अफगानिस्तान क्रिकेट जगत में बुजकशी? / जयप्रकाश चौकसे

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अफगानिस्तान क्रिकेट जगत में बुजकशी?
प्रकाशन तिथि : 27 सितम्बर 2018


बारहमासी क्रिकेट में एशिया कप के लिए खेले जाने वाली स्पर्धा में मजबूत भारतीय टीम के खिलाफ खेलते हुए अफगानिस्तान की टीम ने मैच में बराबरी कर ली। अंग्रेजी मुहावरे में अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम को 'अंडर डॉग' कहा जा सकता है। समाज में साधनहीन वर्ग को भी 'अंडर डॉग' ही कहा जाता है। राज कपूर की रूमानी समाजवादी फिल्म 'आवारा' के एक दृश्य में साधनहीन नायक सड़क पर लैंप पोस्ट के नीचे बैठे एक कुत्ते को गोद में उठाता है और उससे कहता है कि उसकी और कुत्ते की हालत एक जैसी है। दोनों ही अंडरडॉग हैं। उसके पास कुत्ते को खिलाने के लिए कुछ नहीं है परंतु वह कुत्ते को प्यार तो दे ही सकता है। तमाम साधनहीन मनुष्य एक-दूसरे को प्रेम ही दे सकते हैं। एक भूखा दूसरे भूखे को कम से कम प्यार तो दे ही सकता है। याद आता है श्रीलाल शुक्ल के महान उपन्यास 'राग-दरबारी' में एक संवाद है कि भारत में शिक्षा प्रणाली सड़क पर आवारा घूमते हुए बीमार कुत्ते की तरह है, जिसे सब लोग लतियाते हैं, परंतु कोई उपचार नहीं कराता।

स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में बनी फिल्म 'वंदे मातरम् आश्रम' के प्रारंभ में ही गांधी जी का विचार दिखाया गया है : 'जो शिक्षा प्रणाली जीवन में व्यावहारिकता और जीवन मूल्यों के आदर्श को समाहित नहीं करते वह शिक्षा प्रणाली प्राण विहीन है।' गांधीजी ने शिक्षा के महत्व को जानते हुए शिक्षा के प्रसार के लिए नवजीवन संस्था का गठन किया था और गुजरात के सादरा नामक स्थान पर पहली शिक्षा संस्था स्थापित की थी। आज जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार और आदर्श के अभाव का कारण भी शिक्षा प्रणाली का दोषपूर्ण होना ही है। सारी शिक्षा संस्थाएं केवल परीक्षा पास करने के गुर ही सिखा रही हैं। दशकों पूर्व एक फिल्मकार के बेटे ने परीक्षा में फेल होने के कारण आत्महत्या कर ली। जब उसकी शवयात्रा निकल रही थी, तब एक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि वह छात्र तो अच्छे अंकों से पास हुआ था। परीक्षा परिणाम की प्रिंटिंग व घोषणा में त्रुटि रह गई थी। आज भी अनेक छात्र आत्महत्या कर रहे हैं और व्यापमं घोटाले के लिए नैतिक रूप से जवाबदार हुक्मरान के माथे पर शिकन भी नहीं।

अफगानिस्तान का पारम्परिक खेल तो बुजकशी है, जिसमें एक भेड़ के लिए घुड़सवार खिलाड़ी खूनी संघर्ष करते हैं। 'गॉडफादर' से प्रेरित फिरोज खान की फिल्म 'धर्मात्मा' मैं बुजकशी खेल को दिखाया गया था। अफगानिस्तान ने वर्षों तक सोवियत रूस के अन्याय पूर्ण अाधिपत्य का विरोध किया। रूस को विदा करने के बाद अपनी चिर प्रचलित शैली में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर अधिकार जमाने की चेष्टा की। वियतनाम और कोरिया के बाद अफगानिस्तान में भी अमेरिका की सेना को शिकस्त खानी पड़ी। उनका सैन्य रिकॉर्ड बहुत ही दागदार है। दूसरे विश्व युद्ध में उन्होंने मात्र साधन उपलब्ध कराए थे और विंस्टन चर्चिल के कुशल नेतृत्व में एलाइड फोर्सेस ने हिटलर को परास्त किया था। अमेरिका युद्ध फिल्में बनाने में माहिर है, युद्ध लड़ने में नहीं। जिस जुझारू अफगानिस्तान ने रूस और अमेरिका को अपनी पावन धरती पर टिकने नहीं दिया, वही अफगानिस्तान अपनों द्वारा लड़े गए तालिबानी ताकतों से टूट गया। सबसे घातक होता है भीतरी शत्रु। हमारी व्यवस्था निरंतर प्रचार यह कर रही है कि पड़ोसी देश सबसे बड़ा शत्रु है परंतु सच्चाई यह है कि हम हमेशा भीतरी घात से ही परास्त हुए हैं। हमें जयचंदों को जन्म देने और पालने में महारत हासिल है।

अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम द्वारा भारत की बराबरी करना, दरअसल हमारी टीम की हार है। कुछ वर्ष पूर्व ही अफगानिस्तान की टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच भारत के विरुद्ध खेला था। ज्ञातव्य है कि कंधार अफगानिस्तान में है और भीष्म पितामह जन्मांध धृतराष्ट्र के लिए पत्नी मांगने वहीं गए थे। विवाह का रिश्ता मांगने जाते समय, उन्होंने अपने साथ विराट सेना को ले जाना क्यों जरूरी समझा? क्या वे कंधार पर दबाव बना रहे थे कि विवाह प्रस्ताव अस्वीकार करने पर युद्ध होगा? गंधारी के साथ आई उसकी दासी के साथ भी धृतराष्ट्र हम बिस्तर हुए। पवन करण के नवीन काव्य संग्रह 'स्त्री शतक' में अन्याय झेलती महिलाओं के दुख की गाथाएं शामिल हैं। यह एक विलक्षण काव्यसंग्रह है, जो हमारे सामने तथाकथित गरिमामय कालखंड की कमजोरियों को उजागर करता है। अफगानिस्तान पर बार-बार अाक्रमण होते हैं। उस देश की धरती के नीचे यूरेनियम के होने का अनुमान है। शक्तिवान राष्ट्रों की निगाह उस यूरेनियम पर है। उस क्रिकेट मैच में शतकवीर बल्लेबाज शहजाद के स्ट्रोक्स में भी यूरेनियम की झलक दिखाई दी।