अगिनदेहा, खण्ड-9 / रंजन
श्रीवास्तव आज कुछ ज़्यादा ही व्यस्त रहा। मैडम ने दो बार स्नैक्स रखा था, लेकिन श्रीवास्तव ने दोनों बार उसे छुआ तक नहीं। आज उसने बीयर भी नहीं पी. दिन के तीन बज गये, तब वह अपने काम से फ़ारिग़ हुआ।
-'क्या बात है सर! आज आपने कुछ भी नहीं लिया।' मैडम ललिता ने आते ही सवाल किया।
श्रीवास्तव ने कुछ नहीं कहा। अपने वर्किंग चेयर से उठ कर सोफ़ा पर आकर ढह गया फिर मैडम से कहा-'ओ. के.! एक बीयर निकाल लो। आज एग्झॉस्ट हो गया हूँ।'
ललिता ने बीयर का कैन निकाल कर ग्लास में डाला। -'सम स्नैक्स?'
-'नो थैंक्स! चीज़़ के केक्स निकाल लो...और कुछ मूड नहीं है।'
मैडम चिंतित हो गई लेकिन पूछने की हिम्मत नहीं हुई. उसका बॉस उससे हमेशा रिज़र्व रहता और काम के अतिरिक्त कोई बात न करता था। उसने चीज़़ केक्स के टुकड़े कर, उसमें पिक्स लगा दिये। ललिता ने जब टेबल पर चीज़़ का प्लेट रखा तो श्रीवास्तव की बात ने उसे चौंका दिया। श्रीवास्तव ने उसे बैठने कहा था। यह पहली मर्तबा था जब उसके बॉस ने उसे अपने सामने बैठने के लिए कहा। सकुचाती हुई वह वहीं बैठ गई.
-'बीयर लोगी?'
बौखला गई वह। घबड़ा कर उसने जवाब दिया-'मैं तो पीती नहीं हूँ सर!'
-'नो प्राब्लम! अपने लिए कुछ निकाल लो और कॉफ़ी के लिए कह दो...मुझे कुछ बात करनी है तुमसे।'
-'क्या बात है सर? कहिए न... मैं कुछ नहीं लूंगी।'
-' डोंट बी फ़ारमल...किचन में फ़ोन कर दो और बैठो।
यंत्रावत वह उठी। कॉफ़ी के लिए फ़ोन पर कहा और वापस आकर श्रीवास्तव के सामने बैठ गई. श्रीवास्तव गंभीर था और धीरे-धीरे बीयर चुसक रहा था। बड़ी देर तक वह मौन रहा और शायद सोचता रहा कि अपनी बात कहाँ से शुरू करे। मैडम ललिता आँखों झुकाए चुपचाप बैठी सोचती रही और परेशान होती रही कि आख़िर बात क्या है? तभी अंदर से कॉफ़ी आ गयी।
-'बी रिलैक्स एण्ड हैव योर कॉफ़ी।'
-'थैंक यू सर!' ललिता ने फ़्लास्क से कप में कॉफ़ी डालकर उसे होठों से लगा लिया तो श्रीवास्तव ने कहना शुरू किया,
-'तुमने बेबी में कुछ चेंज़ नोट किया है?'
ललिता की ठहरी हुई सांसें फिर से चलने लगीं। तो मामला बेबी का है! क्षण मात्रा में वह सहज हो गई और मुस्कुराने लगी।
-'क्या हुआ है अपनी बेबी को? आज-कल तो मुझे ज़्यादा ही ख़ुश लगती है।' मुस्कुरा कर ही उसने कहा। वह ख़ुश थी कि आख़िर उसके बॉस ने उससे अपनी बात शेयर की।
-'वही तो मैं कह रहा हूँ। आज-कल बेबी ज़्यादा ही ख़ुश है।'
-'यह तो बड़ी अच्छी बात है सर! कई महीनों से मुझे डिप्रेस्ड नज़र आती थी और अब ख़ुश है तो।' उलझ कर कहा मैडम ने।
-'यही प्रॉब्लम है मेरा। सारे दिन ऑफ़िस में गुज़र जाता है और जब तक ऑफ़िस में रहता हूँ, काम के सिवा और कुछ याद भी नहीं रहता। पूरी दुनिया से अलग हो जाता हूँ मैं। ऑफ़िस से छूट कर जब बेटी के पास पहुँचता हूँ तो केवल घण्टे-दो घण्टे ही उसके साथ मेरा वक़्त गुज़रता है और फिर, देर रात तक सक्सेना के साथ सीटिंग चलती रहती है।'
मैडम ललिता श्रीवास्तव का चेहरा देख रही थी। उस वक़्त उसका बॉस भावुक होकर अपनी बात कह रहा था। अपने बॉस के अंदर का चेहरा वह आज पहली बार देख रही थी।
श्रीवास्तव की बात जारी थी-'कुछ महीनों से मेरी बेटी बदल गई थी। उसकी हँसी, उसकी ख़ुशी कहीं खो गई. तुमने ठीक ही वर्ड यूज़ किया। डिप्रेस्ड हो गई थी वह...डिप्रेशन में चली गई थी। सक्सेना ने भी नोट किया था और मैंने भी देखा था...लेकिन कोशिश करने पर भी मुझे पता न चला, बात क्या थी? काजल से भी मैंने जानने की कोशिश की थी। बेबी से भी पूछा था, बट आई फ़ेल्ड...और मैंने फिर कुछ नहीं किया। सक्सेना थोड़ा सीरियस था। वह बेबी के लिए प्रॉपर मैच ढूंढने भी लगा था। मैं भी चाहता था कोई मेरा हाथ बँटाने वाला मिल जाए. सक्सेना आज भी इस काम में लगा है। बेबी की उदासी का कारण, उसे बेबी का अकेलापन लगता था और हम दोनों, मैं और सक्सेना सोचते थे, इसकी शादी हो जाएगी तो फिर सब नार्मल हो जाएगा।'
-'यह तो नैचुरल है सर, लेकिन अपनी बेबी अभी इतनी बड़ी नहीं हुई है कि अपने अकेलेपन के कारण डिप्रेशन में चली जाए. अभी उसकी उम्र ही क्या है?' मेरे ख़्याल से अभी बीस-इक्कीस की होगी वह। '
-'यही तो मैंने सक्सेना से भी कहा था कि अभी वह छोटी है और मुझे उसकी शादी की अभी फ़ौरन कोई ज़रूरत नहीं...लेकिन जब से वह डिप्रेशन में रहने लगी, मुझे इसकी शादी की जल्दी लगने लगी थी।'
-'यू आर राइट सर। आपने ठीक सोचा है।'
-'व्ह्ाट राईट! मैं येस कहता हूँ तो तुम येस कहती हो। नो कहता हूँ तो तुम भी नो कहती हो। तुम्हारा अपना कोई स्टैण्ड है या नहीं?' बिगड़ गया श्रीवास्तव और मैडम बौखला गई. वह कुछ न कह सकी तो श्रीवास्तव ने अपनी बात को आगे बढ़ाया,
-'लास्ट वीक से भारती का एक फ्रेंड आया हुआ है।'
-'मुझे पता है सर।'
-'लास्ट मन्थ भी वह आया था। उसके साथ उसकी माँ और बहन भी आयी थी।'
-'मुझे पता है सर! उसकी बहन बीमार थी। वे लोग उसकी ट्रीटमेंट के लिए आए थे। लेकिन इससे बेबी के इशू का क्या रिलेशन है?'
-'वही तो बताना चाहता हूँ। उसके आते ही बेबी अचानक बदल गई थी। उस समय मैंने नोटिस नहीं लिया था। बट नाव आई रिमेम्बर। मैंने बहुत सोचा और अब मेरी फ़ाइंडिंग है कि बेबी के डिप्रेशन से बाहर आने की वजह वही लड़का है।'
श्रीवास्तव की बात सुन कर मैडम गंभीर हो गई. उसकी चेतना में कई ख़्याल आने-जाने लगे। अभी भारती के दोस्त को वह रोज़़ देखती थी। लेकिन उसने उसपर ध्यान नहीं दिया था। उसका बॉस क्या सोच रहा है, वह समझ गई. उसने कहा, -'कौन है वह? आप मिले हैं उससे?'
-'नहीं! मैं तो मिला नहीं, लेकिन अब चाहता हूँ, मिल लूँ उससे।'
-'लेकिन वह तो मिड्ल क्लास का है सर। कहीं आप वही तो नहीं सोच रहे, जो मैं सोच रही हूँ?'
-'क्या सोच रही हो तुम?'
मैडम जवाब न दे सकी। चुप हो गई तो श्रीवास्तव ने फिर कहना जारी रखा, -' अगर मेरी फ़ाइंडिंग सही है तो यह कम्प्लीकेटेड मामला है। बेबी की शादी अगर उससे करनी पड़ी तो मुझे हजार बार सोचना होगा। उस लड़के की डीटेल्स लेनी होगी। कौन है वह? उसका बैकग्राऊण्ड, उसका स्टैटस, सब जानना होगा मुझे।
-'तो प्राब्लम क्या है सर?'
-'प्रॉब्लेम यही है कि अगर मुझे लगा कि वह बेबी को फ़्लर्ट कर रहा है।तो क्या होगा? मेरी बेटी इतनी इमोशनल है कि ज़रा-सी भी ठेंस उसे डीप डिप्रेशन में पहुँचा देगी।'
-'आप पैसेमिस्टिक क्यों होते हैं और वह भी बगै़र जाने कि वह लड़का कैसा है। मुझे तो वह सोबर लगता है।'
-'शायद तुम ठीक कहती हो लेकिन मैं ख़ुद अभी इस मोमेंट में इन्वॉल्ब होने से डरता हूँ। सक्सेना से भी अभी तक मैंने इस इश्यू को डिस्कस नहीं किया है।'
-'मैं समझती हूँ सर। मुझे क्या करना है? आप बताइये।'
-'तुम इस लड़के से बात करो। मिक्स हो जाओ इससे...किसी कॉफ़ी-शाप में उसके साथ बैठो, बल्कि फ़िल्म देखने के लिए उसे इन्वाइट करो। तुम बड़ी आसानी से उसे जज कर सकती हो। अगर वह फ़्लर्ट निकला तो उसे बेबी की ज़िन्दगी से बाहर करना होगा। दिस इज एन इमरजेंसी. समझ रही हो? मैं क्या कहना चाहता हूँ?'
-'येस सर, मैं समझती हूँ लेकिन कन्फ़्यूज़ड भी हूँ।'
-'क्यों? इसमें कन्फ़्यूज़न क्या है? इन फै़क्ट... कन्फ़्यूज़न्स दूर करने के लिए ही मैंने तुम्हे यह टास्क दिया है।'
-'आप समझे नहीं सर। मैं अब इस उम्र में...' श्रीवास्तव ने उसे आगे कहने नहीं दिया। -' क्या हुआ है तुम्हारी उम्र को? जवान बच्चों की माँ बन चुकी
हो...लेकिन क्या फ़र्क पड़ा है तुममें? अभी भी तुममें वह कशिश, वह ग्लैमर है कि...' श्रीवास्तव कहते-कहते रूक गया। अपनी रौ में वह कह तो गया था लेकिन उसकी बातों से मैडम ललिता के गाल कानों तक शर्म से लाल हो गये थे।
-'सॉरी ललिता! प्लीज़ डोंट टेक इट अदरवाइज़, मैं अपने फ़्लो में कह गया। मुझे माफ़ करना।'
-'नो...नो...सर! ऐसी कोई बात नहीं है जिस पर आपको सॉरी कहना पड़े। इन फै़क्ट, आपकी जुबान से यह कम्पलीमेंट्स सुनना मुझे अच्छा लगा। बेहद अच्छा। अब आप निश्ंिचत हो जायें। दिस इज़ नाउ माई रेसपोंसिबिलिटी. आई विल डू माई बेस्ट।'
-' थैंक्स माई डियर। तुम्हारी फ़ाइंडिंग्स पर ही मैं, एकार्डिंगली डिसीजन
लूंगा। '
मैडम ललिता को अच्छा लगा कि उसके बॉस ने आज उससे इस तरह शेयर किया था। इतने इम्पॉर्टेंट डिसीजन में उसे शरीक किया था। उसने पहली बार यह भी जाना कि उसका बॉस वैसा खडूस नहीं है, जैसा वह सोचती आई थी। उसे भी औरत की ख़ूबसूरती और ग्लैमर का पता है।
श्रीवास्तव अपनी लिविंग में आया तो बेबी के अतिरिक्त वहाँ सब
मौज़ूद थे।
-'व्हेयर इज़ माई डार्लिंग?' उसने काजल से पूछा तो उसने हँसते हुए कहा-'बस आती ही होगी सर! मैं देखंू क्या?'
-'येस कॉल हर एण्ड मेक टू कॉफ़ी।'
कहता हुआ वह फ्ऱेश होने बाथरूम में चला गया।
काजल ने जब बेबी का कॉलबेल पुश किया उस वक़्त बेबी रज्ज़ू को ग्राफ़ बना कर टीच कर रही थी कि लड़की कब और कैसे कन्सीव करती है। काल-बेल की आवाज़ पर उसने वहीं से कहा-'येस, कम इन।'
और काजल अंदर आ गई-'अच्छा तो यहाँ आप-दोनों की सीटिंग अभी तक चल रही है। हो गया फ़ोटोे सेशन?'
-'हाँ भाभी हो गया।'
-'कहाँ इसी बेड रूम में?' अपनी बात कह कर वह हँसी.
-'नहीं भाभी, ऊपर टैरेस गार्डेन में।'
-'अच्छा! इतनी धूप में? और कुछ खाया-पिया कि नहीं।'
-'हाँ भाभी...फ़ोटोे-सेशन के बाद आपके पास ही आ रहा था कि इन्होंने यहीं एरेंज कर लिया।'
-'ओ. के.गुड...और माई डार्लिंग,' काजल ने बेबी से मुख़ातिब हो कर कहा, 'सर आ गये हैं और आते ही तुम्हें ढूँढने लगे।'
इस वक़्त काजल का आना बेबी को यूं भी अच्छा न लगा था, ऊपर से रज्ज़ू को छोड़ कर जाना उसे और भी अखरा। लेकिन फिर भी वह मजबूर होकर उठ गई.
-'भारती है भाभी?'
-'हाँ...उन्होंने दोपहर में तुम्हें पूछा था। खाने पर इंतजार भी किया। अब इस वक़्त अपने स्टूडियो में होंगे।'
-'ठीक है फिर, मैं वहीं जाता हूँ।'
स्टूडियो में आते ही रज्ज़ू चौंक गया। फ़िल्मों की हिरोईन जैसी एक रूपसी, भारती के पास बैठी रिप्लीका देख रही थी। रज्ज़ू को देखते ही भारती ने कहा-'आओ फ़ोटोेग्राफ़र...आओ. हो गया तुम्हारा फ़ोटोे-सेशन?' फिर उसने अपने मेहमान से रज्ज़ू का परिचय कराते हुए कहा, -'इनसे मिलो। आप हैं मैडम ललिता! तुम्हारी भाभी के बॉस की राईट हैण्ड और मैडम... यह मेरा दोस्त रज्ज़ू है। फ़ाईन-आटर््स का डिप्लोमा हमने साथ-साथ ही लिया है। वेरी टैलेण्टेड फ़ोटोेग्राफ़र। आज ही इसने अपनी बेबी का लम्बा फ़ोटोे-सेशन किया है। सुबह का गया अभी-अभी काम ख़त्म कर आया है।'
अपनी बात पर वह ख़ुद ही हँस पड़ा।
मैडम ललिता उठ कर रज्ज़ू के पास आई और आकर उसने अपने हाथ बढ़ाए तो जवाब में रज्ज़ू ने हाथ उठाकर उसे नमस्कार किया, मुस्कुराया, फिर भारती से कहा, -'विनीता जी का फ़ोटोे-सेशन दो बजे ही समाप्त हो गया था।'
-'फिर कहाँ थे सर!' भारती ने व्यंग किया।
-'उनके साथ लंच लेने लगा था।'
-'ओह...लंच लेने लगे थे? कहा क्यों नहीं? मैं और काजल खा-म-खा इंतजार में भूखे रहे।'
-' क्यों तुम लोगों ने खाना नहीं खाया? अभी-अभी तो भाभी ने
बताया। '
भारती ने बात काटते हुए कहा-'अच्छा! तो भाभी से मुलाकात हो गई तुम्हारी? मिले कहाँ?'
-'अब यार तुम तो शरलॉक होम्स की तरह पूछ-ताछ करने लगे। मैं विनीता जी के साथ उनके कमरे में था, भाभी वहीं आ गई थीं।'
मैडम ललिता उलझन में पड़ गयीं। यह लड़का तो ऐलानिया क़बूल करता जा रहा है कि यह बेबी के साथ उसके रूम में था। न झिझक, न पर्दा। वह ग़ौर से रज्ज़ू को देखने लगी और उसकी सहजता पर उलझती रही।
श्रीवास्तव के जाने के बाद उसने अपना कार्यक्रम निर्धारित कर लिया था। उसे कल का इंतजार करना अच्छा न लगा। घर पर उसने फ़ोन करके कह दिया था, उसे देर होगी और सीधी चली आई काजल के विंग में। अगर मुलाकात हो जाये तो वह आज ही भारती के दोस्त से मिलना चाहती थी।
भारती के स्टूडियो में आकर उसने यूं ही उसकी रिप्लीका में समय काटा था। चूँकि भारती के स्टूडियो में वह पहली-पहली बार आयी, उसका आना भारती को बेहद सुखद लगा। मैडम भी 'द लास्ट सपर' की रिप्लीका को देख कर प्रभावित हुई. पेंटिंग्स की दुनिया से उसका परिचय पहली बार ही हुआ था।
-'मुझे पता नहीं था, आप इस ग्रेड के आर्टिस्ट हैं। आप हमारे क्लायंट्स के लिए, क्यों नहीं काम करते? हमारे थ्रू तो बहुत काम मिल सकता है आपको।' उसने कहा।
भारती के जवाब के पूर्व ही रज्ज़ू आ गया था और बातों का क्रम बदल गया।
-'हमारी बेबी का फ़ोटोे-सेशन कैसा रहा आज?' मैडम ने रज्ज़ू से पूछा।
-'ओह! इट वाज़ वंडरफु़ल। मुझे तो पता ही नहीं था, इस बिल्डिंग के टैरेस पर इतना सुंदर गार्डेन है। मैंने तो सच पूछिए, इतना सुंदर और वेल मेन्टेन्ड गार्डेन आज तक देखा ही नहीं था, उस पर से मुझे मेरा ड्रीम इक्विपमेंट मिल गया।'
इस 'ड्रीम इक्विपमेंट' शब्द पर मैडम चौंकी तो बात को साफ़ किया भारती ने, उसने कहा, -'इसे निकोन एफ़-फ़ाईव का फ़ुल किट मिल गया। आप शायद जानती हैं कि नहीं, निकोन का यह मॉडल बिल्क़ुल लेटेस्ट है। निकोन एस.एल.आर सिरीज का सबसे प्रेस्टेजियस मॉडल।'
मैडम ललिता समझ गई. उसने मुस्कुराते हुए कहा-'मैं जानती हूँ। सर ने लंदन में खरीदा था इसे।' कह कर वह हँसी और फिर कहा-'ऑफ़िस में उन्होंने पूरी सर-खपाई की थी लेकिन कैमरे का ऑपरेशन समझ न सके.'
इस बार रज्ज़ू ने कहा, -'बिल्क़ुल प्रोफ़ेशनल मॉडल है मैडम और आपरेशन भी बेहद ईज़ी है। सर चाहेंगे तो मैं डिमोस्ट्रेट करके समझा दूंगा उन्हें।'
-'उन्हें फ़ुर्सत कहाँ है? आपने इससे हमारी बेबी का फ़ोटोे-सेशन कर लिया तो सर का इन्वेस्टमेंट वापस हो गया, अदरवाईज वह तो यूं ही पड़ा-पड़ा जंग खा रहा था।' कुछ क्षण रूककर मैडम ने रज्ज़ू से फिर कहा, -' आप कब तक
हैं यहाँ? '
-'अब तो काम ख़त्म हो गया। इसने कांग्रेस के अधिवेशन में कांट्रेक्ट ले लिया था। इसीलिए रुकना पड़ा। अब चाहता हूँ, कल टेªन पकड़ लूँ।'
-'नहीं कल नहीं,' भारती बीच में बोल पड़ा, 'कल तो अधिवेशन है। तुम्हें किसी टेªन में जगह नहीं मिलने वाली। परसों का प्रोग्राम बना लो।'
-'ठीक है, परसों ही सही।' रज्ज़ू ने कहा। मैडम ललिता ने एक लम्बा जमाना देखा था। किसी को भी देखकर उसका पूरा एक्स-रे वह कर सकती थी, ऐसा उसका दावा था। अपने बॉस की बात पर वह बेहद गंभीर हो गई थी। लेकिन यहाँ तो मामला ही फुस्स हो गया। यह लड़का तो बेहद भोला-भाला और मासूम है। क्या करे वह? क्लीन चीट दे-दे अपने बॉस को? नहीं, इतनी जल्दी नहीं, उसने सोचा। अभी तुंरत फ़ैसला नहीं लेगी वह। इस लड़के को पूरी तरह समझेगी।
-'रज्ज़ू जी!' अचानक उसने मुस्कुरा कर रज्ज़ू से कहा, कैन यू डू ए फेवर फार मी? '
-'फरमाईये!'
-'आपको तो परसों जाना है, कल मेरी कुछ एक्सपोजिंग कर देंगे? मैंने स्टूडियो में कई बार फ़ोटोे खिंचाया है लेकिन किसी में मेरा चेहरा ठीक नहीं आया। मेरी फ़ोटोे यूं भी कभी ठीक नहीं आती। अब संयोग से आप यहाँ हैं तो इस अपॉरचुनिटी को मैं मिस नहीं करना चाहती। क्या कहते हैं आप? करेंगे?'
मैडम की बात पर रज्ज़ू के पहले भारती ने जवाब में कहा, -'क्यों नहीं करेगा यह। वैसे मैंने भी आज तक एफ़-फ़ाईव को अपने हाथ से छुआ नहीं है। आपके फ़ोटोे-सेशन में मुझे भी फ़ायदा हो जाएगा। एक बार अपने हाथ में एफ़-फ़ाईव उठा कर अपनी हसरत पूरी कर लूंगा।'
-'नहीं भारती जी, ये अकेले ही रहेंगे। मैं कैमरे के सामने कांसस हो जाती हूँ। आप बाद में देख लीजिएगा। बेबी से मांग कर मैं ख़ुद आपको दे दूंगी।'
-'ठीक है मैडम! आप जैसा चाहती हैं, वैसा ही होगा। बोलो भाई,' भारती ने रज्ज़ू से पूछा, -'कल करते हो?'
रज्ज़ू ने स्वीकृति में सिर हिला दिया-'ओ. के. मैडम, इसी टैंरेस-गार्डेन पर कल दोपहर।'
मैडम ने बात काटी-'नहीं रज्ज़ू जी, बॉस के टैरेस पर नहीं। इट इज नॉट प्रोपर, ही में माईंड इट। आप मेरे साथ चलिए.'
-'कहाँ?' रज्ज़ू चौंका
सहजता से मैडम ने कहा, -'बांकीपुर क्लब! मेरे बॉस वहाँ के मेम्बर हैं। गंगा के किनारे का लोकेशन आपको ज़रूर पसंद आएगा और आपके साथ कुछ देर रहूँगी तो मेरी हेजिटेशन भी कम हो जायेगी। एक्सपोजिं़ग में कंसस नहीं रहूँगी। क्या कहते हैं आप?'
यह माहौल, ये लोग। सब अजीब था रज्ज़ू के लिए. वह तो ख़ुद लड़कियों के सामने आते ही फ़्यूज़ हो जाता था, लेकिन बेबी की सोहबत ने उसके नर्वसनेस को इस क़दर कम कर दिया था कि वह मैडम के साथ सहजता से इतनी बातें कर गया। लेकिन मैडम की स्पष्टवादिता ने उसे हैरान कर दिया।
रज्ज़ू के मौन पर भारती ने जवाब दिया-'आप अपने साथ किसी को ले जाना चाहें, तो किसकी मजाल है मैडम कि वह इंकार कर दे।'
भारती की बात पर मैडम को हँसी आ गई तो भारती ने फिर कहा, -'आप पहली बार मेेरे स्टूडियो में आयी हैं और मैंने आपसे चाय-पानी तक नहीं पूछा।'
-'अब मुझसे भी फ़ार्मेलिटी करेंगे आप?'
-' फार्मेलिटी वाली बात नहीं है, दरअसल आपके साथ चाय पीने का सुख मैं छोड़ना नहीं चाहता। आप फ़ोटोेग्राफर से बातें कीजिये...मैं तुरंत हाज़िर
होता हूँ। '
मैडम ललिता को कुछ कहने का मौक़ा न देकर वह तेज़ी से बाहर चला गया। अब स्टूडियो में मैडम के साथ रज्ज़ू अकेला रह गया।
-'अब आपकी बहन कैसी है?'
-'अब तो बिल्क़ुल ठीक है, लेकिन आप कैसे जानती हैं उसे?'
-'कमाल करते हैं आप भी! अरे आपलोगों ने यहीं रह कर उसका ट्रीटमेंट कराया और कहते हैं, हमें पता नहीं। सर भी जानते हैं...और सर ही क्या,' जानकी कुटीर'में सब को पता है। ...वैसे रज्ज़ू जी, फ़ोटोेग्राफ़ी ही आपका प्रोफ़ेशन है?'
-'हाँ मैडम, एक छोटा-सा स्टूडियो है मेरा।'
-'हाव इज द बिजनेस?'
-'स्टूडियो से इतना ही होता है कि गृहस्थी चल जाती है...बस।'
-'कुछ बड़ा प्लान क्यों नहीं करते? हमारे शहर में जितने स्टूडियो वाले थे उनमें से कईयों ने अपना लैब सेट-अप कर लिया, एण्ड दे आर हैप्पी नाउ।'
-'जानता हूँ मैं, लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं अपना लैब प्लान कर सकूं।'
-'क्यों? आप बैंकों से फिनान्स परचेज कर सकते हैं। इसमें क्या प्रॉब्लम है?' रज्ज़ू ने कोई जवाब न दिया केवल बंद होंठों में मुस्कुराने लगा तो मैडम ने टॉपिक चेंज कर दिया।
-'शादी हो गई आपकी!'
-'नहीं।'
-'फिर तो अभी आप बेयरर चेक हैं।'
मैडम की बात पर रज्ज़ू को हँसी आ गई. हँसते हुए ही उसने कहा-'आपका मतलब है कि अपने दहेज से मैं लैब सेट-अप कर लूँ।'
मैडम भी हँस पड़ी और तभी टेª में चाय की प्यालियां लिए भारती आ गया।
-'चुटकुले चल रहे हैं क्या? ...लीजिए मैडम, गर्मा-गरम चाय।' भारती ने चाय की प्यालियां टेबल पर रख कर आगे कहा, -' क्या बात चल रही है!
जवाब रज्ज़ू ने दिया-'मैडम चाहती हैं मैं अपने लिए एक पैसे वाला ससुर तलाश करूंँ और स्टूडियो में कलर-लैब सेट-अप कर दूं।'
-'तो इसमें बुरा क्या है और फिर तलाशने की ज़रूरत क्या है तुम्हें! पैसे वाला ससुरा तो हाज़िर ही है तुम्हारे पास।'
भारती की बात पर मैडम बुरी तरह चौंकी लेकिन उसकी बात को रज्ज़ू ने फ़ौरन काटते हुए कहा,
-'क्यों मज़ाक करते हो यार!'
-'इसमें मज़ाक वाली क्या बात है! ग़लत कह रहा हूँ मैं! लिफ़ाफ़े पर टिकट की तरह चिपक गये हो और कहते हो मैं मज़ाक करता हूँ।' भारती ने कहकर मुंह बिचका दिया।
-'अब बंद करो इस बकवास को और प्लीज़, मेरा तमाशा मत बनाओ मैडम के सामने।' रज्ज़ू मैडम की तरफ़ मुड़ा-'तो मैडम! चलिए अब। आज अपना आर्टिस्ट मुझे खींचने के मूड में है। कब कहाँ और क्या कहना चाहिए, इसे कुछ पता नहीं। ख़ा-म-ख़ा मुँह फाड़ता रहता है।'
मैडम ललिता चाय की चुस्क़ियां लेती हुई दोनों की बातें सुन रही थी। बगै़र प्रयत्न किए ही चीज़ें खुल रही थीं तो उसने अपनी ओर से बात को और हवा दे दी, -'अगर आपका मामला कहीं जम गया है तो मेरी बधाई रज्ज़ू जी. आप इतना शर्माते क्यों है? कौन है वह लड़की जिसकी बात हो रही है?'
रज्ज़ू नर्वस हो गया। उसे लगा बेकार में उसकी किरकिरी होने वाली है। साथ ही अगर बेबी का नाम उछला तो वह मुफ़्त में बदनाम होगी, सो अलग। उसकी इच्छा हुई किसी भी तरह यह बहस बंद हो और इसीलिए वह उठ कर खड़ा हो गया -'चलिए मैडम! अब यहाँ रूकना बेकार है।'
पूरे दो हजार दो सौ वर्ग-फ़ुट में फैलै श्रीवास्तव के लिविंग में हलचल थी। रामरतन पूरे उत्साह से किचन में व्यस्त था। आज उसके साहब कॉफ़ी के साथ हल्का नाश्ता भी लेंगे। श्रीवास्तव लिविंग के बाथ-रूम से अभी निकला न था। काजल ही 'बेबी' को बुलाने के लिए गयी थीं।
काजल दी के निर्देश पर ही रामरतन फ़िंगर चिप्स और पनीर पकौड़े की व्यवस्था में लगा था। बीस गुणा बीस के किचन का हिस्सा लिविंग की सतह से दो फ़ुट ऊँचा था और बगै़र पार्टीशन का यह किचन वस्तुतः इंटीरियर डेकोरेशन का शानदार नमूना था। बेदाग़ सफे़द ग्रेनाईट के स्लैबों में डूबा कूकिंग रेंज और आम आकार से चौगुना सिंक। गर्म और ठंडे पानी का मिक्सर और कूकिंग रेंज पर लटकी चिमनी। लाल महोगनी लकड़ी से बनी अलमारियों में क़रीने से सजे क्राकॅरीज़। माईक्रोवेब ओवेन, वाटर कूलर और फ्रीज। दूसरी तरफ़ मिक्सर-ग्रैण्डर और अन्य उपकरण पड़े थे। आम तौर से शयन और बैठक कक्ष से ही, रहने वाले के ऐश्वर्य का आभास होता है परन्तु श्रीवास्तव के किचन और लिविंग का सारे इलाक़ा श्रीवास्तव के ऐश्वर्य और उसकी सुरूचि प्रदर्शित करता था।
श्रीवास्तव के किचन में सबसे ख़ास था, उसका सिंक जिसमें बर्त्तनों की सफ़ाई की जाती थी और साथ ही साग-सब्ज़ी का सारे वेस्ट डाला जाता था। इस सिंक की खासियत थी, इसके पेंदे में लगा ग्रैण्डर जो सारे कचरे की ग्रैण्डिंग कर नल में बहा देता था।
किचन से दो फ़ुट नीचे लिविंग के मध्य छह सौ वर्गफ़ुट की जगह पर, तीन इंच मोटी क़ालीन के उपर, श्रीवास्तव का विशाल सोफ़ा-सेट और सेन्टर टेबल था। इसी से सटे दस गुणा बीस फ़ुट के सुसज्ज़ित बाथ-रूम में इस समय श्रीवास्तव फ्रेश हो रहा था।
इसके बांये, पूरे हजार वर्ग फ़ुट की जमीन पर एक बिलियर्ड टेबल और टेबल टेनिस पड़ा था। दोनों के मध्य लकड़ी की जाली वाला दस फ़ुट लम्बा बेंच रखा गया था। बिलियर्ड टेबल के ऊपर, छत से लटके फ्लड-बल्बों के छह रिफ़लेक्टर लटके थे और दीवारों के साथ बिलियर्ड स्टिक्स के स्टैण्ड में छोटी-बड़ी दर्जन भर स्टिक्स खड़ी थीं। इसी से सटा मार्किंग बोर्ड, दीवार में लगा था।
कुल मिलाकर पूरे दो हजार दो सौ वर्ग फ़ुट का लिविंग पुरातन राजसी कक्षों का आधुनिक रूप प्रतीत होता था।
काजल के साथ बेबी जब आई, उस वक़्त भी श्रीवास्तव बाथरूम के अंदर ही था। काजल ने आते ही रामरतन की व्यवस्था चेक की। फिन्गर चिप्स और पनीर पकौड़े तैयार हो गये थे। रामरतन सलाद के पत्तों और पोटैटो सॉस के साथ उसकी डेªसिंग कर रहा था।
-'बेबी. उड यू लाईक टू हैव सम स्नैक्स!'
काजल ने सोफे पर बैठी बेबी को वहीं से आवाज़ दी।
-'मैं सिर्फ़ कॉफ़ी लूंगी।' बेबी ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया। इस तरह अचानक रज्ज़ू को छोड़ कर आना, उसे अखर गया था। मुँह फुलाए वह चुपचाप सोफे पर बैठी थी कि तभी पूरे वातावरण में बॉडी-स्प्रे की सुगंध फैली। श्रीवास्तव बाहर आ गया था। -'हैलो डार्लिंग!' उसने आते ही बेबी से कहा और गाऊन पहन कर बेटी के पास आ गया। बेबी उठ कर खड़ी हो गई और श्रीवास्तव ने उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे करीब कर लिया।
रामरतन ने तेज़ी से स्नैक्स सजा दिया था। शीशे के चमकते फ़्लॉस्क में कॉफ़ी, शीशे के दो ग्लास और कॉफ़ी पीने के दो जग रख दिए.
-'आज तुम्हारा मूड ठीक नहीं है क्या?' श्रीवास्तव ने कांटे से पकौड़ा उठाते हुए पूछा।
-'क्यों? ऐसी तो कोई बात नहीं है डैडी.'
-'फिर मुँह लटकाए क्यों बैठी हो? कुछ लेती क्यों नहीं?'
-'नहीं, मैंने अभी-अभी अपना लंच लिया है। सिर्फ़ कॉफ़ी लूंगी।'
-'लंच अभी लिया है! ...क्यों...तुम तो टाईम की बड़ी पर्टीकुलर हो।'
-'आज लेट हो गया।'
-'कर क्या रही थी अब तक?'
बेबी हँसी और हँसते हुए ही उसने कहा-'फ़ोटोे खिंचा रही थी।'
चौंका श्रीवास्तव-'फ़ोटोे खिंचा रही थी?'
-'येस डैडी. भारती जी के दोस्त प्रोफ़ेशनल फ़ोटोेग्राफ़र हैं। उन्होंने आज दोपहर मेरा फ़ोटोे-सेशन किया।'
-'कहाँ?'
-'अपने टैरेस गार्डेन पर और पहली बार आपका कैमरा आज यूज़ हुआ।'
-'निकोन?'
-'येस डैडी.'
-'वन्डरफ़ुल! उसने अगर उसे हैण्डल कर लिया तो वह वाक़ई प्रोफ़ेशनल है। स्टूडियो है उसका?'
-'येस डैडी!'
-' भाई मिलवाओ मुझसे भी। मैं भी निकोन का आपरेशन सीखना
चाहता हूँ। '
श्रीवास्तव की बात पर बेबी को फिर हँसी आ गई. हँसते हुए ही उसने पूछा-'आप सीखेंगे? फ़़ुर्सत है आपको?'
श्रीवास्तव भी मुस्कुराया फिर उसने कहा, -'फिर भी मैं मिलना चाहता हूँ तुम्हारे दोस्त से!'
बेबी ने चौंक कर कहा-'मेरे दोस्त से?'
इस बार हँस पड़ा श्रीवास्तव और हँसी रूकने के बाद उसने पूछा-'क्यों? वह दोस्त नहीं है तुम्हारा?'
बेबी मौन हो गई तो श्रीवास्तव ने बेबी के कंधे पर हाथ रखकर उसे अपने करीब कर लिया, -'मेरी बेटी अब मुझसे शर्माने भी लगी? कोई अफ़ेयर तो शुरू नहीं हो गया तुम्हारा?'
-'आप भी डैडी।'
-'ओ.के...ओ.के...माई डीयर! नो प्रॉब्लम, बट रिमेम्बर वन थिंग। नेवर हाईड एनी थिंग विद योर फ़ादर! ...ओ. के.?'
-'येस डैडी.' कह कर वह मुस्कुराई और फ़्लास्क से जग में कॉफ़ी डालने लगी।
-'मुझे भी दो।' श्रीवास्तव ने चम्मच और कांटे उलट दिए. यह इशारा था। तुरंत ही, टेबल साफ़ कर दिया गया। अब श्रीवास्तव और बेबी कॉफ़ी पीने लगे।