अपनी-अपनी गति / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
"देखो, मैं कितनी फुर्ती से भागता हूँ। तुम हो कि भाग सकना तो दरकिनार, सरक भी नहीं सकते।" गुबरैला गुलाब से बोला।
"जरा और तेज़ दौडो, " गुलाब ने उससे कहा, "मेरे फुर्तीले दोस्त!"