अधिकार / सुदर्शन रत्नाकर
Gadya Kosh से
उन्होंने बैग में रखे नमकीन सेव पेड़ के नीचे फैला दिए। थोड़ी देर में कुछ चिड़ियाँ और कौए आकर खाने लगे। अगले दिन उन्होंने फिर घर से लाए सेव वहाँ फैला दिए। पक्षी फिर से खाने लगे। तीसरे दिन फिर ऐसा ही किया लेकिन उस दिन एक कुत्ता आकर गुर्राया और सेव खाने लगा। पक्षी डर कर पेड़ पर जा बैठे।
अगले दिन भी वैसा ही हुआ। पक्षी फिर डर कर उड़ गये। दो दिन ऐसा ही हुआ लेकिन तीसरे दिन मैंने अद्भुत दृश्य देखा। वही कुत्ता फिर से आकर गुर्राया और सेव खाने के लिए आगे बढ़ा पर उस दिन पक्षी डर कर उड़े नहीं अपितु एक झुंड में इकट्ठा होकर कुत्ते की ओर बढ़े और चोंच मारने लगे। कुत्ता अधिक देर टिक नहीं पाया और वहाँ से चला गया।
अब उनके द्वारा फैलाये सेव पक्षी खाते हैं और वह दूर खड़ा देखता रहता। थोड़े दिन के बाद उसने वहाँ आना ही छोड़ दिया।