अनजाने कुछ पहचाने रास्तों की फिल्मी दुनिया / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 23 फरवरी 2022
गौरतलब है कि अभिनेता धर्मेंद्र के पुत्र सनी देओल ने हिंदी फिल्म जगत में लंबी और सफल पारी खेली है। सनी के भाई बॉबी देओल भी कई सफल फिल्मों में काम कर चुके हैं और अब बॉबी की एक नई फिल्म ‘एनिमल’ बनने जा रही है, जो एक्शन थ्रिलर फिल्म बताई जा रही है। खबर यह भी है कि बॉबी अभिनीत इस फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर भी मुख्य किरदार में हैं।
गोया कि धर्मेंद्र ने ‘अपने’ नामक फिल्म में अपने दोनों पुत्रों के साथ अभिनय किया था परंतु फिल्म अधिक दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सकी। सुना है कि अब एक नई पटकथा पर फिल्म बनाई जाने वाली है। उस फिल्म में पिता धर्मेंद्र और उनके दोनों पुत्र सनी और बॉबी एक-साथ अभिनय करने जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि रणबीर के दादा राज कपूर के साथ धर्मेंद्र ‘मेरा नाम जोकर’ नामक फिल्म में काम कर चुके हैं। इस तरह से देखा जाए तो, सचमुच फिल्म उद्योग एक छोटी सी दुनिया है, जिसके जाने-पहचाने और अनजाने रास्तों पर लोग मिलते हैं, बिछड़ जाने के लिए। धर्मेंद्र एक फिल्म में अपने पुत्रों के साथ जिस तरह फिर से अभिनय करने जा रहे हैं ठीक उसी तरह अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन भी किसी फिल्म में अगर फिर साथ काम करें तो दर्शकों की रुचि उस फिल्म के लिए हो सकती है। बहुत पहले दोनों ने साथ काम किया था। खबर है कि मराठी भाषा में बनी सफल फिल्म ‘सैराट’ पुन: नए सिरे से बनाई गई है। दरअसल घर से भाग जाने वाले प्रेमियों पर ‘लव हॉस्टल’ नामक फिल्म रिलीज होने वाली है, जो ऑनर किलिंग पर आधारित बताई जा रही है। गौरतलब है कि काफी समय बाद ‘सैराट’ प्रेरित फिल्म पुनः बनाई गई है। प्रेमियों को बरसों बाद खोज कर मारना बर्बरता है। प्रेम कहानियों से अधिक हिंसा और बदला लेने की भावना पर फिल्में बनाई जाती हैं। संभवत: दर्शकों को हिंसा और सनसनी ही पसंद है।
बहरहाल, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट का विवाह होने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है। आलिया की फिल्म ‘गंगूबाई’ की प्रतीक्षा भी इन दिनों की जा रही है। महिला का अपराध में शामिल होकर सरगना बन जाने पर शबाना आज़मी अभिनीत फिल्म ‘गॉड मदर’ बहुत सराही जा चुकी है। गौरतलब है कि महिलाएं संगठित अपराध की ओर उसी समय पर कदम बढ़ाती हैं जब उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिलता। याद आती है माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म ‘गुलाबी गैंग’ जो एक सत्य घटना से प्रेरित फिल्म थी। इसी फिल्म में जूही चावला ने एक निर्मम और भ्रष्ट पॉलिटिशियन की भूमिका अभिनीत की थी। फिल्म में उनका चरित्र क्रूरतम निर्णय लेते समय भी मुस्कुराता रहता है। सार यह है कि फिल्म उद्योग में नए कलाकार आते रहते हैं और साथ ही पुराने भी जमे रहते हैं। दरअसल, प्रतिभा ही सारे द्वार खोल देती है। अमेरिका के फिल्मकार ने तो अंतरिक्ष के अपने आकल्पन की फिल्में बनाना बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। राकेश रोशन ने अपनी फिल्म ‘कोई मिल गया’ में इसी दृष्टिकोण को अपनाया था बाद में उन्होंने इसी तरह के पात्रों को लेकर ‘कृष’ की एक श्रृंखला ही खड़ी कर दी। फिल्म निर्माण की विकसित टेक्नोलॉजी ने इस तरह की फिल्मों को प्रोत्साहित किया है। आश्चर्य तो यह है कि आज मनुष्य, प्रेम और मानवीय करुणा की फिल्मों को अनदेखा क्यों करता है? क्या हम सिनेमा की कल्पना सत्यजीत राय, ऋत्विक घटक, तपन सेन, गुरुदत्त, ऋषिकेश मुखर्जी और राज कपूर के बिना कर सकते हैं?
प्रेम और मानवीय करुणा की भावना का लोप होना शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि प्रेम और मानवीय करुणा के इर्द-गिर्द संसार घूमता है।