अगनदान / दिनेश पांचाल / कथेसर

Gadya Kosh से
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मुखपृष्ठ  » पत्रिकाओं की सूची  » पत्रिका: कथेसर  » अंक: जनवरी-मार्च 2012  

कूकड़ौ बोलतं मएं नारियौ वादी नै ऐनी घोरवारी समुड़ी वादण बे जणं उठी ग्यं हतं। हियारा ना दाड़ा हता, टाड़ ककड़ावीने पड़ी रई हती। अंधारू अब्बार भी मधरात जैवु हतु, अंगास मएं परभातियौ तारौ आपड़ी टैस मएं ततकी रियो हतौ। चूला मएं चार नं तण्णं नै सांझे भैगं करेलं पातरं लाकड़ं थकी तापणी करी राखी हती। बे जणं लेमड़ा नं दातुणं नासका साथै घांहड़ी रयं हतं नै तापी ए रयं हतं। जैम-जैम अजुवारू वधी र्यु हतु ऐम-ऐम नारिया नुं मन विचारं मएं गुंछवाई रयु हतु। अंधारा मएं ऐटलु सुख तौ हतु के बाण्णै नं दु:ख नजरं सामं नें आवतं। बे जणं एक-बीजा सामं जौतं नै के तौ तापणी नी आग सामं जौई लेतं के पछै छेंटी आथमता अंगासिया तारा सामू जौई लेतं हतं। पाहे बे पोगं वेचे मुंड़ू दबावीने कुकड़ाई र्यु कूतरू सेरियु 'कूं...कूं...कूं कंक्क..' करतु थकु ऊभू थ्यु नै पोग मौरे करीने कसरत करतू होय एम लंबाई ग्यु। उठीने थोडू'क मौरे जाईने अंगास सांमू मुंडु करीनै भौंह्यु, जाणे के कुंणेय मरी ग्यु होय नै पौक मोली होय। नारिया ना सिकार नो हंगाती दैत्त सरखौ कूतरौ घणौ वालौ हतौ पण हवार-हवार मएं ऐनुं रौवा सरखु भौंहवु ऐने ठीक नें लाग्यु। नारिये एक वैरा तौ 'ए..सेरिया...हाड़...हाड़...' करीने टरकाव्यु पण सेरियौ घड़ी एक छानौ रयो नै फैर थकी रौवणियु भौंहवा लागौ। हवे नारिये नानी कांगड़ी लईने सेरिया ने वाई, टाड़ मएं कांगड़ी लागतं मएं ई पाछौ 'कूं...कूं...कूं कंक्क...' करतौ थकौ बेही ग्यौ। समुड़ी ऐ वाचा उघाड़ी -'बापड़ा ने टाड़ मए कैवु लाग्यु ओहै...ऐने-ऐने भौंहतु हतु तौ भौंहवा देता...तमारू हुं वगड़ी र्यु हतु?'

'डैया फूटी ग्या हैं तारा! बापौ हौड़ मएं हूता हैं, बीमार हैं, डाक्टर साब ए घेरे लई जाईने सेवा करवा नुं कई दीधु है। काले घबराई ए ग्या हता।'

'आपड़ं वती ऐनी अजी दवाई करवा नो गज़ौ नें है, ऐणं ने वैरा पड़ै है। एक ने एक दाड़ै मौत तौ आब्बी'ज है। बापड़ा सेरिया नो हुं कसुर है, अबोलो जीव है। तमने हवार मएं एटली कांगड़ी वाई दे तौ कैवु लागे?'

'म्हनै ए ऐटलो गम तौ पड़ै है के बापौ जीवते नरक भूगतीर्या हैं पण अब्बार ऐणं ने कोय थई जाये तौ घणी मुसकेल थई जाये।'

'कैम...!'

'आपड़ौ डेरौ अब्बार अजाणी जगा माथै है, आपडू आंय रैवु'ज तौ भारी पड़े है। अजाणा महाणं पाहे कोय आवण-जावण नें है ऐटले आंय डेरौ जमावीने पड्यं हैं नें तौ जगा नो मालिक जाणी जाये तौ रौड़ीने काढ़ी मेले। कुंण जाणै कैटला दाड़ा सुधी आपडं ने आंय रैवा मले...' -आ कैते थके नारिया नी आंखें ततकी आवी। बे जणं आपड़ी जिनगाणी नी लाचारी ऊपर रौई पड्यं।

गांम-गामं मएं हैत्ता डेरा नो भार हाईने फरवा वारौ ऐनौ गधेड़ौ आखी रातर हल्या वगर बैठेलौ हतौ ई ए उठी ग्यौ नै जगा माथै आळौटीने ऊभौ थातौ'क भौही पड्यौ। नारिया ने आजै गधेड़ा ने भौंहवु लेमड़ा नी टेकेर जैवु लाग्यु, पण कयं बोल्यौ नें, ऐणै डेरी निगा समुड़ी माथै नाखी। समुड़ी मन मएं नारिया नी दसा हमजी गई। गधेड़ा नुं भौंहवु ऐटलु जौर थकी हतु के बे टाबरियं एक तौ मौटी छोरी धापूड़ी नै नानौ रतुड़ौ गौदड़ा मएं थकी उठीने हली पड्यं नै टाड़ ने मार्ये पाछं पौताईने हुई ग्यं। समुड़ी ए बे टाबरियं ने हादीने उठवा नुं क्यु तौ आंखें मथतं थकं उठी ग्यं।

सब जणैं बांगौड़ चाय पीधी। रतुड़ौ चारै-मैरै जौई वर्यौ। आहे-पाहे कोय बस्ती नें हती पण गांम थकी बाण्णै बणतं थोड़कं ऊंचं घरं देखणं तौ ई जौतौ'ज रई ग्यौ।

'बापा, आ लांबंताड़ हुं बणी र्यं हैं?' -रतुड़े नारिया पाहे जाईने पूछ्यु।

'दीकरा, आ नवा बंगला बणीर्या हैं।'

'आ बंगला हुं काम आवें?' रतुड़े टाबरपणा मएं पूछी लीधु। टाबरपणा मएं पूछणुं ई तौ खरू पण नारिया ना मन मएं कउवेच वजु घवड़ ऊपड़ी आवी। डील ऊपर नी घवड़ होय तौ नोकं थकी घवड़ी नाखै पण मएं नी घवड़ हरतै मटाड़े।

'दीकरा! बंगला ऐटले रैह्वा नुं घोर।'

'कुंण रए, घोरं मए?'

'दीकरा कैवी वात पूछै है, मनखं रए, बीजु कुंण रै!'

'आपडू घोर कैम नें बणावता हो, आपण मनख नें हं?' रतुड़ौ एक थकी वधीने एक वात पूछीर्यौ हतौ, नारियौ हवे साफ खवाई ग्यौ। कोय बोलवा नी नें तौ ऐने पाहे ताकत हती के नें हिमत। बाप थकी कोय जवाब नें मल्यौ ऐटले रतुड़ौ समुड़ी पाहे जाईने आ'ज प्रस्न फैरै पूछी बैठौ। समुड़ी ए टाळवा नी कोसिस करी पण आ तौ बालहठ हती। समुड़ी ए जवाब आल्यौ -'बेटा मनख तौ आपण हं, पण कुंण जाणे आपड़ी जात नं मनखं कईया जलम मएं कैवु खौटू करम करैं के आवौ जमारौ जौवा मले। गांमें-गांमें रखड़वु, मांगी खावु, कोय नानुं मौटू काम करवु अैणा सिवाय आपड़ौ कोय गुजारौ नें रै।'

'आपडं ने नौकरी नें थाय?'

'नौकरी करवा बल्लै भणवु पड़े, पईसा जुवैं, भणवा बल्लै एक जगा माथै रैवु पड़े... आ सब आपड़ी किसमत मए नें हैं बेटा।'

रतुड़ौ अजी पूछवा नी कोसिस करतौ ऐटला मए मरजीवौ थयेलौ नारिया नो बापौ वागूड़ौ गौदड़ा मएं रईने'ज 'खूं...खूं...' करीने ढांही पड्यौ। नारिये ऐनै सांमु जौईने क्यु -'बापा...? चाय बणी गई है, कोगरौ करीने पी लो।'

रागूड़ौ सायद ना कैवा चाहतौ हतौ, बोलीने ना कैह्वा ग्यौ पण जौर थकी उधरस आवी गई, ऐवी उधरस के ई हैत्तौ हली पड्यौ नै अणबौल्यौ थईने हुई ग्यौ। नारिया ने अंदेसौ थ्यौ, उठीने गौदड़ा मए हाथ घालीने तसल्ली करी के ऐनौ बापौ ठीक है।

नारियौ तगड़ौ मौटियार हतौ, मुंड़ा माथै गैरीगट्ट दाढ़ी, आंमरेली मूंछै, उतरैण ना दाड़ै कईया गांम थकी मलैलं छेतरं जैणं मए थकी जीन्स नुं पेंट पैरेलु हतु। समूड़ी ने फट-फट नं छेतरं पैह्रावै, उतरैण ने दाड़ै ढगलाबन छेतरं आवी जयें ऐटले पूरा वरस नं छेतरं भैगं थई जयें साथै अनाज ए भेगु थई जाये। वागूड़ौ जंतर-मंतर करवा नं मंड़लं कूटवा मए पैकवान हतौ, रोज एक-बे जणं नं मंतर तौ करी आलतौ, कैटलु भी अजाणुं गांम होय, रागूड़ा पाहे मनखं थकी पईसौ कढ़ाब्बा नी कळाये पाकी हती। बाप-बेटौ बे जणां मलीने हर गांम मए भंगार भेगी करवी नै रद्दी लेवा नुं काम करता ई जूदी। ऐणा थकी पाई-पईसौ मली आवतौ। हेंग मलावीने ऐम कई सकाय के रोज नी कमाई तौ कैम भी करीने पूरी करी नाखता। ऐण नी जात नं हंगरं मनखं वजु दुख एक सरखु हतु के ऐणं नुं कोय घरबार के जगा-पारी नें हती। नारियौ ऐटलौ कारीगर हतौ के भंगार भैगी करवा सारू ऐनै बापा सारू भंगार मएं आवेली साइकलं नं पूरजं भैगं करीने नवी साइकल बणावी आली हती। साइकल ने वाहें एक मौटी काट खायेली पेटी लगावी दीधी हती। बस एक'ज फरक ऐणं नी जिनगी मएं रई ग्यौ हतौ के जईये ठेकणे ऐणैं भंगार थकी साइकल ने नवी जिनगी आली हती अैणी ठेकणे पोता नी जिनगी ने भंगार बणवा थकी रोकवा नी कळा ऐणं पाहे नें हती।

ग्ये मईनै एक गांम मएं ऐनौ डेरौ नाख्यौ हतौ। गांम थकी घणे वेगरै डेरौ जमाब्बा सारू बे दाडं पैले एक डूंगरी माथै वाहंड़ा गोठवीने टाटडं टेंग्यं हतं, पण थोड़े'क छेंटी ऐणंनी जात नो एक जमैलौ डेरो हतौ। वाहंड़ं जौईने डेरा वारं ने खणहारौ थई ग्यौ हतौ के कुंणे'क बीजौ डेरौ नाखवा नी कोसिस करीर्यौ है तौ सांझे डूंगरी ना मालिक पाहे जाईने चाड़ी करी आव्यं। डूंगरी ना मालिक ए वागूड़ा ना वांहड़ा उपाड़ी आल्या नै टाटड़ं फाड़ी आल्यं। ऐटलु'ज थातु तौ ठीक हतु पण पैले डेरा वारै गांम ना एक-बे आदमियं थकी मलीने गांम ना आहे-पाहे डेरौ जमावा नें दीधौ। जैम-तैम करीने वागूड़े नै नारिये मलीने आपडौ डेरौ पुलिस थाणा वाहें जमाव्यौ। ऐयं ऐणं नो डेरौ अठवाडिय़ा सुधी र्यौ। पण जात-जात मएं वैर काठू होय, एक नी खुसी बीजा ने नें गमें। गमे ए खरू पण आपड़ी रौजी मए भाग पाड़वा नुं कैने गमे। पैले डेरा वारे एक छौरे सोमिये जाणी जौईने एक घेरै बाण्णै पड़ेली भंगार रातरे चोरी करीने दाड़े बींज छौरं साथै रागूड़ा ने वेची दीधी। ऐणी'ज रातरे सोमिये एक-बे दुकानं नं तारं तोड़ी नाख्यं नै चोरी करी। जारै भंगार ना मालिक ने जाण पड़ी के ऐनी भंगार चोरी थई गई है तौ पुलिस ने इत्तला आली दीधी, भंगार डेरा पाहे पड़ेली मली गई।

रागूड़ा ने पुलिस ए कूट्यौ ई अलग नै गांम वारैं कूट्यौ ई अलग। गांम वारैं कूट्यौ ऐणा थकी ऐनै मयेलौ मार थई ग्यौ। ई तौ नारिया नी होसियारी थकी बीजे दाडै साबिती थई गई के गांम मएं चोरी करवा वारा सोमियौ नै ऐना दोस्त हता ऐटले जैल नें थई। पण चोरी नो इलजाम जिनगी मएं एक वैरा लागै तौ ई चामड़ी साथै चोटी आवै, गरीब कैने आपड़ी सफाई आले, कैनं कैनं मुंड़ं बंद राखै? आवी यायावर जात ऊपर 'क्रिमिनल जात' नो ठप्पौ तौ लागेलौ है'ज। नारियै रागूड़ा ने बणै ऐटली दवा-दारू करावी पण गड़पण मएं लागेलौ मार माहणं माथै'ज वखेराये आ कैवत अमथी थौड़ी है! रागूड़ौ अब्बार मरे पछै मरे ऐवी हालत मएं हतौ।

...हवे नारिया ने बापा नी तबीयत ऊपर पूरौ विसवा थई ग्यौ हतौ ऐटले, खावा खाईने साइकल लईने गांम मएं भंगार लेवा सारू नेकरी ग्यौ। जाते थके ऐना मोबाईल नी बैटरी उतरी गई हती ऐने दुकान वारा ने करंट भरवा सारू पांच रूपिया आलीने मेली दीधु।

समुड़ी बरीतु भैगु करवा सारू गई हती पण डेरा नी देखांण नी हेम मएं हती। छोरं डेरा माथै एकलं हतं ऐटले वधारे छेंटी जाई भी नें सकती हती। समुड़ी देखाउड़ी हती ऐटले आवी हुनी जगा माथै एकली छेंटी नें जाती हती। रागूड़ौ गौदड़ी मए थकी हली पड्यौ ऐनुं मुंडु हुकाई आव्यु ऐणै छौरी धापूड़ी ने हाद्यु- 'दीकरी धापू, म्हनै पाणी पाई दे तरस लागी गई है।' धापू ए पाणी लावीने दादा ने आल्यु। वागूड़ौ अद्दर हाथे पाणी पीवा ग्यौ तौ थोडू पाणी नाकूरा मएं ठलवाई ग्यु, ऐनै पाणी उंनारे आवतं मएं उधरस माथै उधरस आवी गई। हाबूच थई ग्यौ। दादा नी हाबली-गाबली दसा थाती जौतं मएं धापू ए हाद पाड्यौ - 'भईया...रतुड़ा...रतु...दौड़ आई ने हाद... दादा ने कयं'क थई ग्यु है।' कूतरा साथै रमतै रतुड़े दौड़ते थके ऐनी आई ने हाद्यु - 'आई...दौड़....दौड़...दादा ने कयं'क थई ग्यु है....दौड़' हादते थके ऐणै आई सांमे इसारौ कर्यौ। समुड़ी ए रतु नो हाद सांभरी लीधौ नै इसारो ए जौई लीधौ। ऐनै मौटं-मौटं हूकं लाकड़ं घणं आंटी चढ़ी ग्यं हतं ऐणं ने झट-झट हुंड़ला मएं भर्यं नै माथा माथै हाईने उतावरै पोगे डेरे पूगी।

रागूड़ा ने दम चढ़ी ग्यौ हतौ। हुंड़लौ उतारीने हाथ विचरीने हीदी रागूड़ा पाहे बैही गई, छाती दबावीने मालीस करी नाखी। हाण्णु वघारवा सारू लावेला हरबा नुं तेल लईने माथा माथै मालिस करी, धापू ए बे हाथेलियं नी मालिस करी। नानकड़े रतूड़े बे पगलियं मएं नानं हाथं थकी मालिस करी। रागूड़ा नो जीव जरा सो ठेकणे पड्यौ। ऐनै हांपणी वसूटी गई हती ऐटले सामुड़ी ने इसारौ करीने हादीने पाहे बैहड़ावी। धीरे रईने तौतराते थके बौल्यौ - 'समु...दीकरी...तू अमारे वादी जात ना खानदानी गणाता घोर नी दीकरी है, तैं म्हारी सेवा करी है ऐवी अणा जुग मएं भोग थकी'ज हौ मएं एक-बे वऊएं करैं। दीकरी...म्हारै पाहे पइसौ तौ नें है पण म्हारी पेटी मएं मेणिया नी थैली मएं कागदं हैं...।' रागूड़ा ने वधारै नें बोलणुं ऐटले हा गारवा सारू रोकाई ग्यौ।

'कैवं कागदियं हैं बापा...!' - समुड़ी ए जाणवा नी गरज मएं पूछ्यु।

'जगा नो पट्टौ है...आपड़ा खानदानी गांम मएं अमंनै कूटी-कूटीनै काढ़ी दीधा हता। बीजे वदियं ए तौ बीक ने मार्यै जगा वेची दीधी हती, पण म्हैं जगा नें वेची। अमंनै जगा सरकार ए नामे करी आली हती। पूरा राज मएं 'घूमंतू' जातियं ने जगा आलवा ना एक जलसा मएं जगा मली हती। जैने भी जगा मली ई जगा मौका वगरनी हती। पण हवे तौ ऐणी जगा नुं मान वधी ग्यु है।'

'बापा आपड़ी जात तौ सरकार मएं गुना करवा वारी गणाय है, ऐवा मएं अमंने कुंण हक लेवा देगा नै कुंण पाहे रैह्वा देगा?'

'ठीक वात करी दीकरी, खानदानी खून तौ खानदानी कैह्वाय। आपड़ी जात ने बस्तियं पाहे कुंणेय नें रैह्वा दे। पण ऐणी जगा ने नारियौ वेची देगा तौय घणौ पईसौ मली जायेगा। कलेक्टर सा'ब के बीजा अफसर पाहे जाईने हक मांगोगा तौ न्याव तौ मलेगा, न्याव नें भी मलेगा तौ नियम परमणै जगा नी कीमत तौ मलेगा।...खूं...खूं...' वागूड़ा ने फैर थकी उधरस आवी गई। पण छाती काठी राखीने ई फैरे बौल्यौ - 'अ...णी... अजाणी जगा माथै म्हं मरी जऊं तौ कुंणेय ऐणं नं माहणं माथै बारवा नें देगा....ऐटले...बणे...जारै सुधी तौ रातरै कैयं'क पड़ताल जगा मएं...खां...खांडौ खौतरीने गाढ़ी देजू...खूं...खूं.............' समुड़ी ए रागूड़ा नुं माथु खौरा मएं मेलीने मुंड़ा मएं पाणी टौहव्यु, पण फाटा मुंड़ा थकी पाणी उगलाई ग्यु नै डील ककडु थईने रड़ी ग्यु।

नारियौ करम थकी झट आवी ग्यौ, ऐणे छेंटी-छेंटी गांमं मएं वखेरायेलं हगं ने फोनं लगाव्यं, पण हैत्तं नी हालत एक सरखी हती। कईया'क नं फोनं मएं करंट नें हतौ, कइया'क नं फोन 'नेटवरक' मएं नें हतं, एक ठेकणे फोन मल्यु तौ ऐणे बताड्यु के ई ऐटलं छेंटी हैं के आवते बे दाड़ा तौ थयेंगा'ज ऐटले जै भी किरिया-करम करवु होय ई करी नाखजू। जात नो गणौ तौय, कुंटुंबी गणौ तौय, हगौ-वालौ गणौ तौय मात्तर नारियौ एकलौ'ज हतौ के पछै ऐना घोर नं मनखं।

'सा'ब नमस्ते।' नारिये थानेदार सांमे हाथ जोड्या।

'बोल, क्यों आया है?' रौब झाड़ते थके थानेदार बोल्यौ।

'सा'ब, म्हारौ बापौ....'

'क्या हो गया तेरे बाप को?' नारिया नी वात पूरी थाते पैले थानेदार बोल्यौ।

'म्हारौ बाप मरी ग्यौ...' नारियौ बोल्यौ।

थानेदार एकदम उभौ थई ग्यौ नै नरम थातौ थकौ बोल्यौ 'बोल मैं क्या करूं?'

'बस सा'ब आप थकी ऐटली अरज है के म्हारै बापा ने अगन-दाग करवा सारू आपनी मेहरबान ने रजा जुवै।'

'देख, यहां सब बड़ी जात वाले लोग रहते हैं। यहां गांव वालों के अपने कानून कायदे हैं, हम उनको कुछ नहीं कह सकते हैं।' विचार करीने थानेदार ए क्यु - 'सरपंच साहब के पास जा, वे जैसा कहेंगे वैसा करना। उनको तेरी पूरी जानकारी और बात बता देना।'

नारिया ऊपर एक तौ दुख नो डूंगरौ टूटी पड्यौ हतौ, सहायता मांगवा आंय हतौ पण आंय कोय नें बण्यु। सांझे घणी करपैते सरपंच मल्यौ, ऐणे रोड़ ना कनारे एक खाली जगा बताड़ी। जगा ना मालिक ने हादीने कैवड़ावी भी दीधू के नारिया ना बापा ने गाढ़वा सारू खांडौ खोतरवा देजे, जगा ना मालिक ए हां करी दीधी। नारियौ सरपंच ने धन्यवाद आलतौ थकौ रवाना थई ग्यौ।

नारियौ ने समुड़ी बे जणं खांड़ौ खणवौ चालू करी दीधू, अड़धौ फीट ए नें खणणु हतु के जगा नो मालिक बे-तीन लठंगा लईने आव्यौ।

'ए! जगा खणवी बंद कर।' जौर थकी जगा नो मालिक बोल्यौ।

बे जणं बीक ने मार्यै ऊभं रई ग्यं। नारियौ बोलवा ग्यौ पण मालिक ए आंगरी नो इसारौ कर्यौ ने बोल्यौ 'आंय खांडौ नें खणवा नो, म्हारी जगा ने महाणं थोड़ं बणाब्बं हैं। जीवतू रैह्वु होय तौ आंय थकी नाही जाजे ने के तारै बाप नुं मरदू तौ ऐयं रई जायेगा नै तमैं बे जणं ने आंय खणीने घाली दंगा।' ऐणै खणवा नं रासं नाखी आल्यं।

अजाणुं गांम नै अजाणं मनखं, नारिया पाहे कयं कैह्वा नुं नें हतु, बे जणं हाथ जोड़ीने हैंड़तं थई ग्यं। अंधारू थावा मांड्यु हतु ऐटले बे जणं बीक थकी कांपतं थकं डेरा माथै आवी ग्यं। धापूड़ी नै रतु बे टाबरियं बीक ने मार्यै ठगठगं थई र्यं हतं। रतु तौ धापु ना खौरा मएं माथु दबावीने रौई र्यौ हतौ।

नारियौ बापा नी लास माथै वेटौराई ग्यौ नै लांहका लई-लईने रौई पड्यौ। रोते थके बापा थकी माफी मांगी के बेटौ टैम रैह्ते अगन-दाग ए नें दई सक्यौ। हवे लास नुं हुं करवु, छौरं संभारै के लास बल्ले कोय वैवस्था करै, करै तौ करे हुं?

रातर नुं अंधारू वधवा थकी नारिया ना तथाकथित घोर मएं दुख नै बीक नी सामलाती थई गई हती। सब जणं भूखं हतं, घर मएं मरदू पडेलु होय तौ नैम परमणै चूलौ नें हरगै, खावा नुं बणेलु होय तौ खवाये हुं करीने। नारिये आजे डेरा मएं दीवौ नें लगाड़वा दीधौ हतौ, दीवा नुं अजुवारू कैयं ए ऐणने हौवा नी हैलणी नें बणी जाये ऐम करीने।

डेरा थकी माहणं मएं अजुवारू ततकतू देखणुं, नारिये हिमत भेगी करीने जरा मौरे जाईने जौयु तौ महाणं माथै कई'क मनखं भेगं थई र्यं हतं, गांम मएं मौडू मरतूक थई ग्यु हतु। थोड़ी वैरा वांहे बरता मरदा नी रौवती देवाई गई ऐटले सब जणं जातं र्यं।

नारियौ डेरा मएं पाछौ आवी ग्यौ। पैले तौ डेरा नी सब सामगरिये हमेटीने बांधी दीधी। गधेड़ा नुं लगडू तैयार करीने खूंटा सामूं बांधी दीधु। डेरो उठाब्बा नी पूरी तैयारिये करी दीधी। समुड़ी, धापु नै रतुड़ा ने कोय गम ने पड़ी र्यौ हतौ के नारियौ हुं करवु चाहे है। सब जणं ठगठगं थईने जौई र्यं हतं। नारियौ पाछौ महाणं आडै ग्यौ, चारै-मैरै निगा नाखीने जौयु, कुंणेय मनख नजर नें आव्यु।

पाछौ आवीने नारिये नै समुड़ी बे जणें खंबं माथै लास हाई लीधी। धापू नै रतु बे जणैं जैटलं हवाई सकैं ऐटलं लाकड़ं हाई लीधं नै महाणं तक पूगी ग्यं। बरता मरदा नी लाय ना उजुवारा मएं रागूड़ा नुं मरदू उतार्यु, सब जणं मरदा ने पोगें पड्यं नै मरदू ऊंचू करीने वैजावी ने बरती आग मएं मेली दीधु। आग नी बरतास घणी हती तौय बरवा नी परवा कर्या वगर आ काम थई ग्यु। लावेलं लाकड़ं चीता माथै नाखी दीधं।

समुड़ी ने टकणुं नें, ई जौर थकी रौई पड़ी पण नारिये मुंडु दाबी दीधु ने क्यु -'अब्बार बाप ने अगन-दाग दीधौ है, पण जौर थकी रौवु ठीक नें है कुंणेय सांभरी जाहै तौ आपड़ी खैर नें रैगा। बस आपडे जावा नी हैत्ती तैयरिये करी दीधी हैं। छान-मानं आंय थकी नेकरी जावु है। आखी रातर हैंडवू है। कैयं ए ठीक जगा लागे तौ डेरौ उतारीने हुई जंगा।'

डेरा पाहे जातं मएं कूतरौ कूं...कूं...करीने नारिया नं पौगं मएं पैही ग्यौ। तैयार गधेड़ा ने एक लाकड़ा नी ठपक वाई तौ हैंड़ी पड्यु। रतुड़ा ने नारिये साइकल माथै फंसावेली पेटी माथै बैहवाड़ी दीधौ ने ऐना हाथ मएं हैकेली मंगफरी नै चणं नी थैली हवड़ावी दीधी। एक थैली धापु ने हवड़ावी दीधी। रागूड़ा नी पेटी समुड़ी ए माथा माथै हाई लीधी।

'गांम नं मनखं ने बापा ने बारवा नी खबर पड़ेगा तौ हुं थायेगा?' हैंड़ती थकी समुड़ी बोली।

'काले मंगलवार है, सारी काले नें वरी सकेगा। परसौ सुधी तौ आपड़े घणं छैंटी नेकरी जंगा। बापा ने दाग देवाई ग्यौ ई मौटू काम थई ग्यु है नै मारै कोये थायेगा तौ जौवंगा...।'

थोड़ी वैरा तक तौ वाते चालती रई नै पछै अबोलं थई ग्यं। डेरौ अंधारा मएं मोरै वधी र्यौ हतौ। चारै मनख रौतं थकं हैंड़ी र्यं हतं, पण रौवा नी आवाज नें आवी रई हती।