अपराजित कंगना रनोट की 'अयोध्या' / जयप्रकाश चौकसे

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अपराजित कंगना रनोट की 'अयोध्या'
प्रकाशन तिथि : 26 नवम्बर 2019


क्वीन कंगना रनोट जयललिता बायोपिक की शूटिंग कर रही हैं। फिल्म में प्रकाश राज करुणानिधि की भूमिका अभिनीत कर रहे हैं। यह फिल्म लगभग पूरी हो चुकी है। 'बाहुबली' एसएस राजामौली की लेखन विभाग की टीम कंगना रनोट की अगली फिल्म 'अपराजित अयोध्या' लिख रही है। अयोध्या का अर्थ ही होता है जो कभी पराजित न हो सके। फिल्म उद्योग की गोल खाने वाली चौपड़ में तिकोनी कंगना समा नहीं सकती, परंतु अपनी शर्तों पर काम करने वाली कंगना अपने पूरे सनकीपन के साथ मिट्टी पकड़ पहलवान की तरह फिल्मी दंगल में लंबे समय से टिकी हुई हैं। अपने संघर्ष के दिनों में वह मुंबई के फुटपाथ पर सोई हैं और आज मनाली में भव्य भवन की मालकिन हैं। फिल्म उद्योग में अभिनेता राजकुमार बहुत सनकी थे और किशोर कुमार ने सनक का मुखौटा धारण किया था, ताकि वह अजनबी लोगों से बच सकें। इस तरह सनकीपन में कंगना रनोट 'जानी' राजकुमार की तरह हैं। ज्ञातव्य है कि कंगना रनौत, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा से कई गुना अधिक मेहनताना प्राप्त करती हैं। कंगना काम प्राप्त करने के लिए कहीं नहीं जाती, फिर भी उन्हें प्रस्ताव मिलते रहते हैं। हादसों से बच निकलने के रास्ते अपने आप ही कंगना के लिए खुल जाते हैं। विशाल भारद्वाज रचित 'रंगून' नामक फिल्म हादसे से भी कंगना साफ बचकर निकल आई थीं। कंगना अभिनीत 'रिवॉल्वर रानी' नामक फिल्म का क्लाइमेक्स अत्यंत अविश्वसनीय था। अगर क्लाइमेक्स संभाल लिया जाता तो 'रिवॉल्वर रानी' सफल होती।

उस फिल्म में कंगना दस्यु की भूमिका में थीं। वह जिस युवा को प्रेम करती थीं, वह फिल्म सितारा बनना चाहता था। अतः दस्यु रानी फिल्म में मात्र पूंजी निवेश ही नहीं करती वरन उनके लिए एक मिनी डिज्नीलैंड भी बना देती है। 'रंगून' बनते समय यह प्रचारित किया गया था कि यह फिल्म स्टंट फिल्मों में अभिनय करने वाली नाडिया की बायोपिक है, परंतु वह चूंचूं का मुरब्बा साबित हुई।

जिस दौर में जयललिता राजनीति में तूफान बरपा रही थीं, उस दौर में 'इंडिया टुडे' के मुख्य पृष्ठ पर जयललिता अभिनीत फिल्म का फोटोग्राफ प्रकाशित हुआ था। उस चित्र में जयललिता, नाडिया नुमा पोशाक पहने हाथ में हंटर लिए खड़ी दिखाई देती थीं। 'हंटर वाली' और 'पंजाब मेल' नाडिया की सफल फिल्में थीं। दक्षिण भारत की सिल्क स्मिता साहसी दृश्यों के लिए हमेशा विवाद में फंसी रहती थी। विद्या बालन ने सिल्क स्मिता के जीवन से प्रेरित फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' अभिनीत की थी। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने एक लंपट सितारे की भूमिका निभाई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या फैसले को सभी लोगों ने स्वीकार किया है, परंतु कंगना की 'अपराजित अयोध्या' मधुमक्खियों के छत्ते में मारा गया पत्थर सिद्ध हो सकती है। कंगना को विवादों का तंदूर भड़काए रखना बहुत पसंद है। अमन उसे विचलित करता है और वह विवाद के लिए बेकरार रहती है। कुछ लोगों के लिए तनाव की दशा विटामिन की तरह साबित होती है।

किशोर कुमार और मधुबाला अभिनीत 'चलती का नाम गाड़ी' हमारी सर्वकालिक महान हास्य फिल्म है। फिल्म के एक दृश्य में नायक दावा करता है कि वह कुछ भी कर सकता है। नायिका उसे कहती है कि मुर्गियों का दड़बा खोल दो और एक मुर्गी को पकड़कर दिखा दो। नायक मुर्गियों के पीछे भागता रहता है, परंतु वह उन्हें पकड़ नहीं पाता। उसके प्रयास नायिका को खूब हंसाते हैं। कंगना रनोट मुर्गियों के दड़बे की रानी की तरह है और उसे पकड़ पाना असंभव है। कंगना अभिनीत किसी फिल्म में इस तरह का दृश्य रखा जाए तो वह पूरा दड़बा ही उखाड़ सकती है। पहाड़ों में जन्मी कंगना पहाड़ों सी मजबूत महिला है। आजकल राजनीति भी मुर्गियों के दड़बे की तरह हो गई है। दड़बे से भागे विधायकों को पांच सितारा होटल में रखा जा रहा है। उनकी लुका-छिपी और धर-पकड़ का खेल जारी है। कंगना फिल्म अभिनय क्षेत्र से राजनीतिक दंगल में प्रवेश कर सकती है।

शोभा डे जैसी लेखिका कंगना रनोट का जीवन चरित्र लिख सकती हैं और जिस दिन कंगना को यह विचार आया, उसी दिन वह इस कार्य में लग जाएंगी। देवयानी चौबल तो रहीं नहीं, अन्यथा वे कंगना का जीवन चरित्र लिखना पसंद करतीं। फिल्म पत्रकारिता में देवयानी चौबल भारतीय हेड्‌डा हॉपर रही हैं। ज्ञातव्य है कि हेड्‌डा हॉपर हॉलीवुड गॉसिप की क्वीन थीं।