अजहरुद्दीन पर एकता की फिल्म / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 01 फरवरी 2014
एकता कपूर ने क्रिकेट खिलाड़ी अजहरुद्दीन के जीवन पर आधारित फिल्म बनाने का निश्चय किया है और खिलाड़ी के साथ कानूनी कार्यवाही पूरी हो गई है तथा पटकथा लिखी जा रही है। एकता कपूर ने सचिन तेंदुलकर या द्रविड़ पर फिल्म नहीं बनाते हुए मोहम्मद अजहरुद्दीन का चुनाव इसलिए किया कि उसके जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव रहे हैं, उसकी तीन प्रेम कहानियां हैं, उस पर फिक्सिंग के आरोप हैं और सबसे बड़ी बात यह कि वह इतने गरी परिवार से आया है कि टेस्ट में चयन के बाद ही वह अपने लिए क्रिकेट खेलने के जूते और बल्ला खरीद पाया। इसके पूर्व अभ्यास व रंजी ट्राफी के खेलों में वह कैनवास के साधारण जूते और मांगे हुए बल्लों से खेलता रहा था। व्यवसायिक सिनेमा के लिए नायक का गरीब घर से आकर सफलता पाना उसे आसानी से आम दर्शक के साथ जोड़ देता है। उसे शिखर पर पहुंचने के बाद अपने युवा पुत्र की मोटर साइकिल दुर्घटना में मृत्यु का दारुण दु:ख भी झेलना पड़ा है।
अजहरुद्दीन ने अपने पहले तीनों टेस्ट मैचेस में शतक बनाकर सनसनी कर दी थी। लंदन में एक मैच खेलते हुए उसने दो गेंदों को लेग साइड पर सीमा रेखा पार कराई और समान तीसरी गेंद को ऑफ साइड पर सीमा पार कराया तथा खेल के बाद पूछे जाने पर कि बताया कि तीसरी समान गेंद को अलग दिशा में मारे जाने का कारण यह था कि एक ही जगह मारकर वे बोर हो गए थे। यही सोच संभवत: उसकी परिवार शैली का हिस्सा था। अपने शिखर दिनों में खाड़ी के किसी धनाड्य व्यक्ति की कन्या से उसने विवाह किया और कुछ वर्षों बाद उसे अभिनेत्री संगीता बिजलानी से इश्क हो गया जो उभरते सितारे सलमान खान की पहली प्रेमिका थी और आज भी अनन्य मित्रों में से एक है। बाद में अफवाह थी कि वे किसी बैडमिंटन खिलाड़ी की ओर आकर्षित हुए। संगीता से उसका अलगाव संभवत: इसी कारण हुआ। इस तरह एक रंगीन व्यक्तित्व पर यह फिल्म बनने जा रही है।
गांगुली और धोनी के पहले अजहर ही भारत के सबसे सफल कप्तान सिद्ध हुए थे। उनका कॅरिअर उनके शिखर दिनों में ही समाप्त हो गया क्योंकि वे क्रिकेट फिक्सिंग में फंस गये-ऐसे आरोप लगे। अत: उनके जीवन में उन पर अपराध जगत से जुडऩे की अफवाह भी थी अर्थात उनके जीवन पर बनने वाली फिल्म से प्रेम, साहस, गरीबी, अपराध इत्यादि सारे तत्वों से अच्छा-खासा फिल्मी मसाला जुड़ जाता है और एकता कपूर को इस तरह की मनोरंजन मिक्सी चलाने का अच्छा खासा अनुभव है और वे इसे एक सनसनीखेज फिल्म बना देंगी। वर्तमान में अजहर उत्तरप्रदेश से चुने गए सांसद भी हैं तो फिल्मी मसाला में यह सोने में सुहागा होगा।
अजहर के खेल में आपको धोनी का पावर नहीं वरन् क्रिकेट के शास्त्रीय नियमों की नजाकत नजर आती है। उसकी टाइमिंग और शॉट प्लेसमेंट ने उसे सैकड़ों रन दिए और कभी भी जल्लाद बल्लेबाज नजर नहीं आता था जो गेंदबाज को कत्ल कर दे परंतु कलात्मक ढंग से उसका बल्ला एक निष्णात सर्जन के चाकू की तरह था जो आवश्यक स्थान को सफाई से काटता था गोयाकि मासूमियत के साथ गेंदबाजों को कत्ल करता था और मरने वाले को पता ही नहीं चलता था कि चोट कहां लगी है।
अत्यंत गरीबी से उभरे इस व्यक्ति ने शोहरत और धन आने के बाद फैशन की ओर ध्यान दिया तथा अत्यंत सुंदर पोशाकें, गॉगल्स व कारें खरीदी। यह सारा कार्य गरीबी में जन्मी कुंठाओं के समाधान के लिए किया गया। इसी समृद्धि का एक हिस्सा था उसके द्बारा अपने पुत्र को एक तेज रफ्तार मोटरसाइकिल भेंट में देना और उसे आभास भी नहीं था कि किशोर अवस्था का उसका पुत्र रफ्तार के नशे में गॉफिल मृत्यु के मुंह में चला जायेगा-यह पक्ष उसे एक ट्रैजिक नायक बनाता है। इसपर शेक्सपीयर ने बखूबी बयान किया है- 'त्रासदी के कारण ईश्वर से क्या पूछते हो, शत्रु तुम्हारे भीतर ही रहता है।'