अपना घर / सपना मांगलिक

Gadya Kosh से
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मीठी माँ-पापा से उसे चित्रकारी प्रतियोगिता में लखनऊ भेजने के जिद कर रही थी उसके चित्र को स्कूल लेवल प्रतियोगिता में सराहना मिली थी और अब उसे अंतर्राज्यीय प्रतियोगिता के लिए चुना गया है। मगर माँ-पापा हमेशा की तरह से उसे डांटते हुए बोले "जो करना है अपने घर जाकर करना दो महीने बाद शादी है और इसकी मनमानियां खत्म नहीं हो रही हैं"। मीठी मन में सोच रही थी कि जिस घर में जन्म लिया क्या वहाँ वह मनमानी नहीं कर सकती? खैर ससुराल ही उसका घर है तो वह अपना ख्वाब ससुराल जाकर ही पूरा कर लेगी। शादी के बाद उसने हर लड़की की तरह साजन के घर और परिवारीजनों को सहज ही अपना लिया, और अपने विनम्र एवं जिम्मेदार व्यवहार से सभी ससुराली जनों का दिल जीत लिया। एक दिन प्रेम के लम्हों में उसने पतिदेव को अपनी चित्रकारी के शौक और उसमे अपनी पहचान बनाने के ख्वाब का जिक्र किया। मगर उम्मीद के विपरीत पतिदेव भड़क उठे "पागल हो क्या शादी के बाद एक स्त्री का धर्म घर गृहस्थी संभालना होता है, अगर यह सब ही करना था तो अपने घर में क्यों नहीं किया?" और मीठी आँखों में आंसू भर यह सोचती रह गयी कि आखिर उसका अपना घर है कौनसा?