अनुराग बसु की संगीतमय 'जग्गा जासूस' / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 08 अक्टूबर 2014
कुछ दिन पूर्व ही रणबीर कपूर के टॉन्सिल का ऑपरेशन हुआ है आैर सारा समय अस्पताल में कटरीना कैफ ने उनकी तीमारदारी की है। जब तीमारदार इतनी हसीन हो तो अस्पताल से छुट्टी का मरीज का मन ही नहीं होता। उधर तीमारदार की भी इच्छा होती है कि बीमारी का जश्न चलते रहे ताकि मरीज के इतना निकट होने का अवसर खोना ना पड़े गोयाकि "मकतबे इश्क का इक ढंग निराला देखा, सबक जिसको याद हुआ, उसे छुट्टी मिले'। उन्हीं दिनों अपने फेफड़ों के खजाने में सांसों की तलाश करते रणबीर के वृद्ध निकट रिश्तेदार शशि कपूर की अस्पताल से छुट्टी हुई। सांसों की डोर मजबूत है। शशि कपूर अस्पताल के बिस्तर पर यादों का क्लोरोफॉर्म लिए जवानी के इश्क के नगमे गुनगुना रहे थे तो उनका युवा रिश्तेदार रणबीर कपूर अपने इश्क की अलसभोर में अलमस्त था गोयाकि अस्पताल में ही अलसभोर आैर सायंकाल गलबहियां कर रहे थे।
जीवन के जामेजम में समय इसी तरह मिला-जुला सा दिखता है आैर आपको शैलेंद्र की 'मधुमति' के लिए लिखे गीत की पंक्तियों की याद जाती है, "वह आसमां झुक रहा है जमीं पर, ये मिलन हमने देखा यहीं पर, सुहाना सफर आैर ये मौसम हंसी, हमें डर है हम खो ना जायें कहीं'। जीवन के तीनों दौर फिल्म गीत के मुखड़े आैर अंतरे की तरह होते है। युवा वय मुखड़ा दोहराने की तरह होती है आैर बुढ़ापा आखिरी अंतरा या उसके बाद बजने वाली संगीत लहरी की तरह होता है, फेड आउट की तरह। अस्पताल भी क्या जगह है कि जीवन का 'फेड इन' आैर 'फेड आउट' आप वहां देख सकते हैं। एक माले पर शिशु जन्म लेता है तो दूसरे माले पर कोई मृत्यु होती है। अस्पताल दर्शनशास्त्र का सबसे बड़ा स्कूल है परंतु आजकल जख्मों के इलाज के लिए पांच सितारा अस्पताल खुल गए हैं जहां कलदार की खनक में जीवन दर्शन का गीत गुम हो जाता है कि किसी दौर में गल्फ के रईस इन्हीं पांच सितारा होटलनुमा अस्पतालों में कमरा लेते थे।
बहरहाल रणबीर कपूर को जिस्म आैर रूह दोनों स्तर पर सुकून मिल रहा है। उनके प्रिय निर्देशक अनुराग बसु ने अरसे बाद छुट्टी पर विदेश गए संगीतकार प्रीतम को अपना सफर अधूरा छोड़कर भारत आने का आग्रह किया है क्योंकि 'जग्गा जासूस' के शेष गीत रिकॉर्ड करने हैं। पूरी तरह स्वस्थ होकर रणबीर कपूर आैर कटरीना कैफ 'जग्गा जासूस' के लिए चालीस दिन तक शूटिंग करने वाले हैं गोयाकि अस्पताल में बिताए दिनों का ही एक्सटेंशन अब शूटिंग में चलता रहेगा। अनुराग बसु की शूटिंग हमेशा बेतरतीब सी नजर आती है आैर केवल संपादन के बाद ही आप कथा को एक सूत्र में देख सकते हैं। उनके पास कभी डिटेल्स में लिखी पटकथा नहीं होती, बस कुछ नोट्स होते हैं आैर हाशिये में कुछ बातें लिखी होती हैं जिनका महत्व पूरी संपादित फिल्म देखने की तरह ही जिंदगी में भी कई लोग हाशिये पर पड़े हैं आैर बाजार केवल इबारत देखता है, हाशिया उसके लिए अदृश्य है।
बहरहाल अनुराग बसु की 'जग्गा जासूस' की कथा का अंदाज लगाना कठिन है क्योंकि फिल्म के 80 मिनट संगीतमय हैं आैर यह फिल्म ऑपेरानुमा प्रस्तुति की फिल्म है। ऑपेरा का लिब्रेतो प्राय: प्रेम कथा, परीकथा या त्रासदी होता है, कभी किसी 'जासूस' नायक में यह कैसा संभव है। किसने कल्पना की थी कि 'बर्फी' इतनी महान फिल्म सिद्ध होगी। यह संभव है कि अगाथा क्रिस्टी की कुछ कहानियों का नायक बेल्जियम का पायरो है आैर वह अपना काम जानने वाला जासूस है जिसके खोजबीन के तरीके अजीब से हैं जिसे समझने के लिए आप किशोर कुमार को पायरो की भूमिका में कल्पना करें। इसी तरह अगाथा क्रिस्टी की एक जासूस उम्रदराज मिस मारपल है। पायरो आैर मिस मारपल की कभी अगाथा क्रिस्टी ने एक कहानी में नहीं रखा परंतु अनुराग बसु की 'जग्गा जासूस' को हम युवा पायरो आैर युवा मारपल की तरह देखे आैर उन्हें ऑपेरानुमा फिल्म में रणबीर कपूर तथा कटरीना कैफ को अभिनीत करते देखें।