीं होने देना चाहती। हजारों एकड़ बंजर जमीन को उर्वर बनाया जा सकता है। सारी आबादी पृथ्वी की मात्र दस प्रतिशत जमीन पर बसी है। इसे विकेंद्रीकरण करके फैलाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। हम हमेशा केवल लाक्षणिक इलाज ही करते हैं। कहीं ऐसा न हो कि अजन्मे शिशु अपना समानांतर संसार बना लें?