अनमोल हैं सब / अनीता चमोली 'अनु'

Gadya Kosh से
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चींटी और मच्छर में बहस हो गई। चींटी ने कहा-”मैं बहुत ही ताकतवर हूं। अपने वजन से छह गुना वजन उठा लेती हूँ।”

मच्छर इतराते हुए बोला-”मैं भी तो। मोटी से मोटी चमड़ी वाले का खून चूस लेता हूँ।”

दोनों खुद को बड़ा बता रहे थे। तभी गौरेया आ गई। गौरेया का कद देखकर दोनों चुप हो गए। गौरेया अपने आकार को देखकर इठला रही थी। गौरेया बोली-”क्या हुआ? तुम दोनों से बड़ा कौन है? ये मुझे अब भी बताना पड़ेगा क्या?” चींटी और मच्छर अपना-सा मुंह लेकर रह गए।

तभी गिलहरी आ गई। गिलहरी ने गौरेया से पूछा-”अरी पिद्दी-सी चिड़िया। बोल, बोल। क्या कह रही थी, इन दोनों से? बोल न?” गौरेया का चेहरा बुझ गया। अभी गिलहरी ने हंसना शुरू किया था कि वह हंसते-हंसते चुप हो गई। बकरी जो आ गई थी। बकरी जोर-जोर से हंसते हुए कहने लगी-”नन्ही गिलहरी। देख तो मेरी पूंछ। तू तो उसके बराबर की है न।” बकरी की हंसी भी कुछ ही देर में गायब हो गई। गाय जो आ गई थी। गाय खुशी में रंभाई थी कि गैंडा आ गया। गैंडे को देखकर सब चुप हो गए। गैंडे की खुशी का ठिकाना न रहा। वो नाचने लगा। बोला,”मैं सबसे बड़ा हूँ। सब नाचो।”सब नाचने लगे।

अचानक हाथी की चिंघाड सुनकर सब सहम गए। हाथी को देखकर गैंडा भी मायूस हो गया। तभी जेबरा आ गया। लंबी गरदन को घुमाते हुए बोला,”है कोई जो मेरे सिर से अपना सिर मिलाए।”

मैं बड़ा हॅू। तुम छोटे हो। हर कोई यही कह रहा था। तभी खरगोश आ गया। उसने सबको शांत किया। वह बोला,”जिराफ भाई। तुम मेरी तरह बिल नहीं खोद सकते। लेकिन मैं तुम्हारी तरह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता। हाथी सब कुछ कर सकता है। लेकिन मेंढक की तरह उछल नहीं सकता।”

हाथी चिंघाड़ते हुए बोला,”तुम कहना क्या चाहते हो?” खरगोश बोला,”बस इतना ही कि हम एक-दूसरे पर निर्भर हैं।” तभी गाय बोली,”एक-दूसरे के अलावा हम पेड़-पौधों पर भी निर्भर हैं। हम शाकाहारियों के लिए घास-पात जरूरी है। हरियाली नहीं,तो हम भी नहीं।”

तभी शेर दहाड़ा। बोला,”तुम नहीं तो फिर मैं भी नहीं। मैं घास नहीं खाता। मगर घास खाने वालों को तो खाता हूँ। मुझे बताओ। क्या परेशानी है।”

चींटी बोली,”हम छोटे प्राणियों को कोई कुछ नहीं समझता। कौन बड़ा है। यहाँ यही बात चल रही थी।”

शेर मुस्कराया। बोला,”छोटे जीवों का भी महत्व है। इससे धरती उपजाऊ बनी रहती है।”

खरगोश बोला,”जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों के अलावा हम दूसरी चीजों पर भी तो निर्भर हैं। उनके बारे में कोई कुछ नहीं कह रहा है।” मच्छर ताली बजाते हुए बोला,”हवा,रोशनी और पानी। है न।”

“सही कहा। बस हमें हर चीज का जरूरत के हिसाब से उपयोग करना चाहिए। दूसरे के जिंदा रहने से ही हम जिंदा रह सकते हैं।” तभी बारिश होने लगी। सब अपने-अपने घर की ओर चल पड़े।