अक्षय कुमार सबसे धनाढ्य सितारा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 24 जनवरी 2019
विगत कुछ वर्षों में अक्षय कुमार अभिनीत चार फिल्में प्रति वर्ष प्रदर्शित हो रही हैं। नए वर्ष में उन्होंने यह संकल्प किया है कि इस वर्ष उनकी अभिनीत पांच फिल्मों का प्रदर्शन संभव हो सके। खान सितारों की एक फिल्म प्रति वर्ष प्रदर्शित होती है। आमिर खान की एक फिल्म 2 वर्ष में प्रदर्शित होती है। सलमान खान सुबह 10 बजे शुरू होने वाली शिफ्ट में दोपहर 4 बजे स्टूडियो आते हैं परंतु देर रात तक काम करके उस शिफ्ट में सारे दृश्य शूट करते हैं, जिनकी योजना बनाई गई थी। सभी सितारे अपने मिज़ाज के अनुसार काम करते हैं। दिलीप कुमार ने अपने लंबे समय तक जारी दौर में बमुश्किल 60 फिल्मों में अभिनय किया है। वे बहुत सोच-विचार करने के बाद निर्णय लेते हैं। अपने विवाह तक का निर्णय लेने में भी उन्होंने बहुत वक्त लिया। इस विचार प्रक्रिया के कारण ही इस देवदास ने अपनी पारो खो दी, जिसके घर सहरा पहनकर जाना था, उसके जनाजे में भी वे शामिल हुए। लंबे कॅरिअर में केवल एक फिल्म 'गंगा जमुना' का निर्माण किया। उनके पास लगभग एक दर्जन पटकथाएं आईं, जिन पर उन्होंने विचार किया परंतु फिल्में नहीं बनाईं।
राज कपूर ने दिलीप कुमार को 'संगम' की पटकथा दी और साथ ही यह हक भी दिया कि वे दो नायकों में से किसी भी एक को अभिनीत करने का निर्णय लें। इसके साथ ही मुंह मांगे पारिश्रमिक देने का वादा भी किया। शेक्सपियर के अजर अमर पात्र 'हेमलेट' की तरह वे 'करूं या न करूं' की दुविधा में फंसे रहे। उन्होंने 'बैंक मैनेजर' नामक पटकथा दो वर्ष तक परिश्रम करके लिखी परंतु फिल्म नहीं बनाई। उस कथा का नायक एक कर्तव्य परायण बैंक मैनेजर है परंतु रात में उसी बैंक को लूटने की योजना बनाता रहता है। वह ऐसा गबन करना चाहता है कि कभी पकड़ा नहीं जा सके। वर्तमान समय में बैंक न चुकने वाले कर्ज से लूटते जाते हैं। क्या यह संभव है कि माल्या, चौकसी व नीरव मोदी विदेशों में अपना एक क्लब गठित करें? इस तरह के लोग व्यवस्था का मखौल बनाते हुए विदेशों में अय्याशी कर रहे हैं। आम आदमी अपने पेट पर कपड़ा बांधे भूख से जूझ रहा है। अक्षय कुमार अत्यंत अनुशासित व्यक्ति हैं। प्राय: वे रात 10 बजे तक सो जाते हैं और प्रातः जल्दी जागकर समुद्र तट पर सैर के बाद अपने व्यक्तिगत जिम में कसरत करते हैं। वे मानते हैं कि शरीर अभिनेता की दुकान है, जिसे साफ-सुथरा और चुस्त-दुरुस्त रखना उसका कर्तव्य है। अक्षय कुमार किफायत के आदर्श पर चलते हैं। अपना धन या शारीरिक ऊर्जा का अपव्यय उन्हें पसंद नहीं। उन्हें कंजूस नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उन्होंने पांच करोड़ रुपए युद्ध में शहीद सैनिकों के परिवारों की देखभाल करने वाले संगठन को दिए हैं। अपने इस तरह के कार्य का वे प्रचार भी नहीं करते। अक्षय कुमार अपने फिल्मकार को 35 दिन शूटिंग के लिए देते हैं और गीतों के फिल्मांकन के लिए कुछ दिन और देते हैं। उन्होंने पूंजी निवेश सोच-समझ कर किया है। सुना जाता है कि वे अपने बिल्डर मित्र द्वारा बनाई जाने वाली इमारतों में निर्माण पूर्व एक मुश्त रकम जमा कर देते हैं। वे केवल जमीन और इमारतों में निवेश करते हैं। शेयर बाजार से उन्होंने दूरी बनाए रखी है। इसी तरह धर्मेंद्र ने जमीन में पूंजी निवेश किया है। धरतीपुत्र इसी तरह निवेश करते हैं।
अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल, डिंपल व राजेश खन्ना की सुपुत्री हैं जो अंग्रेजी भाषा के एक अखबार में 'फनी बोन्स' नामक कॉलम लिखती हैं। उन्होंने किताब भी लिखी है। प्रेम के लिए समान विचार प्रक्रिया आवश्यक नहीं है। मतभेद के बावजूद जीना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। वैचारिक रेजिमेंटेशन तानाशाही प्रवृत्ति का स्वच्छ विचार है। शिक्षा संस्थानों में यूनिफॉर्म शिक्षा व्यवसाय का एक हिस्सा है। सभी छात्र एक सी यूनिफॉर्म पहनें ताकि वे एक समान सोच भी सकें। यूनिफॉर्म के बचाव में यह तर्क दिया जाता है कि यूनिफॉर्म निरस्त करने पर अमीर परिवारों से आए छात्र महंगे फैशनेबल वस्त्र धारण करेंगे, जिससे गरीब परिवार से आए बच्चों के मन में नकारात्मक विचार पैदा होंगे। दरअसल, छात्र की निजी पहचान उसकी पढ़ाई की योग्यता से तय की जानी चाहिए। यूनिफॉर्म को अनुशासन का पर्याय बना दिया गया है। पूरा समाज ही इस सोच में डूबा हुआ है कि उसकी कमीज मेरी कमीज से उजली क्यों है। एक विज्ञापन फिल्म में उज्जवल वस्त्र धारण किए एक युवती उतरती है। बैंक में नौकरी का उसका पहला दिन है। अफसर पूछता है कि वह रिक्शे से क्यों आई है? युवती जवाब देती है कि रिक्शा चलाने वाला उसके पिता हैं, जिन्होंने अपने परिश्रम से उसके लिए अवसर जुटाए। विज्ञापन फिल्म का केंद्र वह युवती है, जबकि रिक्शा चालक पिता को ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए था। किसी भी कालखंड की विचार शैली का परिचय उस कालखंड में बनी विज्ञापन फिल्में भी हो सकती हैं।