अमिगडला रसायन एवं प्रेम प्रयोगशाला / जयप्रकाश चौकसे

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अमिगडला रसायन एवं प्रेम प्रयोगशाला
प्रकाशन तिथि :19 जून 2017


इम्तियाज अली की नई फिल्म का नाम है 'हैरी मेट सेजल।' हॉलीवुड में बनी 'हैरी मेट सैली' से प्रेरित कई फिल्में हमारे यहां बन चुकी हैं। ये सभी प्रेम-कथाएं हैं। इम्तियाज अली की प्रतिभा को सनी देओल ने सबसे पहले पहचाना और अपने ताऊ के बेटे अभय देओल की फिल्म 'कभी सोचा न था' में पूंजी लगाई। फिल्म में दो परिवार अपनी संतानों के विवाह की इच्छा प्रकट करते हैं तथा युवक व युवती आपसी रजामंदी से विवाह नहीं होने देते और परिणाम स्वरूप इन परिवारों में आपसी नफरत पैदा होती है परंतु कुछ समय बाद युवक और युवती में प्रेम हो जाता है, तो अब उन्हें अपने द्वारा फैलाई नफरत से जूझना पड़ता है।

इसके बाद इम्तियाज अली ने करीना कपूर-शाहिद कपूर अभिनीत 'जब वी मेट' बनाई, जो अत्यंत सफल रही। इम्तियाज अली की 'रॉक स्टार' रणवीर कपूर की विलक्षण प्रतिभा के सहारे जैसे-तैसे डूबने से बच गई परंतु उनकी 'तमाशा' ने तो रणवीर कपूर को लगभग डुबा ही दिया। हादसों से उबरने में रणवीर कपूर को महारत हासिल है। वे 'सांवरिया' अौर 'तमाशा' से बच निकले।

हॉलीवुड की 'हैरी मेट सैली' एक प्रेम-कथा है और वह कल्ट फिल्म बन गई तथा उसकी प्रेरणा से अनेक फिल्में मूल में मामूली से परिवर्तन के साथ बनाई गईं। सिनमाई कथाएं प्रेम और बदले की दो धुरियों के गिर्द घूमती रही हैं। यहां तक कि एक फिल्म का नाम ही बदलापुर है। 'शोले' बदले की भावना की शिखर फिल्म है और युवा प्रेम की शिखर फिल्म राज कपूर की 'बॉबी' मानी जाती है। प्रेम एक विलक्षण और दिव्य भावना है, जिसकी धुरी पर सारा सामाजिक व्यवहार घूमता है। मेडिकल विज्ञान ने प्रेम के रहस्य को इस तरह परिभाषित किया है कि शरीर में लिमबिक डोपामाइन नामक हार्मोन प्रवाहित होता है, जिससे प्रेम की भावना का जन्म होता है, मस्तिष्क में टेम्पोरल लोब में न्यूरॉन्स होते हैं, जिन्हें अमिगडला कहते हैं। यह अमिगडला मनुष्य के तर्क को स्थगित कर देता है। शरीर में इसी शारीरिक तरल के कारण आप दूसरों के दोष नहीं देख पाते। लड़की को लगता है कि यह लड़का सबसे अधिक बुद्धिमान और सफल है तथा लड़के को लगता है कि यह लड़की सबसे अधिक संुदर है। यह अमिगडला ही है, जिसके कारण पलकें झपकती हैं। अमिगडला के शिथिल होते ही प्रेम में पड़ने का प्रारंभ होता है। यह रसायन सोया और प्रेम जागा।

'हैरी मेट सैली' में युवा शिकागो से न्यूयॉर्क की यात्रा के दरमियान प्रेम में पड़ते हैं, अलग-अलग होते हैं, फिर मिलते हैं। इम्तियाज अली की 'सोचा न था' पूरी तरह से 'हैरी मेट सैली' थी परंतु 'जब वी मैट' में गज़ब की ताज़गी और स्फूर्ति थी। 'तमाशा' बनाते समय उनकी पलकें लगातार झपकती गई। बहरहाल, अपनी नई फिल्म के नाम चयन में भी आप उन पर 'हैरी मेट सैली' का प्रभाव देख सकते हैं। अब हम देखें कि शांताराम हॉलीवुड के सेसिल डीबी मिल से प्रेरित रहे और राज कपूर चैपलिन से प्रेरित रहे, गुरुदत्त ग्रिफिथ से प्रेरित रहे और ये सब क्लासिक दर्जे के फिल्मकार रहे परंतु इम्तियाज अली और उनके समकालीन 'हैरी मेट सैली' को अपना आदर्श मानते हैं, जो अत्यंत साधारण फिल्म है। आप हिमालय को आदर्श मानें तो कंचनजंघा तक पहुंच जाते हैं परंतु आप अपने कस्बे की पहाड़ी को ही ऊंचाई का प्रतीक मानें तो किसी टेकड़ी तक ही पहुंच पाएंगे। इसे इस ढंग से भी देखा जा सकता है कि वर्तमान में कोई महाकाव्य तो दूर की बात है, कोई सारगर्भित उपन्यास भी नहीं लिखा जा रहा है परंतु कविता के क्षेत्र में अच्छा काम हो रहा है। वर्तमान के विरोधाभास, विसंगतियों और असमानता साहित्य व सिनेमा के लिए आदर्श हैं। बहुत कुछ लिखा जा सकता है और इस कालखंड के महाकाव्य को 'खोखली गहराइयां' भी कहा जा सकता है।

'हैरी मेट सैली' का आधार विचार यह है कि एक स्त्री और पुरुष मात्र मित्र नहीं हो सकते। वे साथ निभाते हुए हमबिस्तर होते ही हैं। यह एक ज़हालत है। क्या जयशंकर प्रसाद व महादेवी मित्र नहीं हो सकते थे। सिमॉन द ब्वॉ एवं ज्यां पाल सार्त्र ताउम्र परममित्र रहे। इसी जहालत से जन्मी थीं लेडी माउंटबैटन और नेहरू के रिश्तों की बात। लेडी माउंटबैटन नेहरू के अध्ययन व मनुष्य की कुरुणा को आत्मसात करने के गुण से ्रभावित थीं। उनके अपने पति भी महान योद्धा थे और लेडी माउंटबैटन को उन पर गर्व था। साहिर लुधियानवी एवं अमृता प्रीतम के रिश्तों पर फिल्म बनाई जा रही है और नवाजुद्‌दीन साहिर की भूमिका निभा रहे हैं। अमृता प्रीतम मुबंई पहुंची थीं साहिर से विवाह करने परंतु किसी अखबार में साहिर के किसी गायिका से इश्क की अफवाह पढ़कर वे साहिर से मिले बिना ही लौट गई। उनके प्रेम में कहीं कसर थी, जो महज एक अखबारी खबर से लड़खड़ा गया। प्रेम में भौगोलिक दूरियों के बावजूद विश्वास कायम रहना निर्णायक भाव है। फिल्म प्रेम कथाएं मिलने, बिछुड़ने और फिर मिलने के गिर्द घूमती है। जिनसे मिले ही नहीं उनके बीच भी प्रेम हो सकता है। प्रेम का इंद्रधनुष तमाम भौगोलिक, शारीरिक सरहदों एवं रासायनिक प्रक्रियाओं के परे जाता है।