अभिनय संसार का भावना शून्य होना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :10 मार्च 2015
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इम्तियाज अली की निर्माणाधीन 'तमाशा' के एक दृश्य में रणबीर कपूर नायिका दीपिका पादुकोण को सगाई की अंगूठी पहना रहा है और इसे यथार्थ बताकर सनसनीखेज बना दिया गया, जबकि इस दृश्य के फिल्मांकन के समय कटरीना कैफ मौजूद थी, जिसके साथ आजकल रणबीर का 'लिव इन' प्रयोग चल रहा है। फिल्मकारों के बीच यह आधारहीन बात जमी रही है कि विवाहित सितारों की लोकप्रियता घट जाती है, क्योंकि उनका ख्याल है कि कुंआरे और कुंआरियां फिल्म देखते समय सितारों से अपने विवाह का सपना देखते हैं।
अगर ऐसा होता तो साथ-साथ रहने के प्रयोग का भी प्रभाव पड़ सकता है। रोमांटिक छवि वाले देव आनंद तो पच्चीस के होते ही विवाहित हो चुके थे और राजकूर तो अपनी पहली फिल्म 'आग' बनाने के पहले ही विवाहित हो चुके थे तथा ऋषि कपूर और नीतू सिंह के 1981 में हुए विवाह के बाद भी पंद्रह वर्षों तक ऋषि कपूर 'चांदनी' और 'बोल राधा बोल' जैसी सुपरहिट तथा श्रीदेवी के साथ 'नगीना' नामक सफल फिल्म में काम कर चुके थे। शम्मी कपूर भी दो विवाह के बाद अपनी सफलता के शिखर पर पहुंचे और अगर ये सारे उदाहरण 'हजारों वर्ष पुराने' ध्वनित हो रहे हैं तो काजोल का उदाहरण प्रस्तुत है, जिसने अजय देवगन से विवाह के बाद अनेक रोमांटिक फिल्में की और उनकी अभिनीत 'दुल्हनिया' जाने कितने वर्षों से चल रही है। खबर तो यह है कि शाहरुख खान ने काजोल से निवेदन किया कि वे उनकी रोहित शेट्टी निर्देशित फिल्म में नायिका बनें।
बहरहाल, इसी प्रकरण का दूसरा भाग यह है कि दिलीपकुमार और मधुबाला में अलगाव होने के बाद भी 'मुगले आजम' में उनके प्रेम दृश्यों में गजब की कसक है। उन दिनों वे एक-दूसरे से बात भी नहीं करते थे और शॉट के बाद अपने-अपने कक्ष में आराम करते थे या टूटे संबंधों पर फातिहा पढ़ते थे। खामोशी ही टूटे हुए दिल की जुबां है। व्यावसायिक कलाकारों को अपने व्यक्तिगत संबंध भुलाकर अभिनय करना पड़ता है। इसे ही प्रोफेशनलिज्म का नाम दिया गया है।
रणबीर कपूर और दीपिका ने 'ये जवानी है दीवानी' के प्रेम दृश्य भी भावना की तीव्रता से अभिनीत किए, जबकि फिल्म प्रारंभ होने के पहले ही उनका प्रेम प्रसंग समाप्त हो चुका था। 'तमाशा' के प्रेम दृश्यों में भी वे अपने संबंध टूटने का प्रभाव जाहिर नहीं होने देंगे। करीना और शाहिद कपूर के संबंध टूट चुके थे जब वे दोनों इम्तियाज अली की 'जब वी मेट' कर रहे थे। इसी तरह कटरीना कैफ और सलमान खान जब 'एक था टाइगर' कर रहे थे। तब उनके संबंध टूट चुके थे। अनुष्का और रणवीर सिंह 'बैंड बाजा बारात' में निकट आए थे परंतु संबंध टूटने के बाद भी उन्होंने फिल्म "दिल धड़कने दो' की है। राहुल देव बर्मन ने आशा भोसले से विवाह के बाद भी अपनी मधुरतम धुनें लता मंगेशकर से गवाई जबकि इन बहनों के बीच ताउम्र एक स्वस्थ प्रतियोगिता रही है, जो कई बार कड़वाहट को भी जन्म दे चुकी है।
अब इस प्रकरण का तीसरा पक्ष यह कि व्यावसायिक कलाकार अपने काम में लाख संयम और संतुलन बनाए रखें परंतु क्या दिल के भीतर एक टीस सी नहीं होती होगी। वैज्ञानिक तथ्य है कि बहुत पहले टूटकर जुड़ी हड्डियों में बादल छाने पर दर्द उभर आता है तो दिल यकीनन हड्डी से तो कम ही मजबूत है। दिलीप कुमार ने मधुबाला को जी जान से चाहा था और दीपिका ने भी रणवीर कपूर को खूब प्यार किया था। यह संभव है कि कलाकारा सारा जीवन भाव अभिव्यक्ति के व्यवसाय में रहता है तो संभवत: वह व्यक्तिगत स्तर पर भावनाहीन हो जाता होगा जैसे कोई मिठाई बेचने वाले को मिठाई से वितृष्णा हो जाती है। यह विरोधाभास सा लगता है कि भावना आधारित व्यवसाय वाला भावनाहीन हो जाए। क्या इसी तर्ज पर नेता भी संवेदनहीन व्यक्ति हो जाता है?