अग्निसंभवा / प्रभा खेतान / पृष्ठ 1
कथासार / समीक्षा
मासिक पत्रिका 'हंस` के मार्च, अप्रेल, और मई, १९९२ के अंकों में क्रमश: यह रचना छपी। रचना प्रवृत्ति के हिसाब से इसे उपन्यासिका की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। जो कि लम्बी कहानी और उपन्यास के मध्य की श्रेणी है।
'अग्निसंभवा` चीन की महिला आइवी पर केन्द्रित है और इसी बहाने आसपास की घटनाओं के समुच्य को दर्शाया गया है। आइवी चीन के साधारण किसान परिवार की महिला है। शराबी पति आइवी के साथ रोज मारपीट करता रहता है। आइवी रात-दिन खेतों में काम करती फिर भी उसे प्रताड़ित किया जाता। उसकी बेटी को जन्मते ही मार दिया गया। जब उसने विरोध किया तो उसकी सास ने बताया कि मेरी तो दो बेटियां पानी में डूबो दी गई थीं। ऐसे परिवेश से शुरू हुआ आइवी का संघर्ष उपन्यास के अंत तक हांगकांग में ब्रांच मैनेजर पद तक पहुंचाता है।
पति के घर से भागकर आइवी एक फैक्ट्री में काम करती है। वहां रात-दिन मजदूर खटते हैं फिर भी उन्हें पूरा पारिश्रमिक नहीं मिलता। शोषण और भ्रष्टाचार को देखकर आइवी वो काम छोड़ देती है। रोजगार के लिए हांगकांग भाग आती है। वहां आकर लम्बे समय तक टैक्सी चलाती है और अपनी इमानदारी तथा कर्मण्ठशीलता के बल पर कम्पनी में नौकरी पाती है। आइवी अपने देश से बहुत प्रेम करती है। इसी वजह से वह अपने बेटे को भी चीन में ही रखती है और वहां क्रांतिकारियों में शामिल बेटे को पुलिस की गोली लग जाती है। आइवी महत्त्वाकांक्षी है, वो संतुष्ट होना नहीं जानती। शिव (अपने मैनेजर) की वास्तविक शिकायत करके वह स्वयं ब्रांच मैनेजर बनती है। शिव के साथ संबंध टूटने के बाद भी वह शिव के बेटे बॉब को अपने पास रखती है और बड़े प्यार से उसका पालन-पोषण करती है।
आइवी की कहानी के साथ-साथ प्रभा ने चीन में शोषित होती स्त्री और मजदूर वर्ग पर तथा चीन की क्रांति एव मार्क्सवाद पर भी प्रकाश डाला है।
लेखिका ने स्त्री के संघर्ष को वैश्विक स्तर पर उभारा है। स्त्री ठान ले तो आइवी की तरह सक्षम बन सकती है। इस उपन्यासिका में लेखिका का मूल मकसद यह संदेश देना है कि स्त्री हर जगह से, हर परिस्थिति से उठकर अपना लक्ष्य हासिल कर सकती है। स्त्री का आत्मबल और इच्छा शक्ति की जागृति ही प्रगति और आजादी का मूल आधार है।