अदला-बदली / मालती महावर

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“क्या आप मुझे गोद ले सकते हैं?”

“पर मेरे भी एक लड़का है, जो तुम्हारी उम्र का है।”

“पर मेरा मतलब है, सिर्फ कागजों पर आप मुझे अपना लड़का बना लें।”

“पर मैं ऐसा क्यों करूँ?”

“साहब, बात यह है कि नौकरी करना चाहता हूँ; पर मेरे अंक इतने कम हैं कि उनसे नौकरी नहीं मिल सकती। पर अनुसूचित जाति वालों को आरक्षण मिलता है। आपका बेटा बनने से मुझे आरक्षण से नौकरी मिल जाअगी, आप चाहे जितना रुपया माँगें, मैं आपको दूँगा।”

“मेरा बेटा भी पढ़ा-लिखा है और नौकरी करना चाहता है। उसके प्रथम श्रेणी के अंक हैं। बिना आरक्षण के भी उसे नौकरी मिल सकती है। पर, जाति अनुसूचित होने के कारण वह आरक्षण से ही नौकरी में आयेगा। यह बात उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाती है। तुम अपने पिताजी से पूछकर आओ कि वे मेरे लड़के को गोद ले लेंगे?”