अतुल्य भारत का सपना और नए ब्रैंड एम्बेसडर की तलाश / जयप्रकाश चौकसे

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अतुल्य भारत का सपना और नए ब्रैंड एम्बेसडर की तलाश
प्रकाशन तिथि :25 जनवरी 2016


जादूगर सामरी मनुष्य को अदृश्य करने का तमाशा रचता था। इंग्लिश-अमेरिकी डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन ने इसी तमाशे पर 'प्रेस्टीज' नामक फिल्म बनाई थी। दो दोस्त दुश्मन जादूगरों की प्रतिद्वंद्विता की कहानी थी और दिल दहला देने वाला क्लाइमैक्स यह था कि जिस प्रतिद्वंद्वी जादूगर की हत्या के लिए दूसरे को दोषी पाकर फांसी की सजा दी जाती है, वह स्वयं वेश बदलकर उससे मिलने आता है कि उसे यह जानकर फांसी से अधिक दर्द होगा कि जिसकी हत्या का वह दोषी पाया गया है, वह जिंदा है।

बहरहाल, हमारे यहां ठीक इसी तरह व्यक्तियों की योग्यता पलभर में गायब कर दी जाती है। जिस योग्यता के कारण अभिनेता अामिर खान को 'अतुल्य भारत' का एम्बेसडर चुना गया था, वह उनके उस बयान से अदृश्य कर दी गई कि भारत में लोग असुरक्षा महसूस करते हैं। इस पद की समय-सीमा खत्म होने पर उसे बढ़ाया नहीं गया। अब उस 'अतुल्य पद' के लिए महानायक अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के नाम पर विचार किया जा रहा है। अतुल्य भारत को एम्बेसडर तो चाहिए न! गुजरात पर्यटन के ब्रैंड अमिताभ बच्चन तो किसी भी दल के सत्ता में मौजूद होने पर हर पद के योग्य माने जाते हैं। ऐसी घुलनशीलता भी कमाल की है। 'कोई नृप हो, हमें क्या हानि।'

प्रियंका चोपड़ा के सीरियल 'क्वांटिको' की अमेरिका में लोकप्रियता के कारण वे भी चुनाव की प्रबल प्रत्याशी बन जाती हैं। परंतु इस सारी कवायद में हम भारत को अतुल्य बनाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। अगर वाकई देश अतुल्य हो जाए तो इस सब की शायद जरूरत न हो। इसी तरह जाने कितनी योजनाओं का आकल्पन होता है और इन योजनाओं के मसविदों के आधार पर हमारे कालखंड को भारत का स्वर्ण युग माने तो क्या आश्चर्य है। जर्मन राजनेता गोएबल्स की मृत्यु के बाद उनका नया जन्म 'अतुल्य भारत' में हुआ था और वह गोएबल्स का आखिरी अवतार था। ज्ञातव्य है कि गोएबल्स हिटलर का प्रचार मंत्री था, जिसका कहना था कि एक ही झूठ को अनेक बार बोलने पर वह सत्य मान लिया जाता है। इस पद की दौड़ में ऐसा लगता है कि प्रियंका चोपड़ा जीत जाएंगी, क्योंकि इस सरकार का सूर्य पश्चिम से उदित होता है। सरकार को अाप्रवासी 1.34 करोड़ 'डॉलर शक्ति' वालों को खुश करके विगत चुनाव में मदद के लिए शुकराना जो अदा करना है। इन डॉलर शक्तियों को भूखे, हताश, साधनहीन भारतीयों की चिंता ही नहीं है। वे स्वयं ब्रैंड इंडिया हैं और परोक्ष रूप से विदेशों में बसा है अतुल्य भारत। सीधी-सी बात है कि जिन योग्यताओं के दम पर स्मृति ईरानी शिक्षा मंत्री हैं, उन योग्यताओं की कमी प्रियंका चोपड़ा में कतई नहीं है। सीरत के युग बीत गए अब तो सूरत का कालखंड है। याद आता है कि नूतन के पति ने 'सूरत' और 'सीरत' नामक फिल्म बनाई थी पर अब ऐसी दुविधा नहीं है। जो है वह सूरत ही है।

आज कॉर्पोरेट जगत में नौकरियों के लिए अनुभव से अधिक महत्व युवा वय और सुंदरता को दिया जाता है। यह भी पश्चिमी प्रभाव ही कहा जाएगा। यह भी गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के युग में कुछ विशेषज्ञों ने उनके सुुंदर और सेक्सी दिखने को ही उनकी लोकप्रियता का कारण बताया था। इच्छाएं जगाने की कला में प्रवीणत हॉलीवुड अभिनेत्री मैरीलिन मनरो की रहस्यमय मृत्यु में शक की सुई दोनों कैनेडी बंधुओं की अोर थी, क्योंकि एक भव्य स्टेडियम में आयोजित जेेएफके के जन्म दिन उत्सव पर मैरीलिन मनरो ने भी शिरकत की थी। उनका याराना पुराना था।

बहरहाल, इन पंक्तियों को लिखते समय ऐसी खबरें आ रही हैं कि अतुल्य भारत के एम्बेसडर पद पर अमिताभ बच्चन और प्रियंका चोपड़ा दोनों पदासीन रहेंगे। यह सिंहासन क्या काम करेगा, यह कुछ मालूम नहींं है? सरकार अवाम को रोटी, कपड़ा और मकान नहीं दे सकती परंतु सपने दे सकती है और अवाम चाहे तो उन्हें खाए-पिए, बिछाए अौर उस पर सो जाए। इस स्वप्न संसार में सत्य व यथार्थ प्रतिबंधित है। यह वैकल्पिक संसार है। मीर तकी मीर की पंक्तियों पर गौर करें, 'अय झूठ आज शहर में तेरा ही दौर है, शेवा (चलन) यही सभी का, यही सबका तौर है, अय झूठ तू शुआर (तरीका) हुआ खल्क (दुनिया) का, शाह का, वजीर का, क्या अहले दल्क (जगी) का, अय झूठ तेरे शहर में ताबई (अधीन) सभी, मर जाए क्यों न कोई न बोले सच कभी।