अब नगर शांत है / गोवर्धन यादव
Gadya Kosh से
एक संत नगर के ऎतिहासिक मैदान में अपना भाषण दे रहे थे। वे सरकार की विफ़लता एवं भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे। संत को सुनने के लिए पूरा शहर ही उस मैदान में आ उपस्थित हुआ था। भाषण शान्तिपूर्वक चल रहा था। लोग ध्यान लगा कर उनकी बातों को सुन-समझ रहे थे। पूरे मैदान में केवल संत की ही आवाज़ गूंज रही थी। शहर की शान्ति भंग न हो जाए इस आशंका के चलते, अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए ज़िला मजिस्ट्रेट ने धारा 144 की घोषणा कर दी। घोषणा होते ही वह मैदान छावनी में बदल गया। पुलिस फ़ोर्स और अन्य सुरक्षा कर्मियों ने सभा में प्रवेश करते हुए लोगों को खदेडना शुरु कर दिया। देखते ही देखते पूरा मैदान खाली करवा लिया गया।
अब पूरा शहर शान्ति के आगोश में था।