अमिताभ बच्चन अब संज्ञा नही, विशेषण हो चले है / नवल किशोर व्यास

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अमिताभ बच्चन अब संज्ञा नही, विशेषण हो चले है


अक्टूबर के इन बीमार दिनों में सर्दी ने अपनी दस्तक देरी से दी है और इस खुमार में गर्मी भी विदाई में बडे नखरे दिखा रही है। मौसम की इस अदलाबदली में टीवी पर बिगबाॅस के हो-हल्ले के बीच अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोडपति में अपनी लाजवाब उर्जा से एक बार फिर हम सभी को हैरान-परेशान कर रहे है। अक्टूबर के इसी महीने में वें 74 साल के हो चुके है और लगातार 48 सालों से फिल्म उघोग में अपनी पूरी सौम्यता और विन्रमता के साथ काम किये जा रहे है। सार्वजनिक जीवन में अगर ये विन्रमता और सौम्यता का अभिनय भी है तो ये अभिनय करना भी आसान नही होता। हर विवादो से दूर रहने की उनकी यथेष्ट चेष्टा साफ तौर पर दिखाई देती है पर विवाद टालने से अगर टल सकते तो दुनिया में कोई गिले-शिकवे होते ही नही। उनकी उर्जा नये नवेले अभिनेताओं को परेशान करने और रश्क दिलाने के लिये काफी है। हर साल पांच-सात फिल्मों, दर्जन भर विज्ञापन, सरकारी संदेशो के अलावा कौन बनेगा करोडपति में अपने चमकदार व्यक्तित्व के साथ अमिताभ दिखाई दे जाते है। सदी का महानायक और एंग्री यंग मैन अब अपने अभिनय से कम, अपनी जिजीविषा से चकित कर रहे है। उनके साथ के सभी अभिनेता कब का मैदान छोड चुके है पर इलाहाबाद का छोरा गंगा किनारे वाला आज भी चुनौतियों और प्रयासों के साथ दो दो हाथ कर रहा है, बावजूद इसके भी कि वे इस उम्र में बहुत सी गंभीर बीमारीयों से जूझ रहे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के ब्रांड एम्बेसडर बनकर जिस हेपेटाइटिस नामक बीमारी के प्रति जन जागरुकता लाने का काम कर रहे है वो खुद भी काफी सालों से हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित हैं जिसकी वजह से उनका लीवर करीब तीन चौथाई तक डैमेज हो चुका है और सिर्फ पच्चीस फीसदी ही लीवर काम कर रहा है जिसके सहारे वो जिंदा हैं। फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान हुई उस दुर्घटना में इलाज के दौरान चढ़ाए गए खून से हेपेटाइटिस-बी का वायरस से संक्रमित हुए थे जिसका पता खुद अमिताभ को बीमारी की चपेट में आने के काफी बाद लगी। सितारे भी साधारण आदमी ही होते है। वो भी बीमार पड़ते है। अमिताभ के महानायक होने की छवि से ये बात शायद हजम नही होगी कि इन सब के अलावा भी अमिताभ बहुत सी छोटी मोटी बीमारीयो से परेशान है। अभी केबीसी की शूटिंग में प्रतिभागियों के साथ लगातार बातचीत करने की वजह से वोकल कॉर्ड में इन्फेक्शन भी हुआ था जिसके कारण कुछ समय तक गले के दर्द से परेशान रहे और उन्हें कुछ भी निगलने में उन्हें तकलीफ हुई। उम्र का तकाजा ये स्थितियां लाता ही है पर अमिताभ इस मायने में बेहद खास है कि उन्होने इसका असर अपने काम पर नही आने दिया। अमिताभ केवल एक बार नब्बे के दशक में घोषित रूप से फिल्मों से दूर हुए थे उसमें भी शारीरिक कष्ट से ज्यादा मानसिक व्यथा थी। अब जल्दी ही उन्हे ऋषि कपूर के साथ फिल्म 102 नॉट आउट में देखना भी कमाल अनुभव होगा जिसमें ऋषि कपूर के साथ सौ बरस पार के वृद्व आदमी का किरदार करने जा रहे है। अमिताभ अब भी वक्त के बेहद पाबंद है। जीवन में समय के साथ चलने के अलावा फिल्म के सैट पर भी हमेशा समय पर ही पहुचे। ये अनुशासन आज तक कायम है। किसी समय जब वो फिल्मों में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे उस समय राजेश खन्ना सुपरस्टार थे और अमूमन तय समय से बेहद लेट आया करते थे। एक्सीलेंस- द अमिताभ बच्चन किताब को लिखने वाले वीरेन्द्र कपूर ने बताया कि राजेश खन्ना अमिताभ पर तंज कसते हुए कहा करते थे कि क्लर्क सही समय पर आते हैं और वो क्लर्क नहीं एक कलाकार हैं। राजेश खन्ना को जहां उनके इस अहम ने खराब किया और अमिताभ को उनके व्यक्तिगत जीवन के अनुशासन ने उन्हें वो प्रतिष्ठा दी जिसके वो हकदार है। आज अमिताभ के महानायक की छवि के नीचे दबी इन बहुत सी महीन परतों पर भी चर्चा होना लाजिमी है।