अपूर्व स्नेह मुझ पर बरस था/ अंजू खरबंदा

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जेहि के जेहि पर सत्य सनेहु,

सो तेहि मिलहि न कछु संदेहु।।

रक्त संबंधों से ऊपर भी कई ऐसे संबंध होते हैं, जो दिल के इतने करीब होते हैं कि जिनके बिना जीने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

एक आलेख के सिलसिले में 2021 में मेरी पहली बार रामेश्वर काम्बोज जी से बात हुई। जब पहली बार उन्हें फोन किया, उस समय मेरे मन में थोड़ा डर था, तो थोड़ा संकोच!

नमस्कार सर कहते हुए मैंने अपना परिचय दिया और आलेख देने का निवेदन किया। उन्होंने आलेख के साथ मेरी साहित्यिक यात्रा के बारे में पूछा, घर परिवार, बच्चों के बारे में पूछा। बातों ही बातों में डर और संकोच दोनों उड़नछू हो गए। कुछ ही पलों में हमारे बीच सहज वार्तालाप हो रहा था... और वह भी ऐसे जैसे हम बरसों से एक दूसरे को जानते हों।

फिर बातों का सिलसिला यूँ चला कि कब मैं उन्हें सर से स्नेहिल भाई पुकारने लगी... पता ही नहीं चला। यह आत्मीयता इतनी गहरी हो गई कि मैं उन्हें मिलने के लिए लालायित हो उठी। एक दिन उनसे समय लेकर मैं और मेरे पति उनके रोहिणी स्थित आवास पर उनसे मिलने गए। कितनी ही देर तक हम बातें करते रहे, मेरे पति कभी मुझे देखें, कभी घड़ी को! पर जी था कि भरता ही न था...

देर काफ़ी हो चली थी...चलने को उठी ही थी कि भैया ने कहा- "रुको, तुम्हें कुछ देना है!" जब वे मुझे अपनी पुस्तकें दे रहे थे तो मेरी आँखें भीगी थीं।

उनका अपूर्व स्नेह मुझ पर बरस था और मैं उसमें भीगती हुई खुद को दुनिया की सबसे खुशनसीब बहन मान रही थी। जब हम सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे, तो बार-बार मना करने के बावजूद भैया स्वयं हमें नीचे तक छोड़ने आए।

गाड़ी में बैठने से पहले मैंने उनकी ओर मुड़कर देखा, उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर पर रखा। उस समय ऐसा लगा- मानो साक्षात् देवता ही मुझे आशीर्वाद दे रहे हों। उनका इतना स्नेह पा मैं भावविह्वल थी, उस ख़ुशी को शब्दों में व्यक्त करना कम से कम मेरे लिए तो असम्भव ही है।

कहि रहीम इक दीप तें, प्रगट सबै दुति होय।

तन सनेह कैसे दुरै, दृग दीपक जरु दोय॥

दिन रात परमपिता परमेश्वर का सैकड़ों बार शुक्रिया अदा करती हूँ कि उन्होंने मुझे प्रेम से लबालब भरे स्नेहिल भाई से मिलवाया, जो हर रोज हर पल मुझे अपने स्नेह और आशीर्वाद से सराबोर रखते हैं।

उनके स्नेह का ये वटवृक्ष हमेशा मेरे सिर पर बना रहे, वे हमेशा स्वस्थ रहें खुश रहें, प्रभु से हरदम यही कामना है।

-0-